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Pakistan की बौखलाहट! General Asim Munir बना Field Marshal, अब कितना पावरफुल हुआ आर्मी चीफ?

Operation Sindoor के बाद पाकिस्तान ने जिस तरह बौखलाकर General Asim Munir को Field Marshal बना दिया, वो सिर्फ एक प्रमोशन नहीं, एक छुपी हुई हार की कहानी है. PoK में भारत की सर्जिकल स्ट्राइक, पाकिस्तान की नाकामी, और अब एक symbolic "ताकत" का तमगा. जानिए क्यों General Munir का ये प्रमोशन भारत के लिए भी एक चेतावनी है. क्या अब पाकिस्तान की सेना बनी Super Government? क्या LoC पर हालात और बिगड़ सकते हैं? सारी डिटेल्स इस रिपोर्ट में

Pakistan की बौखलाहट! General Asim Munir बना Field Marshal, अब कितना पावरफुल हुआ आर्मी चीफ?
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जब एक देश जंग हारता है और अपने जनरल को प्रमोट करता है, तो समझिए हार सिर्फ मैदान में नहीं, सोच में भी हो चुकी है.

20 मई 2025, पाकिस्तान सरकार ने अपने मौजूदा आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को देश की सबसे ऊंची सैन्य उपाधि Field Marshal की रैंक से नवाज़ा. यह फैसला प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में लिया गया और राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी को भी इस फैसले में शामिल कर लिया गया.

यह घटना यूं ही नहीं घटी. इसके पीछे की टाइमलाइन, भारत की सैन्य कार्रवाई और पाकिस्तान की बौखलाहट – सब कुछ एक दूसरे से जुड़े हैं.

Operation Sindoor से बौखलाया पाकिस्तान

6–7 मई 2025 की रात को भारत ने ‘Operation Sindoor’ को अंजाम दिया - जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब, जिसमें कई श्रद्धालु मारे गए थे. इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान और PoK में मौजूद 9 आतंकी लॉन्च पैड्स को सटीक हमलों में तबाह किया.

इसके बाद पाकिस्तान ने 8–9 मई को ड्रोन और मिसाइल हमलों से जवाब देने की कोशिश की, जिन्हें भारतीय वायुसेना और AD (Air Defence) ने नाकाम कर दिया.

इन तमाम झड़पों के बाद, 10 मई को सीज़फायर की घोषणा हुई. लेकिन भारत ने दो टूक कह दिया -“कोई बातचीत नहीं होगी”

Field Marshal: एक ताकतवर तमगा

Field Marshal सेना की 5-Star रैंक होती है - इसका मतलब है कि यह व्यक्ति न केवल आर्मी चीफ के ऊपर होता है, बल्कि पूरे सैन्य बल का सर्वोच्च रणनीतिक प्रमुख माना जाता है.

इस रैंक को पाने वाला अफसर:

  • प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का मुख्य सैन्य सलाहकार बनता है.
  • राष्ट्रीय सुरक्षा, युद्ध नीति और सीमाई रणनीतियों में अंतिम शब्द उसी का होता है.
  • ज़रूरत पड़ने पर रक्षा मंत्री के फैसलों को भी प्रभावित कर सकता है.

भारत और अमेरिका जैसे देशों में यह रैंक ज़्यादातर ceremonial होती है — यानी सम्मान के तौर पर दी जाती है. लेकिन पाकिस्तान जैसे देशों में, जहां सेना de facto सरकार होती है, वहां यह रैंक ‘Super General’ की तरह काम करती है — जिसकी बात, कानून और संसद दोनों से ऊपर मानी जाती है.

पाकिस्तान ने अभी क्यों बनाया Field Marshal?

इस समय आसिम मुनीर को Field Marshal बनाने का एक ही तात्पर्य है - हार को सम्मान में बदलना.

  • PoK में भारत की घुसपैठी सर्जिकल स्ट्राइक ने पाकिस्तान की सैन्य प्रतिष्ठा की पोल खोल दी.
  • ISI और फौज के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं.
  • पाकिस्तान की आवाम सरकार और सेना दोनों से नाराज़ है - खासकर सिंध और बलूचिस्तान में बगावती माहौल है.
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि आतंक समर्थक देश के रूप में फिर मजबूत हुई है.

इन सबके बीच, जनरल मुनीर को Field Marshal बना देना दरअसल आत्मविश्वास की कमी को छिपाने की कोशिश है — ताकि जनता को लगे कि सेना मजबूत है, और दुश्मन को लगे कि पाकिस्तान अब पलटवार करेगा.

भारत के लिए इसके क्या मायने हैं?

1. सेना का वर्चस्व और बढ़ा

अब पाकिस्तान की सत्ता पर फौज का शिकंजा और मजबूत हो गया है. लोकतंत्र पहले ही कमजोर था, लेकिन Field Marshal के नाम पर अब जनरल मुनीर संसद और सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर खड़े हो गए हैं.

2. भारत के खिलाफ नई रणनीति का खतरा

मुनीर को भारत के खिलाफ कड़े रुख के लिए जाना जाता है. अब जब उन्हें सर्वोच्च सैन्य पद मिल चुका है, तो भारत को LoC पर Hybrid Warfare, Cyber Attacks और Proxies के ज़रिये घुसपैठ जैसी चुनौतियों का सामना करने को तैयार रहना चाहिए.

3. PoK में दबाव डालने की नीति सफल रही

भारत की सर्जिकल स्ट्राइक और कूटनीतिक आक्रामकता ने पाकिस्तान को झकझोर दिया. Operation Sindoor के बाद पाकिस्तान की ओर से किसी भी स्तर पर प्रभावी जवाब ना देना, ये दिखाता है कि भारत की नई सैन्य नीति में दम है. ऐसे में Field Marshal बनाकर पाकिस्तान अब सिर्फ प्रतीकात्मक तरीके से “Prestige” बचा रहा है.

भारत में कौन बने Field Marshal?

अब तक भारत में सिर्फ दो ही फील्ड मार्शल बने हैं — और दोनों ने राष्ट्र निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका निभाई:

Field Marshal Sam Manekshaw (1973)

1971 के युद्ध में Bangladesh की स्वतंत्रता और पाकिस्तान की ऐतिहासिक हार.

93,000 पाक सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया.

उनके शानदार नेतृत्व के लिए उन्हें 1973 में यह रैंक दी गई.

Field Marshal K.M. Cariappa (1986)

भारत के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ.

सेना को British ढांचे से निकालकर भारतीय स्वरूप दिया.

रिटायरमेंट के बाद उन्हें यह रैंक भारत सरकार द्वारा सम्मानस्वरूप दी गई.

भारत में ये रैंक युद्ध में जीत और रणनीतिक नेतृत्व के लिए दी जाती है. पाकिस्तान में, अफ़सोस, यह रैंक अब छवि सुधारने और पराजय छिपाने का औज़ार बन गया है.

एक हार, जो ताज से ढकी जा रही है

Field Marshal आसिम मुनीर का बनना कागज़ी ताकत का प्रदर्शन है — जिसका असर जमीन पर उतना नहीं दिखेगा, जितना मनोबल बढ़ाने के लिए दिखाया जाएगा.

भारत को इस symbolic promotion को हल्के में नहीं लेना चाहिए.

LoC पर सतर्कता, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कूटनीतिक दबाव और PoK को लेकर आक्रामक रणनीति ही इसका जवाब है.

क्योंकि असली ताकत रैंक से नहीं, रणनीति से निकलती है.

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