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अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर 2.0: ट्रंप ने लगाया 100% टैरिफ, जानें कब से होने जा रहा लागू

चीन द्वारा रेयर अर्थ एलिमेंट्स पर एक्सपोर्ट कंट्रोल लगाने के बाद अमेरिका ने 1 नवंबर से सभी चीनी उत्पादों पर 100% टैरिफ की घोषणा कर दी है. राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यह कदम चीन की आक्रामक नीति के जवाब में उठाया गया है. इस फैसले से टेक और डिफेंस उद्योग पर गहरा असर पड़ेगा. एपीईसी सम्मेलन से पहले दोनों देशों में बढ़ी कूटनीतिक तनातनी से वैश्विक बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई है.

अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर 2.0: ट्रंप ने लगाया 100% टैरिफ, जानें कब से होने जा रहा लागू
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( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 11 Oct 2025 8:17 AM

अमेरिका और चीन के बीच चल रहे आर्थिक तनाव ने अब एक नया मोड़ ले लिया है. चीन द्वारा दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Elements) के निर्यात पर नियंत्रण लगाने के फैसले ने न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया की उद्योग व्यवस्था को हिला दिया है. इन तत्वों का इस्तेमाल स्मार्टफोन, मिसाइल, इलेक्ट्रिक वाहनों और हाई-टेक चिप्स तक में होता है. चीन के इस कदम के बाद व्हाइट हाउस ने इसे सीधा ‘आर्थिक हमला’ बताया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के इस फैसले के जवाब में एक बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने घोषणा की है कि 1 नवंबर से चीन से आने वाले सभी उत्पादों पर 100% तक का टैरिफ लगाया जाएगा. यह टैक्स पहले से लागू टैरिफ के ऊपर होगा. इसके अलावा, अमेरिका ने यह भी तय किया है कि इसी तारीख से सभी सॉफ्टवेयर और टेक्नोलॉजी पर एक्सपोर्ट कंट्रोल भी लागू होगा, ताकि चीन को अमेरिकी तकनीक तक सीमित पहुंच मिले.

ट्रंप बोले- चीन ने दिखाया आक्रामक रवैया

ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीन ने दुनिया को एक बेहद शत्रुतापूर्ण संदेश भेजा है. उनका आरोप था कि बीजिंग वर्षों से इस रणनीति पर काम कर रहा था और अब वह अपनी औद्योगिक ताकत का इस्तेमाल वैश्विक दबदबा बढ़ाने में कर रहा है. उन्होंने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और नैतिक रूप से भी गलत है.

चीन ने जोड़े 5 नए रेयर एलिमेंट्स

बीजिंग ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स की सूची में पांच नए तत्व- होल्मियम, एर्बियम, थ्यूलियम, यूरोपियम और यटरबियम जोड़ दिए हैं. अब इनका खनन, शोधन और निर्यात केवल सरकारी अनुमति से ही संभव होगा. इससे अमेरिकी रक्षा, ऑटो और सेमीकंडक्टर कंपनियों के लिए सप्लाई चेन का संकट गहरा सकता है. चीन का दावा है कि यह कदम “राष्ट्रीय सुरक्षा” के तहत उठाया गया है ताकि संवेदनशील तकनीकों का दुरुपयोग न हो.

स्मार्टफोन से फाइटर जेट तक – हर क्षेत्र पर असर

अमेरिका के टेक और डिफेंस सेक्टर में इस फैसले के बाद हलचल मच गई है. एपल, टेस्ला और लॉकहीड मार्टिन जैसी कंपनियों ने चेतावनी दी है कि चीन की सप्लाई रुकने से उत्पादन प्रभावित होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका फिलहाल रेयर अर्थ एलिमेंट्स के लिए 80% तक चीन पर निर्भर है, और वैकल्पिक स्रोत विकसित करने में कम से कम 3–5 साल लग सकते हैं.

एपीईसी शिखर सम्मेलन से पहले तनाव चरम पर

इसी बीच, नवंबर के अंत में दक्षिण कोरिया में होने वाले एपीईसी (APEC) सम्मेलन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात प्रस्तावित है. हालांकि ट्रंप ने कहा कि “बैठक रद्द नहीं की गई है, लेकिन यह देखना होगा कि हालात क्या मोड़ लेते हैं.” विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात वैश्विक अर्थव्यवस्था के भविष्य को तय करने वाली साबित हो सकती है.

निवेशकों में अनिश्चितता

चीन के इस फैसले के बाद अमेरिकी स्टॉक मार्केट में भारी गिरावट दर्ज की गई. वहीं एशियाई बाजारों में भी अनिश्चितता का माहौल है. एनर्जी और टेक शेयरों में तेज गिरावट आई है. विश्लेषकों का कहना है कि अगर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता रहा, तो यह ‘ट्रेड वॉर 2.0’ की शुरुआत हो सकती है.

ट्रंप का टैरिफ दबाव नहीं, उल्टा असर करेगा

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का 100% टैरिफ लगाने का फैसला घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ा सकता है. अमेरिकी कंपनियों को उत्पादन लागत में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ेगा, जिसका असर आम उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा. वहीं चीन के पास अब भी इन तत्वों की वैकल्पिक सप्लाई रोकने का बड़ा हथियार है, जो अमेरिका के लिए लंबी अवधि में और बड़ी चुनौती बन सकता है.

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