एक कौम जो 3 हज़ार साल भटकी और जिद से एक मुल्क बना लाई, कैसे बना Israel?
जब इतिहास ने एक कौम को सिर्फ़ ज़ख्म दिए… तो उसने ज़ख्मों से ही अपना मुल्क बना डाला - ये है यहूदियों की कहानी, Zionism का जुनून, और Israel की हकीकत

एक कौम... जो तूफ़ानों में भी लौ की तरह जली, मिटती रही पर बुझी नहीं. जिसका इतिहास खून और ख़ाक में दर्ज हुआ, और धर्म बना - सब्र, आंसू और उम्मीद का नाम. जिसे हर सरज़मीं ने ठुकराया, हर सदी ने सताया, लेकिन फिर भी उसके दिल में एक ख्वाब ज़िंदा रहा. वो ख्वाब था — घर का, ज़मीन का, एक ऐसी पहचान का, जो दुनिया के नक्शे पर अपनी जगह खुद बनाए. कौम का नाम - यहूदी. कहानी संघर्ष की, एक पूरी सदी की लड़ाई की.
Who are the Jews? | यहूदी कौन हैं?
यहूदी कोई सिर्फ़ जाति नहीं है...
ये एक धार्मिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक पहचान है,
जो शुरू हुई थी 3000 साल पहले -
एक इंसान से, जिसे आज तीन धर्मों के लोग पैग़ंबर मानते हैं.
हज़रत इब्राहीम. Abraham.
हां -
वही इब्राहीम,
जिन्हें यहूदी 'पितामह' मानते हैं,
ईसाई 'Father of Faith' कहते हैं,
और मुसलमान 'अब्राहिम अलैहिस्सलाम' कहते हैं.
तीनों धर्म -
Judaism, Christianity, और Islam
एक ही जड़ से फूटे हैं -
अब्राहमिक ट्रैडिशन से.
तीनों मानते हैं -
'ईश्वर एक है',
'आदर्शों की लड़ाई ही धर्म है',
और
'हम इस दुनिया में एक मक़सद लेकर भेजे गए हैं.'
Judaism: धर्म नहीं, इतिहास है
यहूदी धर्म यानी Judaism -
बस पूजा पद्धति नहीं,
यह एक संघर्ष का दर्शन है.
यहूदी मानते हैं -
'हम चुने गए हैं... ताकि हम दुनिया को रोशनी दिखा सकें.'
Chosen People - एक मिशन, एक जिम्मेदारी.
इनका धर्म, इनका इतिहास, इनकी पहचान -
Torah से निकलती है,
जो ईश्वर ने सीधे Moses (मूसा) को दी.
लेकिन मूसा भी इब्राहीम की ही परंपरा से थे -
जिससे आगे चलकर निकले Jesus Christ - ईसाईयों के मसीह,
और फिर पैग़ंबर मोहम्मद - इस्लाम के आखिरी नबी.
Jerusalem – एक ज़मीन, तीन जज़्बात
यरुशलम... कोई शहर नहीं.
ये तीनों धर्मों की धड़कन है.
यहूदी कहते हैं – 'यहीं हमारा मंदिर था. यहीं से इतिहास शुरू हुआ.'
ईसाई कहते हैं – 'यहीं मसीह सूली पर चढ़े, यहीं पुनर्जन्म हुआ.'
मुस्लिम कहते हैं – 'यहीं से मोहम्मद स्वर्ग की ओर गए - मिराज.'
Jerusalem है -
वो बिंदु जहां इतिहास, विश्वास और विवाद मिलते हैं.
The Jewish Suffering: हज़ार साल की जिल्लत
70 A.D. -
रोमन साम्राज्य ने यहूदियों का मंदिर तोड़ा,
उन्हें यरुशलम से बाहर फेंक दिया.
और शुरू हुई -
2000 साल की बेघर ज़िंदगी.
जहां भी गए - सताये गए.
यूरोप ने कहा – 'क्रूस की हत्या तुम्हीं ने की!'
आरोप, अत्याचार, नरसंहार…
Russia में Pogroms,
स्पेन में Inquisition,
जर्मनी में Holocaust...
1939–1945:
हिटलर ने 60 लाख यहूदियों को गैस चेंबर में झोंक दिया.
बच्चे, महिलाएं, बूढ़े -
कब्र नहीं मिली, सिर्फ राख मिली.
और दुनिया... चुप रही.
Zionism – जब सपनों ने हथियार उठाया
Theodor Herzl ने कहा -
'हम इंसान हैं, और इंसान का हक़ है - एक घर.'
यहीं से शुरू हुआ - Zionism
एक सपना नहीं,
एक वापसी की कसम.
'हमें वापस चाहिए -
वो ज़मीन जहां हमारा मंदिर था,
जहां हमारा मसीहा आएगा,
जहां हमारी आत्मा रुकी पड़ी है - पैलेस्टीन.'
1917: Balfour Declaration
ब्रिटिशों ने कहा -
'हम यहूदियों के लिए एक राष्ट्र बनाएंगे.'
लेकिन वही ज़मीन...
अरबों का भी घर थी.
1948: जब सपना मुल्क बना
14 मई 1948 -
David Ben-Gurion ने कहा:
'हम, यहूदी राष्ट्र, अपने पुरखों की ज़मीन पर
इज़रायल की आज़ादी की घोषणा करते हैं!'
और अगले ही दिन -
5 अरब देश हमला करने आ गए.
मिस्र, जॉर्डन, सीरिया, इराक, लेबनान.
लेकिन यहूदी झुके नहीं.
लड़े, जीते, और जिंदा बचे.
Palestine vs Israel – घर किसका?
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने कहा –
'ज़मीन बांट दो - आधा यहूदी, आधा अरब.'
यहूदियों ने मान लिया.
अरबों ने कहा –
'नहीं! ये ज़मीन हमारी है!'
यहीं से शुरू हुआ -
आज तक चलने वाला संघर्ष.
एक कहता है -
'हमसे ज़मीन छीनी गई.'
दूसरा कहता है -
'ये हमारा पुश्तैनी हक़ है.'
आज का इजरायल: Start-up Nation vs Survival Mode
इजरायल छोटा है,
लेकिन आज - AI, Defence, Cybersecurity में टॉप.
Iron Dome मिसाइल रोकता है,
लेकिन एक सवाल अब भी उड़ता है...
क्या एक मुल्क सिर्फ़ ताक़त से बनता है?
या उस ज़िद से, जो कहती है -
'घर चाहिए, चाहे जितनी भी लड़ाइयां लड़नी पड़े!'
इजरायल कोई बस मुल्क नहीं -
ये एक ज़िद है.
एक सवाल है.
एक जवाब है - उस इतिहास का जो खून से लिखा गया था.
क्योंकि कुछ देश युद्ध से नहीं,
जख़्म से बनते हैं… और जिद से टिकते हैं.