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अब पाकिस्तान नहीं, चीन है असली टारगेट, DIA रिपोर्ट ने मानी भारत की बढ़ती सैन्य ताकत

अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी की नई रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान भारत को अस्तित्वगत खतरा मानते हुए सेना के आधुनिकीकरण और सामरिक परमाणु हथियारों पर निवेश कर रहा है. भारत चीन को मुख्य प्रतिद्वंद्वी घोषित करके हिंद-प्रशांत साझेदारियां गहरा रहा है, जबकि सीमा पार झड़पें क्षेत्रीय स्थिरता को डांवाडोल कर रही हैं. बीजिंग की सैन्य उदारता इस्लामाबाद की परमाणु क्षमता को नई गति दे रही है.

अब पाकिस्तान नहीं, चीन है असली टारगेट, DIA रिपोर्ट ने मानी भारत की बढ़ती सैन्य ताकत
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Published on: 26 May 2025 7:41 AM

अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी (DIA) की ताजा रिपोर्ट से पता चलता है कि पाकिस्तान भारत को अपनी सुरक्षा के लिए 'अस्तित्वगत खतरा' मानता है और इसीलिए वह अपनी सेना के आधुनिकीकरण और परमाणु हथियारों के विकास में निरंतर निवेश कर रहा है. यह प्रयास भारत की पारंपरिक सैन्य श्रेष्ठता को संतुलित करने की रणनीति का हिस्सा है. रिपोर्ट विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाक के बीच बढ़ती शत्रुता को वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में एक चेतावनी संकेत के रूप में देखती है.

DIA की रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा प्राथमिकताएं पाकिस्तान की बजाय अब चीन को मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानती है. रिपोर्ट में बताया गया कि भारत पाकिस्तान को एक ‘सहायक सुरक्षा समस्या’ के रूप में देखता है, जिसे नियंत्रित किया जा सकता है, जबकि चीन के साथ रणनीतिक संघर्ष एक दीर्घकालिक चुनौती बन चुका है. इसके बावजूद मई के मध्य में भारत और पाकिस्तान दोनों सेनाओं की सीमा पार सक्रियता इस बात का संकेत देती है कि दक्षिण एशिया में शांति की जमीन अभी भी नाजुक है.

चीन दे रहा पाकिस्तान को लाभ

रिपोर्ट में चीन की भूमिका को केवल क्षेत्रीय शक्ति के रूप में नहीं, बल्कि एक वैश्विक परमाणु प्रसारकर्ता के रूप में चिन्हित किया गया है. चीन ने पिछले कई वर्षों में पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को अपने बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों को मजबूत करने में सहयोग किया है. पाकिस्तान को चीन की ‘सैन्य उदारता’ का सबसे बड़ा लाभार्थी बताया गया है, जहां बीजिंग की मदद से इस्लामाबाद अपने परमाणु शस्त्रागार को न केवल सुरक्षित बनाए हुए है, बल्कि उसे आधुनिक तकनीक से भी सुसज्जित कर रहा है.

सामरिक हमलों से हिली इस्लामाबाद की नींव

10 मई को भारत द्वारा पाकिस्तान के नौ एयरबेस पर किया गया हमलावर कदम सिर्फ एक जवाबी कार्रवाई नहीं था, बल्कि एक सटीक और रणनीतिक संदेश था. विशेष रूप से नूर खान और सरगोधा जैसे एयरबेस पर हुए हमले, जहां पाकिस्तान का सामरिक योजना प्रभाग मौजूद है, इस्लामाबाद के लिए गंभीर चेतावनी थे. DIA की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम नई दिल्ली द्वारा पाकिस्तान की परमाणु प्रतिक्रिया क्षमता को समझने और चुनौती देने की एक रणनीति भी हो सकती है.

भारत का वैश्विक शक्ति उभार

भारत अब अपनी रक्षा कूटनीति को विस्तार देने में जुटा है. डीआईए रिपोर्ट बताती है कि भारत न केवल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बल्कि हिंद महासागर में भी अभ्यास, प्रशिक्षण, हथियारों की बिक्री और खुफिया साझाकरण के माध्यम से अपने प्रभाव का विस्तार कर रहा है. मेड इन इंडिया पहल के तहत घरेलू रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहन देने की नीति भारत की आत्मनिर्भर सैन्य शक्ति को बढ़ावा दे रही है. अग्नि-I प्राइम और अग्नि-V जैसी परमाणु-सक्षम मिसाइलों का परीक्षण भारत की परमाणु तिकड़ी को और भी संतुलित और प्रभावशाली बना रहा है.

भारत-चीन के बीच कंपटीशन

रिपोर्ट के अंतिम हिस्से में पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक से हुई आंशिक सैन्य वापसी का जिक्र है, जिसे सीमावर्ती तनावों में अस्थायी राहत के रूप में देखा गया है. लेकिन यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह कदम लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद का समाधान नहीं है. 2020 के गलवान संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच असहज शांति कायम है. DIA रिपोर्ट भारत की सैन्य रणनीति को अब केवल जमीन तक सीमित न मानते हुए, समुद्री और अंतरिक्ष क्षेत्रों में भी चीन को टक्कर देने वाली दिशा में उभरते हुए देखती है.

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