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भगत सिंह से नफरत! आखिर लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलने पर क्‍यों राजी नहीं है पाकिस्‍तान?

Shadman Chowk Rename Shaheed Bhagat Singh: पाकिस्तान के लाहौर शहर में स्थित शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौक रखने की योजना रद्द कर दी गई है। एक रिपोर्ट में भगत सिंह को आतंकवादी बताया गया है। इस पर आम आदमी पार्टी और भाजपा ने पाकिस्तान की जमकर आलोचना की है।

भगत सिंह से नफरत! आखिर लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलने पर क्‍यों राजी नहीं है पाकिस्‍तान?
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शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौक रखने का प्लान रद्द
( Image Source:  x )

Shadman Chowk Lahore Rename Shaheed Bhagat Singh: शहीद भगत सिंह को कौन नहीं जानता. उन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए जो संघर्ष किया और जो बलिदान दिया, उसे आज भी लोग याद करते हैं... अब आप सोच रहे होंगे कि हम आज भगत सिंह की बात क्यों कर रहे हैं? आइए आपको विस्तार से बताते हैं...

दरअसल, पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक चौक है, जिसका नाम है- शादमान चौक. इस चौक का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने की मांग लंबे समय से की जा रही थी. यहां उनकी प्रतिमा लगाने की भी योजना थी. हालांकि, अब यह योजना रद्द हो गई है. पाकिस्तान के एक रिटायर सैन्य अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में भगत सिंह को आतंकवादी बताया है.

लाहौर महानगर निगम ने रद्द किया प्रस्ताव

शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने का प्रस्ताव लाहौर महानगर निगम ने रद्द कर दिया. उसने इस बारे में लाहौर हाईकोर्ट को भी अवगत करा दिया है. यह फैसला रिटायर सैन्य अधिकारी तारिक मजीद की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया.

तारिक मजीद ने भगत सिंह के बारे में क्या कहा?

तारिक मजीद ने अपनी रिपोर्ट में भगत सिंह को 'क्रांतिकारी' नहीं, बल्कि 'आतंकवादी' बताया है. उन्होंने कहा कि भगत सिंह एक आतंकवादी थे. उन्होंने एक अंग्रेज पुलिस अधिकारी की हत्या की थी. इस आरोप में उन्हें राजगुरु और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी पर लटका दिया गया.

शादमान चौक कहां है?

शादमान चौक लाहौर शहर में है. यह लाहौर सेंट्रल जेल का हिस्सा है, जहां भगत सिंह को उनके दो साथियों के साथ फांसी पर लटकाया गया था. भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 7 अक्टूबर 1930 को फांसी की सजा सुनाई गई थी. बता दें कि शादमान चौक फांसी स्थल पर ही बनाया गया है. लाहौर सेंट्रल जेल को 1961 में ध्वस्त कर दिया गया था।

शादमान चौक का केस कौन लड़ रहा?

पाकिस्तान में शादमान चौक का नाम बदलने की मांग को लेकर लंबे समय से केस लड़ने वाले वकील का नाम इम्तियाज रशीद कुरैशी है. उनके ऊपर केस की वजह से हमला भी किया गया, लेकिन इससे उनके मजबूत इरादों पर कोई असर नहीं पड़ा.

कुरैशी ने भगत सिंह से जुड़ा पहला केस कब लड़ा?

कुरैशी ने भगत सिंह से जुड़ा पहला केस मई 2013 में लड़ा. उस समय उन्होंने वकील पिता अब्दुल रशीद कुरैशी के साथ मिलकर लाहौर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की थी कि जॉन पी सॉन्डर्स (तत्कालीन सहायक पुलिस अधीक्षक) की हत्या से संबंधित 1928 के मामले को फिर से खोला जाए.

इम्तियाज रशीद कुरैशी ने क्या दलील दी?

इम्तियाज रशीद कुरैशी ने दलील दी कि इस केस में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को करीब 450 गवाहों की गवाही सुने बिना मौत की सजा सुनाई गई थी. उन्हें अपील करने का भी मौका नहीं दिया गया. सॉन्डर्स की हत्या के सिलसिले में 17 दिसंबर 1928 को अनारकली बाजार थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर में भगत सिंह का नाम शामिल नहीं था. इसलिए तीनों को निर्दोष घोषित किया जाए.

शादमान चौक का नाम बदलने की याचिका कब दायर हुई?

इम्तियाज कुरैशी ने 21 फरवरी 2018 को लाहौर हाईकोर्ट में एक और याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौक रखने की मांग की। इस मामले में पंजाब के मुख्य सचिव, डिप्टी कमिश्नर लाहौर और लॉर्ड मेयर लाहौर को प्रतिवादी बनाया गया। मामले में सुनवाई करते हुए 5 सितंबर 2018 को जस्टिस शाहिद जमील खान की कोर्ट ने लाहौर के लॉर्ड मेयर को यह निर्देश दिया कि वे शादमान चौक का नाम बदलने की याचिका पर जल्द से जल्द फैसला लें।

हालांकि, 5 साल बीतने के बावजूद जब केस में कोई प्रगति नहीं हुई तो कुरैशी ने 1 मार्च 2024 को न्यायालय की अवमानना को लेकर एक और याचिका दायर की. इसे जस्टिस शम्स महमूद मिर्जा की कोर्ट ने 4 मार्च को मंजूरी दे दी.जस्टिस मिर्जा ने मामले की सुनवाई की तारीख 8 नवंबर तय करते हुए 13 सितंबर को प्रतिवादियों को अंतिम मौका दिया.

AAP ने फैसले पर जताई कड़ी आपत्ति

आम आदमी पार्टी ने शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौक रखने के प्रस्ताव को रद्द करने पर कड़ी नाराजगी जताई है। पार्टी ने भारत सरकार से हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए लाहौर हाईकोर्ट ने भगत सिंह को आतंकवादी कहने वाली टिप्पणी को रिकॉर्ड से हटाने की भी अपील की।

आनंदपुर साहिब से AAP सांसद मलविंदर सिंह कांग ने कहा कि हम भगत सिंह का अपमान बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम उनके विचार का पालन करते हैं। उनके विचार ही हमारे मूल सिद्धांत हैं। उन्होंने पाकिस्तान के सहायक महाधिवक्ता असगर लेघारी की तरफ से की गई अपमानजनक टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटाने की मांग की।

भाजपा ने की पाकिस्तान की कड़ी आलोचना

पंजाब भाजपा के प्रवक्ता प्रीतपाल सिंह बालीवाल ने कहा कि भगत सिंह ने पाकिस्तान के अस्तित्व में आने से बहुत पहले अखंड भारत के लिए अपनी जान दे दी थी। उनका बलिदान दोनों देशों की स्वतंत्रता के लिए था। पाकिस्तान उस शहीद को बदनाम करता है, जिसने अविभाजित भारत को आजादी दिलाने के लिए अपनी जान दे दी थी।

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