ईंट-पत्थर नहीं, बीयर की बोतलों से बना दिया मंदिर, 40 साल से भी पुराना दिलचस्प किस्सा; ऐसे आया आइडिया
मंदिर बनाने के लिए तरह-तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी बोतलों का मंदिर देखा है, वो भी बीयर की बोतलों से बना? ऐसा मंदिर जहां ढक्कनों तक से दीवारें सजाई गई हैं, जिसे देख हर कोई हैरान है.
आप खाली बोतलों का क्या करते हैं? यकीनन फेंक देते होंगे. इसके कारण कचरा बढ़ता है और गंदगी फैलती है, लेकिन थाईलैंड में कुछ अलग कारनामा कर दिखाया. जहां अक्सर ईंट-पत्थर से मंदिर बनाए जाते हैं. वहीं, यहां के लोगों ने बीयर की बोतलों का इस्तेमाल किया.
थाईलैंड के सिसाकेत प्रांत में बैंकॉक से करीब 500 किलोमीटर दूर एक ऐसा मंदिर है जिसे देखकर हर कोई चौंक जाता है. इस मंदिर की खास बात ये है कि इसे ईंट-पत्थर से नहीं, बल्कि खाली बीयर की बोतलों से बनाया गया है. इस अनोखे मंदिर का नाम 'वाट पा महा चेदी काऊ' है. चलिए जानते हैं कहां से आया ये आइडिया?
कैसे आया यह कमाल का विचार?
यह बात साल 1984 की बात है. थाईलैंड के सिसाकेत प्रांत में कुछ बौद्ध भिक्षु गांवों में फैले कूड़े-कचरे को देखकर परेशान हो गए. उन्हें यह सब बहुत खराब लगने लगा. तभी उनके प्रधान भिक्षु, फ्रा ख्रु विवेक धर्मजहन को एक खास आइडिया आया. क्यों न इस बेकार चीज़ को किसी काम की चीज़ में बदला जाए? उन्होंने लोगों से बीयर की बोतलें देने के लिए कहा.
100 बीयर बोतलों की दीवार से शुरुआत
'दीवार पर 100 बीयर बोतलें' नाम की एक छोटी सी चुनौती शुरू की. इसके लिए गांव के एक पुराने और सुनसान कब्रिस्तान को चुना गया. भिक्षुओं ने आसपास के लोगों और दुकानों से खाली बीयर की बोतलें मांगी और फिर काम शुरू कर दिया.
15 लाख से ज़्यादा बोतलों से बना मंदिर
धीरे-धीरे हजारों बोतलें इकट्ठा हो गईं. भिक्षुओं ने उन्हें सीमेंट के साथ जोड़कर सुंदर पैटर्न में सजाया .कुछ ही सालों में वहां एक शानदार कांच का मंदिर खड़ा हो गया. इस अनोखे मंदिर को लोग 'दस लाख बोतलों का मंदिर' भी कहते हैं. इस काम के लिए हरी हेनेकेन और भूरी चांग-सिंघा जैसी बीयर की बोतलों का ज़्यादा इस्तेमाल किया गया. इतना ही नहीं, रेलिंग, दीवारें, छत और यहां तक कि मूर्तियां भी बोतलों और उनके ढक्कनों से बनी हैं. धीरे-धीरे इतने ज़्यादा बोतलें इकट्ठा हो गईं कि एक नहीं, बल्कि करीब 20 इमारतें खड़ी कर दी गईं!
बोतल के ढक्कनों से बनी कलाकृति
जब कोई इस मंदिर के अंदर जाता है, तो वहां की दीवारों पर बनी रंग-बिरंगी डिज़ाइन दूर से मोज़ेक जैसी लगती हैं. लेकिन पास जाकर देखने पर पता चलता है कि ये डिज़ाइन बोतलों के ढक्कनों से बनाई गई हैं.
हालांकि बौद्ध धर्म में शराब पीना पाप माना जाता है, लेकिन यहां शराब की बोतलों को नया और अच्छा मकसद दिया गया है. इन बोतलों से एक शांत, सुंदर और आध्यात्मिक जगह बनाई गई. जहां लोग पूजा करने आते हैं, शांति पाते हैं. यह मंदिर सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि हमें यह सिखाता है कि कचरा भी अगर सही सोच और मेहनत से इस्तेमाल किया जाए, तो वो सुंदरता और आस्था की मिसाल बन सकता है.





