पाकिस्तान प्राकृतिक संसाधनों में भी हो जाएगा गरीब! 2070 तक होगा भारी नुकसान
जलवायु परिवर्तन के कारण पाकिस्तान को प्राकृतिक संसाधनों में भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. इससे पहले से ही आर्थिक नुकसान उठा रहा पाकिस्तान प्राकृतिक संसाधनों में भी निचले स्तर पर पहुंच जाएगा. ये रिपोर्ट दुनिया में बदलते जलवायु स्थिति की है.

Pakistan may face substantial losses: पाकिस्तान प्राकृतिक संसाधनों के मामले में शुरू से ही अमीर रहा है. इसकी आर्थिक स्थिति भले ही खस्ताहाल से गुजर रही हो, लेकिन सरकार के नजरअंदाज करने के कारण इसका ठीक से कभी उपयोग नहीं किया गया. एशियाई विकास बैंक की एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण 2070 तक पाकिस्तान को कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन सहित प्राकृतिक संसाधन क्षेत्र में भारी नुकसान का खतरा हो सकता है.
एशिया-प्रशांत जलवायु रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, पाकिस्तान में इन क्षेत्रों से संयुक्त घाटा GDP का 12 प्रतिशत होने की उम्मीद है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक है. 2070 तक उच्च उत्सर्जन परिदृश्य के तहत जलवायु परिवर्तन से एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 16.9 प्रतिशत की हानि हो सकती है. इस क्षेत्र के अधिकांश भाग को 20 प्रतिशत से अधिक की हानि का सामना करना पड़ेगा.
इन देशों पर भी पड़ेगा असर
हालांकि, पाकिस्तान को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा, लेकिन कई ऐसे देश भी हैं, जो इसके चपेट में आएंगे. रिपोर्ट में कहा गया कि ये नुकसान बांग्लादेश, वियतनाम, इंडोनेशिया, भारत, बचे हुए दक्षिण-पूर्व एशिया, उच्च आय वाले दक्षिण-पूर्व एशिया, पाकिस्तान, प्रशांत क्षेत्र और फिलीपींस में केंद्रित हैं. देश को कुल मिलाकर GDP का लगभग 12 प्रतिशत नुकसान होने की उम्मीद है.
गर्मी की लहरों से लोगों के श्रम पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला है और नुकसान के मामले में दूसरे स्थान पर है या उससे भी ज़्यादा है. जबकि 2070 में श्रम उत्पादकता में कमी से सकल घरेलू उत्पाद का नुकसान इस क्षेत्र के लिए 4.9 प्रतिशत पाया गया है. पाकिस्तान उन देशों में से है जहां इसका प्रभाव 10.4 प्रतिशत होगा. भारत पर इसका प्रभाव 11.6 प्रतिशत होगा, उसके बाद वियतनाम (8 प्रतिशत) का स्थान है.
निम्न आय वाले क्षेत्रों पर गहरा असर
समुद्र-स्तर में 2070 में वृद्धि आर्थिक नुकसान का सबसे बड़ा स्रोत है, 2030 के दशक में अधिकांश आर्थिक नुकसान श्रम उत्पादकता और ऊर्जा मांग पर पड़ने वाले प्रभावों के कारण होंगे. जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा आर्थिक प्रभाव निम्न आय वाले क्षेत्रों में होगा, जैसे बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, शेष दक्षिण-पूर्व एशिया, वियतनाम और प्रशांत क्षेत्र और जहां तटीय जलप्लावन में वृद्धि होगी, वहां श्रम और प्राकृतिक संसाधन उत्पादकता कम होगी.
एडीबी ने चेतावनी दी है कि इन आपदाओं से गरीब समुदाय सबसे अधिक प्रभावित होंगे. साथ ही उसने यह भी कहा है कि जलवायु परिवर्तन से विकासशील एशिया के लोगों के जीवन स्तर में भारी बदलाव आएगा. इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव गर्मी की लहर महसूस की जाएगी, जिसके बाद वर्षा के पैटर्न में बदलाव आएगा. इससे बाढ़ का खतरा बढ़ेगा और सूखे की घटनाएं बढ़ेंगी.