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जो चीज दुनिया में मचा रही धूम! उसे पाकिस्तान ने बताया 'हाराम' , पड़ोसी देश में क्यों छिड़ा इंटरनेट पर विवाद?

पाकिस्तान में इन दिनों वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (CII) के प्रमुख डॉ. रागिब नईमी ने अपने बयान में कहा कि वीपीएन का इस्तेमाल इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है. उन्होंने इसे शरिया कानून का उल्लंघन बताया.

जो चीज दुनिया में मचा रही धूम! उसे पाकिस्तान ने बताया हाराम , पड़ोसी देश में क्यों छिड़ा इंटरनेट पर विवाद?
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( Image Source:  Social Media )

पाकिस्तान में इन दिनों वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. मामला तब और गर्म हुआ जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर डोनाल्ड ट्रंप को उनकी जीत पर बधाई दी. चूंकि पाकिस्तान में एक्स को बैन कर दिया गया था, इस बात की अटकलें लगाई गईं कि शहबाज शरीफ ने यह बधाई वीपीएन के जरिए दी होगी.

काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (CII) के प्रमुख डॉ. रागिब नईमी ने अपने बयान में कहा कि वीपीएन का इस्तेमाल इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है. उन्होंने इसे शरिया कानून का उल्लंघन बताया. इस बयान के बाद से नईमी की आलोचना शुरू हो गई. डिजिटल राइट्स संगठनों ने उनके बयान का विरोध करते हुए कहा कि यह निजता की आजादी के अधिकार का उल्लंघन है.

इस्लामिक स्कॉलर का सवाल: क्यों केवल वीपीएन को निशाना बनाया जा रहा है?

जाने-माने इस्लामिक स्कॉलर मौलाना तारिक जमील ने इस मुद्दे पर कहा कि अगर अश्लील चीज का सर्च करना समस्या है, तो मोबाइल फोन को ही इस्लाम के खिलाफ घोषित कर देना चाहिए. उन्होंने पूछा कि केवल वीपीएन को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है, जबकि यह एक टेक्नोलॉजी उपकरण है, जिसे बहुत से काम के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

सरकार और संसद की भूमिका: वीपीएन पर पाबंदी की दिशा में कदम

पाकिस्तानी सांसदों ने इस विवाद में अलग-अलग राय दी है. सांसद पालवाशा खान ने बताया कि वीपीएन पर बैन के मुद्दे पर चर्चा के लिए 18 नवंबर को एक स्थायी समिति की बैठक बुलाई गई है. कुछ सांसदों का कहना है कि वीपीएन के इस्तेमाल के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी किया जाना चाहिए, जो फ्री और ऑनलाइन हो. वहीं, सांसद अल्लामा नासिर अब्बास ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह मनमाने तरीके से काम कर रही है और किसी भी चीज को गैरकानूनी घोषित कर रही है.

डिजिटल राइट्स फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक निघाट डाड ने कहा कि निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि वीपीएन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल केवल विवादित सामग्री देखने के लिए नहीं, बल्कि निजी डेटा को सुरक्षित रखने और सेंसरशिप से बचने के लिए भी किया जाता है.

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