दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लगा और हट भी गया, 6 घंटे में क्या- क्या हुआ?
यून ने टीवी पर आकर इसकी घोषणा की. उन्होंने उत्तर कोरियाई समर्थक ताकतों को ख़त्म करने और संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा करने पर जोर दिया. हालांकि, इस निर्णय का देश के लोकतंत्र और शासन पर क्या असर होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है.

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल ने देश में आपातकालीन मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा कर दी है. उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों से देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम जरूरी हो गया था. यून ने टीवी पर आकर इसकी घोषणा की. उन्होंने उत्तर कोरियाई समर्थक ताकतों को ख़त्म करने और संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा करने पर जोर दिया. हालांकि, इस निर्णय का देश के लोकतंत्र और शासन पर क्या असर होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है.
इसके बाद, इन सब बवाल के बीच आखिरकार राष्ट्रपति को अपना फैसला वापस ही लेना पड़ा. देर रात उन्होंने मार्शल लॉ को वापस लेने का आदेश दे दिया. खैर ये तो बात हो गई साउथ कोरिया में कैसे मार्शल लॉ लगा और कब हटा? इस घटना के बाद मार्शल लॉ शब्द सबसे ज्यादा प्रचलन में रहा. ऐसे में इस खबर में समझेंगे कि ये मार्शल लॉ क्या है? इसके साथ ही इससे जुड़ी कई और बातों को भी बारींकियों को समझेंगे.
सेना ने संभाला मोर्चा
यून ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में मार्शल लॉ लागू करना उनका एकमात्र विकल्प था. हालांकि, उन्होंने अपने संबोधन में यह स्पष्ट नहीं किया कि इस आपातकाल के तहत कौन-कौन से उपाय किए जाएंगे. उनका कहना है कि यह कदम देश को उत्तर कोरिया समर्थक ताकतों से बचाने और उदार संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए उठाया गया है. राष्ट्रपति के ऐलान के बाद से राजधानी सियोल समेत कई बड़े शहरों में सेना ने मोर्चा संभाल लिया है.
फैसले का विपक्ष ने किया विरोध
मार्शल लॉ की घोषणा के बाद विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी ने तुरंत अपने सांसदों की एक इमरजेंसी बैठक बुलाई. माना जा रहा है कि इसमें राष्ट्रपति के कदमों और मार्शल लॉ के संभावित प्रतिबंधों पर चर्चा होगी. योनहाप समाचार एजेंसी के अनुसार, विपक्षी नेता ली जे-म्युंग ने इस घोषणा को असंवैधानिक करार दिया है. वहीं, सत्तारूढ़ पार्टी के प्रमुख हान डोंग-हून ने भी मार्शल लॉ का विरोध करते हुए इसे गलत बताया और इसे रोकने की बात कही है.
यून पर बढ़ा राजनीतिक दबाव
राष्ट्रपति यून की रूढ़िवादी पीपुल्स पावर पार्टी और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच अगले साल के बजट को लेकर गतिरोध चल रहा है. साथ ही, राष्ट्रपति की पत्नी और शीर्ष अधिकारियों से जुड़े घोटालों की स्वतंत्र जांच की मांग को खारिज करने के कारण भी यून पर राजनीतिक दबाव बढ़ा है.