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तालिबान का तुगलकी फरमान: अफगानिस्तान में बच्चों के पोलियो टीकाकरण पर रोक, नहीं मान रहे UN की बात

तालिबान ने अफगानिस्तान में सभी पोलियो टीकाकरण अभियानों पर रोक लगा दी है। संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को यह जानकारी दी। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि उन्हें सितंबर के टीकाकरण अभियान से कुछ दिन पहले ही निलंबन के बारे में जानकारी दी गई। हालांकि इसकी कोई ऑफ़िशियल जानकारी नहीं दी गई है। इसपर तालिबान ने कोई टिप्पणी नहीं की।

तालिबान का तुगलकी फरमान: अफगानिस्तान में बच्चों के पोलियो टीकाकरण पर रोक, नहीं मान रहे UN की बात
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Photo- ANI
नवनीत कुमार
by: नवनीत कुमार

Updated on: 17 Sept 2024 8:14 PM IST

तालिबान ने अफगानिस्तान में सभी पोलियो टीकाकरण अभियानों पर रोक लगा दी है। संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को यह जानकारी दी। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि उन्हें सितंबर के टीकाकरण अभियान से कुछ दिन पहले ही निलंबन के बारे में जानकारी दी गई। हालांकि इसकी कोई ऑफ़िशियल जानकारी नहीं दी गई है। इसपर तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार ने भी फ़िलहाल कोई टिप्पणी नहीं की।

दुनिया के दो देश अफगानिस्तान और पाकिस्तान हैं जहां पोलियो का प्रसार खत्म नहीं हो पाया है। अफगानिस्तान में पोलियो उन्मूलन की लगातार कोशिशें हुई हैं। इसके बावजूद देश अभी तक पूरी तरह से इससे मुक्त नहीं हो पाया है।

पिछले तीन साल में देश में पोलियो के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। अब तक 16 अफगान प्रांत बीमारी से प्रभावित हुए हैं, जहां वाइल्ड पोलियो वायरस टाइप 1 के कुल 56 मामले सामने आए हैं। अफगानिस्तान का दक्षिणी क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां देश के कुल पोलियो मामलों में से 66% सामने आए।

यूनिसेफ, लोक स्वास्थ्य मंत्रालय (MOPH), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर आपातकालीन परिचालन केंद्र (EOC) के माध्यम से नए तरीकों की खोज कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक बच्चे तक टीके पहुंचें।

अब अफगानिस्तान में पोलियो को खत्म करने की जारी लड़ाई को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।

पोलियो कर्मी और सुरक्षाकर्मी पर होता है हमला

हाल ही में पख्तूनख्वा प्रांत में बंदूकधारियों ने पोलियो टीकाकरणकर्ताओं के साथ सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी। इस तरह का हमला होना आम बात है। लोगों का मानना है कि पोलियो पीने से बच्चों में कई बीमारी उत्पन्न हो जाती है। इस समुदाय के वरिष्ठ लोग इस भ्रम को कोई दूर करने के बजाए भड़काते हैं। इसी वजह से ये हमले होते हैं और लोगों की जान जाती है।

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