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मजबूरन बाली उम्र में करनी पड़ेगी शादी! इराक में लड़कियों के लिए 'बर्बर कानून'

Iraq to amend marriage laws: इराक एक कानूनी संशोधन करने जा रहा है जो देश में महिलाओं के अधिकारों की दिशा बदल सकता है। लड़कियों के लिए शादी की सहमति की उम्र घटाकर सिर्फ़ 9 साल करने वाला विधेयक लाया गया है. संसद में रूढ़िवादी शिया गठबंधन अपनी सोच के मुताबिक देश की कमान लेने की तैयारी में है.

मजबूरन बाली उम्र में करनी पड़ेगी शादी! इराक में लड़कियों के लिए बर्बर कानून
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Iraq to amend marriage laws
( Image Source:  ANI, Canva )
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Published on: 10 Nov 2024 5:15 PM

Iraq to amend marriage laws: इराक अपने देश में एक बार फिर से बाल-विवाह को बढ़ावा देने जैसे 'बर्बर कानून' को लागू करने की ओर बढ़ रहा है. इराक लड़कियों के लिए शादी की सहमति की कानूनी उम्र घटाकर सिर्फ़ 9 साल करने जा रहा है, जिससे अधिकार सोशल एक्टिविस्ट में आक्रोश फैल गया है. इराकी संसद में रूढ़िवादी शिया मुस्लिम गठबंधन का प्रभाव बढ़ता दिख रहा है.

1959 में स्थापित कानून में अगर संशोधन पारित हो जाता है, तो महिलाएं तलाक, बच्चों की कस्टडी पाने या संपत्ति विरासत में पाने का अधिकार खो सकती हैं. ऐसे में देश की व्यवस्था में न्याय की संभावना नहीं दिखेगी. गठबंधन 188 कानून जैसे महिला अधिकार समूहों ने सरकार के प्रयासों की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं, क्योंकि यह बाल बलात्कार को वैध बनाने का प्रयास है.

महिला अधिकारों पर प्रभाव

प्रस्तावित बिल महिलाओं की कानूनी सुरक्षा के बारे में बड़ी चिंताएं पैदा करती है. चैथम हाउस के डॉ. रेनाड मंसूर ने चेतावनी दी है कि यह कदम धार्मिक अधिकार को मजबूत करने और सत्ता को मजबूत करने की व्यापक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है. सोशल एक्टिविस्ट को डर है कि संशोधन लैंगिक समानता को और कमज़ोर करेगा और सांप्रदायिक विभाजन को और बढ़ावा देगा.

बढ़ती प्रतिक्रिया और सांप्रदायिक चिंताएं

संशोधन ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफ़ी विरोध को जन्म दे दिया है. ह्यूमन राइट्स वॉच की सारा सनबर ने कहा कि ये बदलाव सामाजिक विभाजन को और गहरा करेंगे और महिलाओं को दुर्व्यवहार के प्रति कमजोर बना देंगे. आलोचकों ने यह भी बताया कि ये सुधार सांप्रदायिक प्राथमिकताओं को संस्थागत बना सकते हैं, जिससे इराक की नागरिक स्थिति कमज़ोर हो सकती है.

मानवाधिकार सलाहकार अथरा अल-हसन सहित प्रमुख आवाज़ें धार्मिक फैसलों के साथ शासन को संरेखित करने के खतरों पर ज़ोर देती हैं. कई इराकियों को चिंता है कि इससे दशकों की सामाजिक प्रगति खत्म हो सकती है और देश पीछे की ओर जा सकता है.

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