47 साल बाद नासा का वॉयजर-1 हुआ 'जिंदा', 24 अरब किमी से धरती पर भेजा सिग्नल
वॉयजर-1 ने हाल ही में एक रेडियो ट्रांसमीटर की मदद से थोड़े समय के लिए पृथ्वी से संपर्क स्थापित किया है. चौंकाने वाली बात यह है कि नासा ने एक ऐसे रेडियो एंटीना के जरिए संपर्क किया है, जिसका इस्तेमाल 1981 से नहीं किया गया था. कैलिफोर्निया में JPL के नासा इंजीनियरों ने 24 अक्टूबर को फिर से अंतरिक्ष यान से संपर्क स्थापित किया है.

नासा का वॉयजर-1 लगभग 40 सालों से अंतरिक्ष में लंबी यात्रा पर निकला हुआ है. उस समय में यह अंतरिक्ष में जाने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन गया था. वॉयजर-1 इस समय तकनीकी परेशानी से जूझ रहा है, जिसकी वजह से पृथ्वी पर वैज्ञानिकों को सही जानकारी नहीं मिल रही है.
अब जानकारी मिली है कि वॉयजर-1 ने हाल ही में एक रेडियो ट्रांसमीटर की मदद से थोड़े समय के लिए पृथ्वी से संपर्क स्थापित किया है. चौंकाने वाली बात यह है कि नासा ने एक ऐसे रेडियो एंटीना के जरिए संपर्क किया है, जिसका इस्तेमाल 1981 से नहीं किया गया था. कैलिफोर्निया में जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के नासा इंजीनियरों ने 24 अक्टूबर को फिर से अंतरिक्ष यान से संपर्क स्थापित किया है.
24 अरब किमी से अधिक दूरी पर अंतरिक्ष की यात्रा कर रहे नासा के इस अंतरिक्ष यान ने 16 अक्टूबर को अपने एक ट्रांसमीटर के बंद होने के कारण संचार में थोड़ी रुकावट का अनुभव किया था. बताया जा रहा है कि यह शटडाउन संभवतः अंतरिक्ष यान की फॉल्ट प्रोटेक्शन सिस्टम की वजह से हुआ था.
'एस बैंड' का 1981 से नहीं हुआ इस्तेमाल
वॉयजर-1 में दो रेडियो ट्रांसमीटर 'एक्स बैंड' और 'एस बैंड' लगे हैं, लेकिन सिर्फ एक का ही इस्तेमाल हो रहा है. 'एस बैंड' का इस्तेमाल 1981 से नहीं किया गया है. अभी नासा ने एक्स-बैंड ट्रांसमीटर पर वापस स्विच न करने का ऑप्शन चुना है.
मैसेज भेजने में लगते हैं 23 घंटे
नासा के अनुसार, धरती से वॉयजर 1 तक संदेश भेजने और वहां से संदेश आने में एक तरफ से लगभग 23 घंटे लगते हैं. 16 अक्टूबर को जब नासा के इंजीनियरों ने अंतरिक्ष यान को एक आदेश भेजा, तो वह 18 अक्टूबर तक इसकी प्रतिक्रिया का पता नहीं लगा सके. एक दिन बाद वॉयजर-1 के साथ कम्युनिकेशन पूरी तरह से बंद हो गया. जांच के बाद नासा की टीम ने पाया कि वॉयजर-1 के सिस्टम ने अंतरिक्ष यान को दूसरे कम-शक्ति वाले ट्रांसमीटर पर स्विच कर दिया था.
क्या था नासा का वॉयजर मिशन?
नासा ने लगभग 47 साल पहले यानी 20 अगस्त 1977 को धरती से वॉयजर मिशन को लॉन्च किया था. इसके अलावा वॉयजर-2 को भी लॉन्च किया गया था. प्रत्येक वॉयजर में एक गोल्डन रिकार्ड लगाया था. इस मिशन ने स्पेस से कई अहम जनकारियां नासा को भेजीं. वॉयजर-1 को वॉयजर-2 के बाद लॉन्च किया गया था, लेकिन तेज मार्ग के कारण यह अपने जुड़वा से पहले एस्टेरॉयड बेल्ट के पार निकल गया था. वॉयेजर मिशन के अंतरिक्ष यान बृहस्पति, शनि, यूरेनस, और नेपच्यून के पास से गुजरी और वहां की कई जानकारियां शेयर की. रिपोर्ट के अनुसार, वॉयजर का आखिरी मैसेज 14 नवंबर को मिला था.