सजा-ए-मौत पर शेख हसीना का आया पहला रिएक्शन- बांग्लादेश की कोर्ट को बताया पक्षपाती- यूनुस सरकार पर लगाया ये आरोप
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने खिलाफ सुनाई गई सजा-ए-मौत पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल (ICT) को “पक्षपाती” और “अवैध सरकार की कठपुतली” करार दिया. हसीना ने कहा कि यह फैसला पहले से तय था और यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें न अपनी कानूनी टीम चुनने दी गई और न ही पक्ष में सबूत पेश करने का मौका मिला. हसीना ने दोहराया-वह सही न्यायिक मंच पर आरोपों का सामना करने को तैयार हैं.
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा को सख्त शब्दों में खारिज करते हुए इसे 'रिग्ड ट्रिब्यूनल' और 'लोकतांत्रिक जनादेश से रहित अंतरिम सरकार' की उपज बताया है. हसीना ने कहा कि यह फैसला पहले से लिखी हुई राजनीतिक पटकथा का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उन्हें खत्म करना और अवामी लीग को जड़ से कमजोर करना है.
हसीना ने अपने लिखित बयान में ICT के फैसले को “कट्टरपंथी तत्वों की राजनीतिक हत्या की साजिश” बताया. उन्होंने कहा कि 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से जुड़े केस “पूरी तरह मनगढ़ंत” हैं और इन्हें जिस तरह चलाया गया, उसमें न्याय का “मूलभूत ढांचा तक मौजूद नहीं” था.
'फैसला पहले ही तय था'- हसीना का आरोप
शेख हसीना ने कहा कि उनके खिलाफ दिया गया फैसला 'सीधे-सीधे पूर्वनिर्धारित' था. उनके शब्दों में मेरे खिलाफ सुनाया गया दोषसिद्धि का फैसला पहले से ही तय था… दुनिया का कोई भी सम्मानित या पेशेवर न्यायविद बांग्लादेश ICT का समर्थन नहीं करेगा.”
उनका दावा है कि ट्रायल के दौरान उन्हें न तो अपनी पसंद की कानूनी टीम चुनने दी गई, न ही अपने पक्ष में साक्ष्य पेश करने का अवसर मिला. हसीना ने सरकार को सीधी चुनौती देते हुए कहा कि वह इस मामले को अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ले जाए, मैं अपने आरोप लगाने वालों का सामना करने से नहीं डरती, बशर्ते मामला ऐसे उचित न्यायाधिकरण में चले जहाँ सबूतों को निष्पक्ष रूप से परखा और परखा जा सके.”
मुहम्मद यूनुस सरकार पर गंभीर आरोप
हसीना ने अंतरिम सरकार और उसके प्रमुख नोबेल विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस पर न्यायपालिका का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. उनके अनुसार, यूनुस सरकार देश की विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए अदालतों का राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने दावा किया कि बांग्लादेश इस समय “अराजक, हिंसक और सामाजिक रूप से पिछड़ी” शासन व्यवस्था में बदल चुका है, जहां अल्पसंख्यकों पर हमले, असहमति का दमन और सार्वजनिक सेवाओं का पतन आम हो गया है.
2024 की हिंसा पर सफाई-'जमीनी परिस्थितियों में फैसले हुए'
प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर घातक बल प्रयोग के आरोपों पर हसीना ने कहा कि उनकी सरकार ने “अच्छी नीयत” से कार्य किया था और वास्तविक निर्णय सुरक्षा बलों ने मौके की स्थिति देखकर लिए थे. उनका आरोप है कि अभियोजन पक्ष ने “टुकड़ों में जोड़े गए और संदर्भ से बाहर लिए गए” ट्रांसक्रिप्ट का इस्तेमाल किया, जबकि उकसाने वाले तत्वों और हथियारबंद भीड़ के प्रमाणों को नजरअंदाज कर दिया गया.
मौत के आंकड़ों और जांच रोकने पर भी सवाल
शेख हसीना ने सरकार द्वारा बताए गए हताहतों के आंकड़ों पर भी आपत्ति जताई और दावा किया कि उन्होंने खुद एक स्वतंत्र न्यायिक जांच शुरू की थी, जिसे बाद में अंतरिम सरकार ने रोक दिया. हसीना ने अपने 15 वर्षीय शासन को आर्थिक विकास और मानवाधिकार सुधारों का काल बताते हुए कहा कि यूनुस सरकार “बदले की भावना से प्रेरित लोगों” के हाथों संचालित हो रही है.





