Nestle का बदला MFN से! स्विट्जरलैंड के इस फैसले से भारत पर कैसे और कितना पड़ेगा असर?
Switzerland on MFN: भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद स्विटजरलैंड ने भारत के साथ अपनी कर संधि में सबसे पसंदीदा राष्ट्र खंड (MFN) को निलंबित कर दिया, जिससे जनवरी 2025 से स्विटजरलैंड में भारतीय संस्थाओं के लिए इसे बढ़ाकर 10% कर दिया जाएगा.

Switzerland on MFN: स्विट्जरलैंड ने भारत को दिए सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र का दर्जा (MFN) को वापस ले लिया है. इसके जरिए भारतीय कंपनियों को अब 1 जनवरी 2025 से 10% टैक्स ज्यादा टैक्स देना होगा. इससे भारत में स्विस निवेश को प्रभावित कर सकता है और स्विट्जरलैंड में काम करने वाली भारतीय फर्मों के लिए कर बढ़ा सकता है. हालांकि, स्विट्जरलैंड के इस फैसले को भारत में नेस्ले पर दिए फैसले के विरोध में बताया जा रहा है.
Nestle स्विट्जरलैंड की कंपनी है, जिसका हेड क्वार्टर स्विट्जरलैंड के वेवे शहर में है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नेस्ले से संबंधित एक मामले में फैसला सुनाया था, जिसमें कहा था कि DTAA तब तक लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि इसे इनकम टैक्स एक्ट के तहत नोटिफाई न किया जाए. फैसले के मुताबिक, नेस्ले जैसी कंपनियों को अपने प्रॉफिट पर ज्यादा टैक्स देना होता.
Nestle के लिए अब वापस लिया
स्विस वित्त विभाग के 11 दिसंबर के बयान से ऐसा लगता है कि उनका ये फैसला पिछले साल के भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया है. स्विस वित्त विभाग ने आयकर पर दोहरे कराधान से बचने के संबंध में स्विटजरलैंड और भारत के बीच MFN क्लॉज प्रोटोकॉल के निलंबन की आधिकारिक घोषणा की.
अब भारतीय कंपनी पर टैक्स का बोझ
स्विस अधिकारियों ने MFN दर्जे को वापस लेने के लिए वेवे-आधारित नेस्ले से जुड़े एक मामले में 2023 के भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया. इस फैसले का अर्थ है कि स्विस अधिकारी 1 जनवरी, 2025 से स्विट्जरलैंड में भारतीय संस्थाओं के प्रॉफिट पर 10 प्रतिशत कर लगाएंगे.
नांगिया एंडरसन एमएंडए टैक्स पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने टिप्पणी की कि यह एकतरफा निलंबन द्विपक्षीय संधि की गतिशीलता में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है. उन्होंने कहा कि स्विट्जरलैंड में भारतीय संस्थाओं को बढ़े हुए कर दायित्वों का सामना करना पड़ सकता है, जो आज के वैश्विक संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय कर संधियों के प्रबंधन की चुनौतियों पर प्रकाश डालता है.
भारत में स्विस निवेश भी होंगे प्रभावित
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एकेएम ग्लोबल टैक्स पार्टनर, अमित माहेश्वरी ने बताया कि पारस्परिकता ने MFN वापसी के निर्णय को प्रेरित किया, जिसका उद्देश्य दोनों देशों में टैक्स पेयर के साथ एक समान व्यवहार करना है. उन्होंने कहा कि यह हाई प्रॉफिट रोक के माध्यम से भारत में स्विस निवेश को प्रभावित कर सकता है और 1 जनवरी, 2025 से कराधान MFN खंड की अनदेखी करते हुए मूल संधि दरों पर वापस आ सकता है.
जेएसए एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स पार्टनर कुमारमंगलम विजय ने ये भी कहा कि यह विशेष रूप से स्विस सहायक कंपनियों से जुड़ी ओडीआई संरचनाओं वाली भारतीय कंपनियों को प्रभावित करेगा, जिससे 1 जनवरी, 2025 से स्विस प्रॉफिट रोक कर 5 से 10 प्रतिशत हो जाएगा.