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'सुसाइड डिजीज', ये क्‍या बला है? 3 साल का दर्द और लाखों खर्च करने के बाद पता चली ये बात

कई सारे ब्रेन स्कैन और ब्लड टैस्ट के बाद, उन्हें एटिपिकल ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया से पीड़ित पाया गया, जो क्लासिक ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का रेयर वेरिएंट है. इस हालत को डेंटिस्ट ने 'सुसाइड डिजीज' नाम दिया, क्योंकि इससे पीड़ित लोग बहुत ज़्यादा दर्द सहते हैं, जिससे अक्सर वे अपने दुख के खत्म होने की कामना करते हैं

सुसाइड डिजीज, ये क्‍या बला है? 3 साल का दर्द और लाखों खर्च करने के बाद पता चली ये बात
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( Image Source:  freepik )

ऑस्ट्रेलिया में एक 28 साल की महिला ने 'सुसाइड डिजीज' नाम की बीमारी की वजह से लगभग तीन साल तक बेहद दर्द सहा. उस महिला का नाम एमिली मॉर्टन है. उसके पास आगे बढ़ने के लिए सबकुछ था. महिला ने हाल ही में अपने जीवन के प्यार एंडी से शादी की थी और अपनी फैमिली आगे बढ़ाने की प्लैनिंग कर रही थी. इसके तुरंत बाद, एक दम से महिला को अपने दांतों में एक अजीब सा दर्द महसूस हुआ. डेंटिस्ट के पास जाने से भी कुछ पता नहीं चल पाया, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद महिला को दर्द बर्दाश्त के बाहर होने लगा और फिर मुंह और चेहरे के दोनों तरफ फैल गया.

24/7 दांतों में ड्रिल

मॉर्टन ने news.com.au को बताया कि- जरा सोचिए डेंटिस्ट आपके दांत में 24/7 ड्रिल कर रहा है और दर्द को रोकने के लिए आप कुछ नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि उनके चेहरे पर बिजली के झटके लगने लगे, जो उनके चेहरे को छूने वाली हर चीज से ट्रिगर हो जाते थे. बहुत से स्कैन और ब्लड टेस्ट कराने के बाद महिला को पता चला कि उन्हें एटिपिकल ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया है, जो क्लासिक ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का एक रेयर वेरिएंट है. ऐसी हालत ट्राइजेमिनल नर्व को प्रभावित करती है. मॉर्टन के मामले में दोनों तरफ दर्द होता है, जिसकी वजह से यह और भी ज्यादा परेशान करती है.

मुस्कुराने और खाने में होता दर्द, कह दिया 'सुसाइड डिजीज'

महिला ने आगे कहा- कि जब वह मुस्कुराती, बात करती और खाती तो उन्हें बहुत दर्द होता था. इतना दर्द होता था कि उन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता . इस हालत को डेंटिस्ट ने 'सुसाइड डिजीज' नाम दिया, क्योंकि इससे पीड़ित लोग बहुत ज़्यादा दर्द सहते हैं, जिससे अक्सर वे अपने दुख के खत्म होने की कामना करते हैं

इतने लाख रुपये लगाए इलाज में

इत बात का अभी भी कोई जवाब नहीं है कि मॉर्टन को यह बीमारी कब और कैसे हुई. उन्होंने अपने दर्द को रोकने के लिए बहुत से तरीके ढूंढे, हजारों डॉलर खर्च किए. साथ ही इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए अंतरराज्यीय और विदेश दोनों जगह यात्रा की है. वह अपनी मां और पति के साथ वापस चली गई, क्योंकि वह अब और काम नहीं कर सकती थी. उन्होंने अपने इलाज में ऑस्ट्रेलिया में $15,000 (लगभग 8 लाख रुपये) से अधिक खर्च किए हैं और यूरोप में वैकल्पिक उपचार भी करवाए हैं, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली.

महिला ने आगे कहा कि इस बीमारी ने 'मेरा सब कुछ छीन लिया है.' उन्होंने कहा, 'यह मेरे पूरे अस्तित्व पर हावी हो गया है.','मेरा पूरा जीवन तब तक रूका हुआ है, जब तक मैं राहत पाने के लिए कुछ ढूंढ़ क्यों नहीं लेती. मैं बस दिन-ब-दिन इसे सहती रहती हूं और उम्मीद पर टिकी रहती हूं."

नए इलाज की उम्मीद

हालांकि, एक नए इलाज के रूप में आशा की एक किरण है. ऑस्ट्रेलिया में अब MRI गाइडेड फोकस्ड अल्ट्रासाउंड नामक एक प्रक्रिया की पेशकश की जा रही है. यह तकनीक दर्द के संकेतों को बाधित करने के लिए थैलेमस नामक ब्रेन के एक क्षेत्र को टार्गेट करती है. मॉर्टन को इस प्रक्रिया के माध्यम से राहत पाने की 50/50 संभावना है.

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