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फिर खाने-खाने को मोहताज पाकिस्तान, टमाटर 700 रुपये किलो! अफगानिस्तान ने कुछ यूं लिया बदला

पाकिस्तान में टमाटर की कीमतें इस कदर आसमान छू रही हैं कि आम आदमी की थाली तक मुश्किल से पहुंच पा रही हैं. झेलम में टमाटर 700 रुपये किलो बिकने लगे हैं, जबकि मुल्तान और लाहौर में भी दाम सरकारी रेट के तीन गुना तक बढ़ गए हैं. नागरिक बाढ़ और सप्लाई चेन टूटने के कारण महंगे टमाटर के बोझ तले दबे हैं.

फिर खाने-खाने को मोहताज पाकिस्तान, टमाटर 700 रुपये किलो! अफगानिस्तान ने कुछ यूं लिया बदला
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( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 22 Oct 2025 1:03 PM IST

पाकिस्तान में महंगाई का ऐसा तूफान उठा है कि अब टमाटर जैसी आम सब्जी भी लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही है. एक समय जो टमाटर 100 रुपये किलो में मिल जाता था, आज वही 700 रुपये किलो तक बिक रहा है. यह उछाल सिर्फ एक शहर की कहानी नहीं, बल्कि पूरे देश की रसोई की तकलीफ बन चुका है.

महंगाई की इस मार ने आम नागरिकों को झकझोर दिया है. रोज़मर्रा की जरूरतों में टमाटर का इस्तेमाल कम करने या पूरी तरह छोड़ देने की नौबत आ गई है. दुकानदारों के मुताबिक, हालिया बाढ़ और सप्लाई में भारी रुकावट के कारण थोक मंडियों में टमाटर की उपलब्धता बेहद कम हो गई है, जिसके चलते खुदरा बाजार में दाम बेकाबू हो गए हैं.

700 रुपये किलो तक पहुंची कीमत

झेलम शहर में टमाटर की कीमतों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. जहां कुछ महीने पहले टमाटर 100 रुपये किलो बिक रहा था, वहीं अब उसका दाम 700 रुपये किलो तक पहुंच गया है. स्थानीय नागरिकों का कहना है कि रोज़मर्रा की दाल-सब्जी बनाना मुश्किल हो गया है.

गुजरांवाला-फैसलाबाद में भी हालात बेकाबू

गुजरांवाला में टमाटर 575 रुपये किलो तक पहुंच गया है. व्यापारी कहते हैं कि बाढ़ ने खेतों में तबाही मचा दी, जिससे फसलें बर्बाद हो गईं. थोक बाजारों में माल की कमी ने खुदरा दुकानदारों को भी मुश्किल में डाल दिया है. फैसलाबाद में भी यही कहानी है, जहां पहले टमाटर 160 रुपये किलो बिकता था, अब वही 500 रुपये किलो में मिल रहा है. उपभोक्ताओं के लिए यह एक असहनीय झटका है. व्यापारी बताते हैं कि ट्रांसपोर्ट और सप्लाई चेन टूटने से बाजार में माल पहुंच ही नहीं पा रहा.

मुल्तान और लाहौर में सरकारी रेट लिस्ट बेमानी

मुल्तान में प्रशासन की सूची में टमाटर की कीमत 170 रुपये किलो तय है, लेकिन बाजार में वही टमाटर 450 रुपये किलो बिक रहा है. दुकानदारों का कहना है कि सरकारी दरें “जमीन से कटकर बनाई गई हैं” और मौजूदा बाजार स्थिति से मेल नहीं खातीं. लाहौर में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं. यहां टमाटर का दाम 400 रुपये किलो तक पहुंच गया है, जबकि सरकार का निर्धारित रेट सिर्फ 175 रुपये है. उपभोक्ताओं ने सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की है. एक नागरिक ने कहा, “हर चीज की कीमत दोगुनी हो गई है, अब सब्जियां भी सोने के भाव बिक रही हैं.”

विशेषज्ञों की चेतावनी और जनता की पुकार

विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट सिर्फ बाढ़ का असर नहीं, बल्कि आफगानिस्तान से आने वाले व्यापार में रुकावट का भी परिणाम है. आयात घटने और घरेलू फसलों के नुकसान ने बाजार में भारी कमी पैदा कर दी है. अगर सरकार ने तुरंत हस्तक्षेप नहीं किया तो आने वाले हफ्तों में हालात और बिगड़ सकते हैं. देशभर में नागरिक अब सरकार से प्राइस कंट्रोल कमेटियों को सक्रिय करने और जमाखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. जनता का कहना है कि अगर जल्द राहत नहीं मिली, तो रसोई में सिर्फ चूल्हा जलेगा, सब्जी नहीं.

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