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नए पोप का चुनाव कैसे होता है, काले और सफेद धुएं का क्या राज है? पढ़ें हर सवाल का जवाब

कैथोलिक धर्मगुरु पोप फ्रांसिस की तबीयत इस समय ठीक नहीं है. उन्हें रोम के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उनकी हालात नाजुक बनी हुई है. इस बीच लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि नए पोप का चुनाव कैसे होता है. क्या कोई महिला भी पोप बन सकती है और काले-सफेद धुएं का क्या राज है? आइए, इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं...

नए पोप का चुनाव कैसे होता है, काले और सफेद धुएं का क्या राज है? पढ़ें हर सवाल का जवाब
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( Image Source:  ANI )

New Pope Election Process: कैथोलिक धर्मगुरु पोप फ्रांसिस इस समय अस्पताल में भर्ती हैं. उनकी हालात में सोमवार शाम को मामूली सुधार हुआ है. वेटिकन ने मंगलवार को बताया कि उन्होंने राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो परोलिन और वेनेजुएला के आर्कबिशप एडगर पेना पारा से मुलाकात की थी. पोप फ्रांसिस ने 20वीं सदी की शुरुआत में मरने वाले वेनेजुएला और इटली के दो आम लोगों को संत घोषित करने की मंजूरी दी, जबकि स्पेन, इटली और पोलैंड के 19वीं सदी के तीन पादरियों को उन्होंने संत की उपाधि देने की दिशा में पहला कदम उठाया.

पोल फ्रांसिस इटली की राजधानी रोम रोम के गेमेली अस्पताल की 10वीं मंजिल पर एक स्पेशल रूम से काम कर रहे हैं. यहां उन्हें सांस लेने में परेशानी होने के कारण 14 फरवरी को भर्ती कराया गया था . उनकी हालात अभी भी नाजुक बनी हुई है. मेडिकल टीम का कहना है कि दवायों का असर होने में अभी कुछ टाइम लगेगा. इन सबके बीच, लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पोप की नियुक्ति कैसे होती है, इनका चुनाव होता है या नहीं? आइए, इन सबके बारे में विस्तार से जानते हैं...

पोप का चुनाव कैसे होता है?

पोप का चुनाव एक जटिल और पारंपरिक प्रक्रिया है. इसमें कैथोलिक चर्च के सबसे बड़े पद के लिए एक नए नेता का चयन किया जाता है. इसके लिए एक प्रक्रिया होती है, जो कई चरणों तक चलती है.

  • कार्डिनल्स की बैठक: जब पोप की मौत होती है या वे पद छोड़ देते हैं तो कैथोलिक चर्च के सभी कार्डिनल्स रोम में इकट्ठा होते हैं. इन कार्डिनल्स में दुनियाभर के बिशप और वेटिकन के अधिकारी शामिल होते हैं, जो पोप के ही द्वारा चुने हुए होते हैं. कार्डिनल्स उच्च रैंक के पादरी होते
  • कॉन्क्लेव: नए पोप के चुनाव के लिए एक Papel कॉनक्लेव का आयोजन होता है. वेटिकन सिटी के सिस्टिन चैपल में कार्डिनल्स इकट्ठा होकर मतदान प्रक्रिया के जरिए नए पोप का चुनाव करते हैं.
  • मतदान: मतदान प्रक्रिया गोपनीय होती है. इसमें 80 साल से कम उम्र के कार्डिनल्स शामिल होते हैं, जिनका बाहरी दुनिया से कोई संबंध नहीं होता. मतदान प्रक्रिया के दौरान कार्डिनल्स सीक्रेट बैलेट यानी मतपत्रों से वोटिंग करते हैं. इसमें वे अपनी पसंद के उम्मीदवार का नाम लिखते हैं. हर दिन चार राउंड वोटिंग होती है. यह तब तक जारी रहती है, जब तक कि किसी उम्मीदवार को दो तिहाई वोट नहीं मिल जाते.
  • परिणाम- मतदान प्रक्रिया में 120 कार्डिनल शामिल होते हैं, जिसमें से तीन कार्डिनल को परिणाम का एलान करने के लिए नियुक्त किया जाता है, जो हर बैलेट के रिजल्ट को जोर से पढ़ते हैं. इस दौरान अगर किसी भी उम्मीदवार को दो तिहाई वोट नहीं मिलते तो बैलेट को स्टोव में जला दिया जाता है. अगर किसी उम्मीदवार को दो तिहाई बहुमत मिल जाता है तो कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स के डीन से पूछा जाता है कि क्या वे इसे स्वीकार करते हैं. अगर वे हां कहते हैं तो बैलेट यानी मतपत्रों को जला दिया जाता है.
  • धुएं का रंग: मतपत्रों को जलाने के बाद धुएं का रंग यदि सफेद है तो इसका मतलब है कि एक नए पोप का चयन हो गया है. वहीं, अगर धुआं काला है, तो इसका मतलब है कि अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है.
  • पोप की घोषणा: जब नए पोप को चुन लिया जाता है तो उन्हें सिस्टिन चैपल की बालकनी से आम लोगों के सामने पेश किया जाता है.

पोप बनने की क्या हैं शर्तें?

कोई पुरुष ही पोप बन सकता है. इसके लिए कोई उम्रसीमा तय नहीं की गई है. पोप फ्रांसिस को 76 साल, जबकि उनके पहले पोप बेनेडिक्ट 16वें को 78 साल की उम्र में चुना गया था.

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