Begin typing your search...

अमेरिका से पहला पोप बना 'मिशनरी कार्डिनल': जानिए कौन हैं रॉबर्ट फ्रांसिस प्रेवोस्ट

अमेरिकी कार्डिनल रोबर्ट फ्रांसिस प्रेवोस्ट को वेटिकन में पोप लियो XIV के रूप में चुना गया. वे इतिहास में पहले अमेरिकी पोप बने हैं. उन्होंने वर्षों तक पेरू में मिशनरी सेवा दी और वेटिकन में उच्च पदों पर कार्य किया. उनका चयन वेटिकन में सुधारवादी दिशा की निरंतरता माना जा रहा है. उन्होंने अपने पहले संबोधन में शांति, समावेशिता और न्याय पर जोर दिया.

अमेरिका से पहला पोप बना मिशनरी कार्डिनल: जानिए कौन हैं रॉबर्ट फ्रांसिस प्रेवोस्ट
X
( Image Source:  ANI )

Pope Leo XIV: वेटिकन में 8 मई की रात एक ऐतिहासिक मोड़ आया... अमेरिका से पहली बार एक पोप चुना गया... नाम है रॉबर्ट फ्रांसिस प्रेवोस्ट, जिन्हें अब आधिकारिक तौर पर पोप लियो 14वां के नाम से जाना जाएगा. लेकिन ये सिर्फ एक अमेरिकी चेहरा नहीं हैं, ये हैं चर्च के भीतर बदलाव और समावेश की एक नई लहर का चेहरा...

पेरू की गलियों से वेटिकन के सिंहासन तक

प्रेवोस्ट का जीवन सिर्फ अमेरिका के शिकागो तक सीमित नहीं रहा. 1985 में उन्होंने दक्षिण अमेरिकी देश पेरू के ग्रामीण इलाकों में बतौर मिशनरी काम शुरू किया. वहां की गरीबी, वहां का संघर्ष और वहां के लोगों से गहरा जुड़ाव ही उन्हें बाकी कार्डिनलों से अलग करता है.

रोम से दूर, लेकिन चर्च के दिल के करीब

पोप फ्रांसिस ने उन्हें चर्च की सबसे ताकतवर कमेटियों में से एक, डिकैस्टरी फॉर बिशप्स का मुखिया बनाया था. यही समिति तय करती है कि दुनियाभर में नए बिशप कौन होंगे. यह भूमिका प्रेवोस्ट को चर्च के अंदरुनी तंत्र से सीधा जोड़ती है, और यही अनुभव अब उन्हें पोप की कुर्सी तक ले आया.

‘अमेरिकी कम, वैश्विक ज्यादा’

इटली के बड़े अखबार ला रिपब्लिका ने उन्हें "अमेरिकियों में सबसे कम अमेरिकी" कहा, यानी एक ऐसा व्यक्तित्व जो ताकत से नहीं, समझदारी से नेतृत्व करता है. प्रेवोस्ट का नजरिया वैश्विक है, भाषा कौशल जबरदस्त है, और वो ‘क्यूरिया’ (चर्च की नौकरशाही) के भीतर भी एक संतुलनकारी शक्ति माने जाते हैं.

नज़र पंथ से आगे की सोच पर

रॉबर्ट फ्रांसिस प्रेवोस्ट कैनन लॉ (चर्च का कानून) में पीएचडी हैं. ऐसे में उनके पोप बनने से रूढ़िवादी कार्डिनलों को भी राहत है कि धार्मिक अनुशासन बना रहेगा. लेकिन उनका असली फोकस है वर्तमान दुनिया की ज़रूरतों को समझते हुए बदलाव को अपनाना. उनके एक ताजा इंटरव्यू में कही ये बात चर्च की आगे की दिशा साफ कर देती है, "हम रुक नहीं सकते, पीछे नहीं जा सकते. हमें देखना होगा कि आज और कल की दुनिया में पवित्र आत्मा चर्च को किस दिशा में ले जाना चाहती है.''

संख्याएं नहीं, संवेदनाएं

  • जन्म: 14 सितंबर 1955, शिकागो
  • शिक्षा: गणित में डिग्री (Villanova University), डिविनिटी में मास्टर्स, रोम से कैनन लॉ में डॉक्टरेट
  • भाषाएं: स्पेनिश, अंग्रेज़ी, इटैलियन, फ्रेंच
  • मिशनरी कार्य: 10 साल पेरू के गांवों में
  • 2014: फ्रांसिस द्वारा पेरू के चिकलायो डायोसीज का अपोस्टोलिक एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त
  • 2023: कार्डिनल बनाकर डिकैस्टरी फॉर बिशप्स का प्रमुख नियुक्त

लैटिन अमेरिका से गहरा रिश्ता

प्रेवोस्ट केवल वेटिकन तक सीमित नहीं हैं. वे पोंटिफिकल कमीशन फॉर लैटिन अमेरिका के अध्यक्ष भी हैं, यानी लैटिन दुनिया की समस्याओं और संस्कृति को वो बखूबी समझते हैं.

वर्ल्‍ड न्‍यूज
अगला लेख