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बांग्लादेश ने सत्यजीत रे का 100 साल पुराना पुश्तैनी घर गिराया, भारत ने की थी संग्रहालय बनाने की पेशकश; जानिए इसके बारे में सबकुछ

बांग्लादेश सरकार ने मैमनसिंह में सत्यजीत रे के 100 साल पुराने पुश्तैनी घर, पूर्णलक्ष्मी भवन, को ध्वस्त कर दिया, जो उनके दादा उपेंद्र किशोर रे चौधरी का था. भारत सरकार ने इसे सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक मानकर संरक्षण की अपील की थी, लेकिन बांग्लादेश ने नई इमारत के लिए इसे गिरा दिया. यह घटना भारत-बांग्लादेश के सांस्कृतिक संबंधों पर चर्चा का विषय बन गई है. कुछ लोग इसे बंगाली और भारतीय विरासत पर हमले के रूप में देख रहे हैं.

बांग्लादेश ने सत्यजीत रे का 100 साल पुराना पुश्तैनी घर गिराया, भारत ने की थी संग्रहालय बनाने की पेशकश; जानिए इसके बारे में सबकुछ
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( Image Source:  Social Media )

बांग्लादेश सरकार ने मशहूर भारतीय फिल्म निर्माता सत्यजीत रे के मैमनसिंह शहर में स्थित पुश्तैनी घर को ध्वस्त कर दिया है. यह घर, जो लगभग 100 साल पुराना था, सत्यजीत रे के दादा और प्रख्यात बंगाली साहित्यकार उपेंद्र किशोर रे चौधरी का था. इसे पूर्णलक्ष्मी भवन के नाम से जाना जाता था और पहले मैमनसिंह शिशु अकादमी के रूप में इस्तेमाल होता था. यह संपत्ति 1947 के भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद बांग्लादेश सरकार के स्वामित्व में आ गई थी.

यह घर पिछले एक दशक से जर्जर हालत में था. इसकी दीवारें ढह गई थीं और खिड़कियां-दरवाजे चोरी हो चुके थे. बांग्लादेश के बाल मामलों के अधिकारी मोहम्मद मेहेदी जमान के अनुसार, इस स्थान पर बच्चों की गतिविधियों के लिए एक नई अर्ध-कंक्रीट इमारत बनाने की योजना है, जिसके लिए पुरानी इमारत को गिराया गया.

भारत सरकार ने ध्वस्तीकरण पर जताई गहरी चिंता

भारत सरकार ने इस ध्वस्तीकरण पर गहरी चिंता और खेद व्यक्त किया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने और इमारत को संरक्षित करने की अपील की थी. भारत ने इस ऐतिहासिक संपत्ति को साहित्य संग्रहालय और भारत-बांग्लादेश की साझा सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव दिया, साथ ही मरम्मत और पुनर्निर्माण में सहयोग की पेशकश की.

ममता बनर्जी ने घटना को बताया 'बेहद दुखद और चिंताजनक'

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना को 'बेहद दुखद और चिंताजनक' बताया. उन्होंने बांग्लादेश सरकार और वहां के लोगों से इस सांस्कृतिक धरोहर को बचाने की अपील की थी. टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने भी इस कदम की निंदा की और इसे बंगाली संस्कृति पर हमला बताया. वहीं, बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इसे बंगाली विरासत पर एक और आघात करार देते हुए बांग्लादेश सरकार की जिम्मेदारी पर सवाल उठाया.

घर का था सांस्कृतिक महत्व

यह घर रे परिवार की तीन पीढ़ियों, उपेंद्र किशोर, उनके बेटे सुकुमार रे, और सत्यजीत रे, से जुड़ा था, जो बंगाली साहित्य, कला, और सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दे चुके हैं. भारत सरकार ने इसे बंगाली सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक माना और इसे संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया.

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का घर भी हो चुका है ध्वस्त

कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि यह कदम बांग्लादेश में बंगाली और भारतीय सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की एक व्यापक प्रवृत्ति का हिस्सा है, क्योंकि पहले गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का घर भी गिराया जा चुका है. X पर कुछ पोस्ट्स में इसे हिंदू-विरोधी भावना से जोड़ा गया, लेकिन यह दावा विवादास्पद है और इसकी पुष्टि के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं.

बंगाली संस्कृति और भारत-बांग्लादेश के साझा इतिहास का प्रतीक था घर

सत्यजीत रे का पुश्तैनी घर, जो बंगाली संस्कृति और भारत-बांग्लादेश के साझा इतिहास का प्रतीक था, अब ध्वस्त हो चुका है. भारत सरकार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इसे बचाने की कोशिश की, लेकिन बांग्लादेश सरकार ने प्रशासनिक स्वीकृति के साथ इसे गिराने का फैसला किया. यह घटना दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों पर चर्चा का विषय बन गई है.

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