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शहबाज-एर्दोगान की दोस्ती में क्या है दाल में कुछ काला? ऑपरेशन सिंदूर का 'घाव' भरने के लिए तुर्की भागे पाक PM!

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यप एर्दोगान से इस्तांबुल में मुलाकात की. यह मुलाकात भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई, जिसमें भारत ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की, शहबाज ने तुर्की के समर्थन के लिए आभार जताया और दोनों देशों ने व्यापार, सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग को मजबूत करने पर सहमति जताई. हालांकि, इस दोस्ती को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या इसके पीछे कोई छिपा हुआ एजेंडा है.

शहबाज-एर्दोगान की दोस्ती में क्या है दाल में कुछ काला? ऑपरेशन सिंदूर का घाव भरने के लिए तुर्की भागे पाक PM!
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 27 May 2025 10:53 AM IST

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनावपूर्ण हालात के बीच इस्तांबुल में एक मुलाकात ने कूटनीतिक गलियारों में नई चर्चा को जन्म दिया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन की इस भेंट को केवल एक औपचारिक बातचीत नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया की बदलती रणनीतिक दिशा के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.

‘मेरे माई बाप’ एर्दोआन को शहबाज का सलाम

शहबाज शरीफ ने सोशल मीडिया पर एर्दोआन को 'भाई' कहकर पुकारते हुए भारत-पाक संघर्ष के दौरान समर्थन के लिए आभार जताया. इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने ट्रेड, इन्वेस्टमेंट, डिफेंस और इंटेलिजेंस साझेदारी को और मजबूत करने पर जोर दिया. शहबाज की शब्दावली ने पाकिस्तान की विदेश नीति में तुर्की के प्रभाव को उजागर कर दिया- जैसे पाकिस्तान अब चीन के अलावा तुर्की को भी कूटनीतिक छतरी मानने लगा है.

'कश्मीरी हमले' के बाद गर्म हुआ समीकरण

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में तनाव बढ़ा. भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लक्ष्यित हमले किए, जिससे दोनों देशों में चार दिन तक सैन्य टकराव चला. इसी पृष्ठभूमि में एर्दोआन ने पाकिस्तान का खुला समर्थन किया और अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग रखी.

तुर्की का गेमप्लान: पाकिस्तान के साथ रणनीतिक बंधन

तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, इस मीटिंग का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, परिवहन और खुफिया सहयोग को और गहरा करना था. तुर्की-पाकिस्तान के बीच $5 बिलियन व्यापार लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति पर भी चर्चा हुई. एर्दोआन ने आतंकवाद विरोधी लड़ाई में इंटेलिजेंस शेयरिंग, ट्रेनिंग और टेक्निकल सपोर्ट पर विशेष बल दिया.

पाकिस्तान का नया कूटनीतिक झुकाव?

चीन के बाद तुर्की का समर्थन पाकिस्तान की विदेश नीति में नया संतुलन ला रहा है. भारत के साथ टकराव की स्थिति में एर्दोआन की सक्रियता ये दर्शाती है कि अंकारा अब दक्षिण एशिया में अपनी पकड़ बढ़ाना चाहता है- चाहे वह धार्मिक-सांस्कृतिक भाईचारा हो या सामरिक भागीदारी.

भारत के लिए नया सिरदर्द?

तुर्की का पाकिस्तान के पक्ष में स्पष्ट झुकाव और भारत के खिलाफ हथियारों की आपूर्ति को लेकर उठे सवाल- भले ही एर्दोआन सरकार ने इन आरोपों से इनकार किया हो- भारत के लिए एक नई कूटनीतिक चुनौती पेश करते हैं. भारत को अब तुर्की को भी अपनी रणनीतिक लिस्ट में सतर्कता के साथ देखना होगा.

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