ढाका के दिल में दहशत! सोहाग की हत्या के पीछे 'एक्सटॉर्शन गैंग' का हाथ; जानें कौन है मुख्य आरोपी टाइटन गाजी
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्क्रैप कारोबारी लाल चंद उर्फ सोहाग की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है. अब तक पांच आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें मुख्य भूमिका निभाने वाला टाइटन गाजी भी शामिल है. सोहाग की हत्या को एक्सटॉर्शन रैकेट से जोड़ा जा रहा है. छात्र संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं और केस को स्पीडी ट्रायल में भेजा गया है.

बांग्लादेश की राजधानी ढाका के सबसे व्यस्त इलाकों में से एक मिटफोर्ड अस्पताल परिसर में 9 जुलाई 2025 को दिनदहाड़े स्क्रैप कारोबारी लाल चंद उर्फ सोहाग की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. शाम करीब 6 बजे के आसपास हुए इस हमले ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया. सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में ईंटों और पत्थरों से बर्बरतापूर्वक की गई हत्या ने न सिर्फ कानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया, बल्कि इस घटना का वीडियो वायरल होते ही पूरे देश ही नहीं भारत में भी गुस्से की लहर दौड़ पड़ी.
सोहाग कोई बड़ा नेता या उद्योगपति नहीं था, लेकिन मिटफोर्ड इलाके में उसने "मेसर्स सोहाना मेटल्स" के नाम से स्क्रैप का छोटा व्यवसाय शुरू किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों से वह एक संगठित जबरन वसूली गिरोह के निशाने पर था. हर महीने दो लाख टका की रंगदारी मांगी जाती थी. सोहाग के मना करने पर उसे जान से मारने की धमकी दी गई और आखिरकार सरेआम उसकी हत्या कर दी गई.
टाइटन गाजी और गिरोह का पर्दाफाश
इस केस की जांच में जब रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने तेजी दिखाई, तो टाइटन गाजी नाम का एक और बड़ा नाम सामने आया. टाइटन की गिरफ्तारी के बाद इस बात के पुख्ता संकेत मिले कि यह हत्या व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं, बल्कि एक एक्सटॉर्शन नेटवर्क का हिस्सा थी. कोर्ट ने टाइटन गाजी को पांच दिन की रिमांड पर भेजा है और पुलिस उससे गिरोह के अन्य सदस्यों के नाम जानने में जुटी है. इससे पहले चार और आरोपी महमूदुल हसन मोहिन, तारिक रहमान रॉबिन, आलमगीर और मुनीर को भी गिरफ्तार किया जा चुका है.
टाइटन गाजी: कौन है यह नया चेहरा?
टाइटन गाजी कोई सामान्य अपराधी नहीं, बल्कि इलाके में उगाही रैकेट का एक अहम नाम माना जा रहा है. वह लंबे समय से मिटफोर्ड क्षेत्र में सक्रिय था और स्थानीय युवाओं को अपने साथ जोड़कर एक संगठित गिरोह चला रहा था. पुलिस को आशंका है कि टाइटन के जरिए इस केस में कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं.
वायरल वीडियो की दहशत
घटना के बाद छात्र संगठनों और आम नागरिकों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया. उनका आरोप है कि जुबो दल जैसे राजनीतिक संगठनों के सदस्य रंगदारी के लिए काम कर रहे हैं. हत्या के बाद भी आरोपियों ने शव पर नाच कर निर्लज्जता की पराकाष्ठा कर दी. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में हमलावरों को शव को घसीटते और कूदते हुए देखा जा सकता है. यह दृश्य पूरे बांग्लादेश में आक्रोश की वजह बन गया.
होगा स्पीडी ट्रायल: सरकार
देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका दाखिल की गई है जिसमें हाई पावर्ड ज्यूडिशियल कमिशन से जांच की मांग की गई है. उधर, सरकार की ओर से लॉ एडवाइजर आसिफ नजरुल ने साफ कहा है कि इस हत्या का ट्रायल स्पीडी ट्रायल ट्रिब्यूनल के तहत चलाया जाएगा. धारा 10 के तहत तेज़ कार्रवाई के लिए केस को स्थानांतरित कर दिया गया है.
हिंदू नहीं, मुस्लिम था सोहाग
सोहाग की पहचान को लेकर भी मीडिया में कई तरह की अफवाहें फैलीं. कुछ रिपोर्ट्स में उसे हिंदू बताया गया, लेकिन द डेली स्टार की जांच में सामने आया कि वह मुस्लिम था. उसके पिता का नाम अयूब अली, मां का नाम आलिया बेगम और पत्नी का नाम लक्की बेगम बताया गया है. सोहाग के परिवार ने इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की साजिश करार दिया.
सोहाग की मौत से एक सिस्टम की पोल खुली
सोहाग की बर्बर हत्या ने यह साफ कर दिया है कि बांग्लादेश की राजधानी में भी कानून-व्यवस्था पर अपराधियों की पकड़ मजबूत हो गई है. दिनदहाड़े, भीड़ के सामने एक युवा व्यापारी की हत्या और पुलिस की शुरुआती निष्क्रियता ने सिस्टम की पोल खोल दी है. अब सवाल यह है कि क्या सरकार इस केस को एक उदाहरण बनाकर अपराधियों को कठोरतम सजा दिला पाएगी या एक और मामला न्याय की प्रतीक्षा में दब जाएगा?