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टूटी खिड़कियां, बहा हुआ कैंप... और एक अधूरी पुकार- मेरी बेटी यहीं थी; टेक्सास में 750 बच्चियों में से 27 अब भी गायब, 32 की मौत

टेक्सास की ग्वाडालूप नदी में आई भयावह बाढ़ ने कैंप मिस्टिक में कहर मचा दिया, जहां 750 बच्चों में से 27 लड़कियां अब भी लापता हैं. एक पिता, माइकल, अपनी 8 साल की बेटी की तलाश में मलबे में भटकते पाए गए, जिन्हें बस उसकी चीजें मिलीं, बेटी नहीं. इस हादसे में अब तक 32 लोगों की मौत हो चुकी है, और राहत टीमें हेलिकॉप्टर, ड्रोन और नावों से तलाश में जुटी हैं. लोग अब भी चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

टूटी खिड़कियां, बहा हुआ कैंप... और एक अधूरी पुकार- मेरी बेटी यहीं थी; टेक्सास में 750 बच्चियों में से 27 अब भी गायब, 32 की मौत
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( Image Source:  AI )

Texas flood 2025: अमेरिका के टेक्सास शहर में ग्वाडालूप नदी के किनारे बसे ईसाई समर कैंप ‘कैंप मिस्टिक’ में आई भयानक बाढ़ में कई परिवारों की दुनिया बह गई. बारिश की हल्की फुहारों में एक पिता मलबे और कीचड़ के बीच अपनी आठ साल की बेटी की तलाश में भटकता रहा. "मेरी बेटी यहीं थी..." 40 वर्षीय माइकल की ये टूटी हुई आवाज़ हर उस माता-पिता के दिल में उतरती है, जो अपने बच्चे को खोने का सिर्फ डर ही महसूस कर सकते हैं. वह टूटी खिड़कियों वाले एक केबिन में पहुंचा, जहां उसे अपनी बच्ची का नाम लिखा हुआ तौलिया मिला, एक कंगन और एक धुंधली-सी पारिवारिक तस्वीर, बस यही बचा था उसकी मासूम बच्ची की मौजूदगी का सबूत. शुक्रवार सुबह उन्हें वह कॉल आया जिसे कोई मां-बाप कभी सुनना नहीं चाहता- आपकी बेटी लापता है.

कैंप में मौजूद 750 बच्चियों में से ज़्यादातर को तो समय रहते बचा लिया गया, लेकिन तेज़ बाढ़ की चपेट में 27 लड़कियां अब भी लापता हैं. अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, उनमें से चार बच्चियों की मौत की खबर उनके परिजनों ने दी है. केर काउंटी में 32 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. अधिकारियों ने बताया कि अब तक 18 वयस्कों और 14 बच्चों की मौत हो चुकी है.

महज 45 मिनट में 26 फीट तक बढ़ गया नदी का जलस्तर

ग्वाडालूप नदी में आई बाढ से महज़ 45 मिनट में जलस्तर 26 फीट तक बढ़ गया, जिससे पेड़ उखड़ गए, गाड़ियां बह गईं और ज़िंदगियां ढह गईं. एक छोटी बच्ची को पेड़ से लटकते हुए देखा गया, जिसके बाद उसे हेलीकॉप्टर से सुरक्षित निकाला गया, लेकिन हर बच्ची इतनी किस्मत वाली नहीं थी. किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि गर्मियों की छुट्टियों का ये खूबसूरत सा कैंप पलभर में मातम का मंजर बन जाएगा. एक स्थानीय निवासी ने कहा, "ये सौ साल में एक बार आने वाली बाढ़ थी... और दुआ है कि ये दोबारा कभी न हो."

कैंप के पास ही खड़े माइकल अब भी ढहे हुए तंबुओं और गीली मिट्टी में अपनी बेटी की तलाश कर रहे हैं. उनकी आंखें थकी हैं, लेकिन दिल में अभी भी एक उम्मीद बाकी है. "मैं चमत्कार की उम्मीद करता हूं... पूरी तरह से." शायद यही उम्मीद है जो उन्हें गिरने नहीं दे रही. शायद वही चमत्कार एक बार फिर इंसानियत और भगवान के बीच पुल बने.

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