15 साल के नहीं हैं तो छू नहीं पाएंगे FB और Instagram, खबर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से दूरी वाली
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म छोटे बच्चों के दिमाग पर बुरा असर डाल रहे हैं. इसके कारण बच्चों का दिमाग भटक रहा है. इसलिए पूरे देश में इस विषय पर कई सख्त कदम उठाए जा रहे हैं. स्कैंडिनेवियाई देशों में सोशल मीडिया के इस्तेमाल के लिए पहले न्यूनतम आयु सीमा 13 साल है.

नॉर्वे में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए अब उम्र बढ़ाकर 15 साल कर दी है. इसका कारण बच्चों पर पड़ता बुरा असर है. नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोरे ने माना कि यह “एक कठिन लड़ाई” होगी, लेकिन उन्होंने कहा कि राजनेताओं को बच्चों को “एल्गोरिदम की पावर” से बचाने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए.
लेबर लीडर ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का उद्योग द्वारा गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. यह यूजर्स को “सिंगल माइंडेड और पैसिफाइड” बना सकता है. बता दें कि स्कैंडिनेवियाई देश में पहले से ही न्यूनतम आयु सीमा 13 साल है.
सरकार बदलेगी नियम
नॉर्वे के मीडिया अथॉरिटी की रिचर्स के अनुसार, नौ साल के आधे से ज़्यादा बच्चे, 10 साल के 58% बच्चे और 11 साल के 72% बच्चे सोशल मीडिया पर हैं. सरकार बच्चों को ऐज रिस्ट्रिक्शन से बचने से रोकने के लिए ज्यादा सेफ गार्ड बनाएंगे, जिसमें पर्सनल डेटा एक्ट में बदलाव करना शामिल है. इससे सोशल मीडिया यूजर्स को यह सहमति देने के लिए 15 साल का होना चाहिए कि प्लेटफ़ॉर्म उनके पर्सनल डेटा को संभाल सकता है और सोशल मीडिया के लिए ऐज वेरिफिकेशन बैरियर विकसित करना.
प्रधानमंत्री ने जताई चिंता
प्रधानमंत्री ने 23 अक्टूबर को समाचार पत्र वीजी को बताया, "यह काफी मजबूत संकेत भेजता है" "बच्चों को सोशल मीडिया पर हार्मफुल कंटेंट से बचाया जाना चाहिए. ये बड़े टेक जायंट हैं, जो छोटे बच्चों के दिमाग के खिलाफ़ खड़े हैं. हम जानते हैं कि यह एक कठिन लड़ाई है, क्योंकि यहां मजबूत ताकतें हैं, लेकिन यह वह जगह भी है जहां राजनीति की आवश्यकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि वे समझते हैं कि सोशल मीडिया अकेले बच्चों को एक कम्यूनिटी दे सकता है. सेल्फ-एक्सप्रेशन एल्गोरिदम की शक्ति में नहीं होनी चाहिए.
बच्चों के पेरेंट्स से की मुलाकात
"इसके विपरीत, यह आपको एकनिष्ठ और शांत बना सकता है, क्योंकि इस स्क्रीन पर सब कुछ बहुत तेज़ी से होता है." बच्चों और परिवारों के मंत्री केजेर्स्टी टोप्पे ने स्टावेंजर में बच्चों के लिए ऑनलाइन रेगुलेशन के लिए कैंपेन चलाने वाले माता-पिता से मुलाकात की. इस पर उन्होंने कहा कि इस उपाय का मकसद माता-पिता की मदद करना भी है. "यह माता-पिता को 'नहीं' कहने की सुरक्षा देने के बारे में भी है. हम जानते हैं कि बहुत से लोग वास्तव में 'नहीं' कहना चाहते हैं, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि वे ऐसा कर सकते हैं."