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कहीं भी जाओ पर मेरे पास मत आओ... Microsoft के वाइस प्रेसिडेंट Google कर्मचारियों के नौकरी मांगने पर क्यों हुए परेशान?

Microsoft VP congratulates Google DeepMind: नांडो डी फ्रीटास ने एक्स पोस्ट में गूगल डीपमाइंड की कर्मचारी नीतियों की आलोचना की है. उन्होंने दावा किया कि डीपमाइंड के कर्मचारी हताश होकर उनसे संपर्क करते हैं और माइक्रोसॉफ्ट एआई में नौकरी पाने के बारे में पूछते हैं. कुछ कर्मचारियों को उनके मैनेजर यह सलाह देते हैं कि बाहर से नौकरी का ऑफर लाना ही कंपनी के अंदर प्रमोशन पाने का एक तरीका है.

कहीं भी जाओ पर मेरे पास मत आओ... Microsoft के वाइस प्रेसिडेंट Google कर्मचारियों के नौकरी मांगने पर क्यों हुए परेशान?
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( Image Source:  @TrungTPhan, )

Microsoft VP congratulates Google DeepMind: टेक दिग्गज कंपनी गूगल (Google) पिछले कई सालों से लगातार कर्मचारियों की छंटनी कर रही है, जिसके बाद संकट का सामना कर रहे लोग दूसरों से नौकरी देने की अपील कर रहे हैं. इस बीच माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) AI के वाइस प्रेसिडेंट नांडो डी फ्रीटास ने गूगल डीपमाइंड के नए एआई मॉडल की तारीफ की. हालांकि कर्मचारियों की निंदा की है.

नांडो डी फ्रीटास से गूगल डीपमाइंड के कर्मचारी लगातार नौकरी के लिए अपील कर रहे हैं. उन्होंने कहा, कहीं भी जाओ पर मेरे पास मत आओ. सोशल मीडिया पर उनका पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है. उन्होंने कड़े शब्दों में मदद करने से मना कर दिया है.

पोस्ट कर रही ये बात

नांडो डी फ्रीटास ने एक्स पोस्ट में गूगल डीपमाइंड की कर्मचारी नीतियों की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि डीपमाइंड के कई कर्मचारी उनसे मदद मांगते हैं ताकि वे अपनी नौकरी छोड़ने की कठिन शर्तों और गैर-प्रतिस्पर्धा (Non-Compete) नियमों से बच सकें. उन्होंने डीपमाइंड की नई तकनीकों की तारीफ तो की, लेकिन साथ ही कंपनी के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाए.

उन्होंने दावा किया कि डीपमाइंड के कर्मचारी हताश होकर उनसे संपर्क करते हैं और माइक्रोसॉफ्ट एआई में नौकरी पाने के बारे में पूछते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि कुछ कर्मचारियों को उनके मैनेजर यह सलाह देते हैं कि बाहर से नौकरी का ऑफर लाना ही कंपनी के अंदर प्रमोशन पाने का एक तरीका है.

फ्रीटास ने की अपील

फ्रीटास ने डीपमाइंड के कर्मचारियों से सीधे उनसे संपर्क न करने की अपील की और कहा कि वे अपनी समस्याओं को सीनियर लीडरशिप के सामने रखें. उन्होंने खासतौर पर डीपमाइंड के कोराय कवुक्चुओग्लू और डगलस एक का जिक्र किया, जो पहले भी इन नीतियों के खिलाफ अपनी राय रख चुके हैं. उन्होंने सलाह दी कि किसी भी कर्मचारी को इस तरह के सख्त अनुबंध (Contract) पर साइन नहीं करना चाहिए. खासकर यूरोप में, किसी अमेरिकी कंपनी को कर्मचारियों पर इतना नियंत्रण नहीं रखना चाहिए. उन्होंने इसे "शक्ति का दुरुपयोग" बताया.

बयान पर विवाद

डी फ्रीटास के इन बयानों के बाद टेक इंडस्ट्री में फिर से कर्मचारियों की आजादी और नौकरी बदलने के अधिकार को लेकर बहस छिड़ गई है. डीपमाइंड ने इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. दूसरी ओर माइक्रोसॉफ्ट ने कई देशों में अपने डेटा सेंटर के विस्तार की योजनाओं को कम कर दिया है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने यूके, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और अमेरिका के कई इलाकों में अपने प्रोजेक्ट्स को या तो रोक दिया है या वापस ले लिया है. माइक्रोसॉफ्ट का यह कदम बदलती हुई एआई और क्लाउड सर्विसेज की मांग को देखते हुए लिया गया है.

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