भारत में छिपीं शेख हसीना को ढूंढने मैदान में उतरा इंटरपोल, ढाका से दिल्ली तक तनी सियासी तलवार
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत में शरण लिए बैठीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का अनुरोध किया है. यह कार्रवाई पिछले साल ढाका में हिंसा और सरकार विरोधी आंदोलन के बाद की गई है. हसीना पर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में केस दर्ज है। भारत के लिए अब यह मामला कूटनीतिक और कानूनी चुनौती बन सकता है.

भारत में शरण लिए बैठीं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. बांग्लादेश सरकार ने इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की मांग की है, जिससे उन्हें भारत से वापस लाया जा सके. यह कदम पिछले साल देश में हुए हिंसक विरोधों और राजनीतिक उथल-पुथल के बाद उठाया गया है.
पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में छात्रों के आरक्षण विरोधी आंदोलन ने व्यापक रूप ले लिया था. यह आंदोलन अचानक हिंसक हो गया और राजधानी ढाका में हालात बेकाबू हो गए. इसी बीच, शेख हसीना को सुरक्षा कारणों से देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी. उनकी पार्टी अवामी लीग करीब 16 साल से सत्ता में थी, लेकिन इस आंदोलन ने सरकार की नींव हिला दी.
रेड कॉर्नर नोटिस होगा जारी?
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना और उनके कई करीबियों पर गंभीर आरोप लगाए. इंटरनेशनल क्राइम ट्राइब्यूनल में इनके खिलाफ केस दर्ज हुआ और गिरफ्तारी वारंट भी जारी कर दिए गए. अब, बांग्लादेश पुलिस ने इंटरपोल के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (NCB) के माध्यम से भारत में रह रही शेख हसीना की गिरफ्तारी के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का अनुरोध किया है.
भागे लोगों लाने में होती है आसानी: पुलिस
बांग्लादेश पुलिस का कहना है कि इंटरपोल के माध्यम से ऐसे फरार लोगों की लोकेशन ट्रेस करने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने में आसानी होती है. पुलिस मुख्यालय में सहायक महानिरीक्षक इनामुल हक सागर ने बताया कि अदालतों और अभियोजकों की अपील के आधार पर यह प्रक्रिया अपनाई जाती है. इंटरपोल की भूमिका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानून प्रवर्तन में बेहद अहम मानी जाती है.
पड़ोसी देश के रिश्ते पर पड़ेगा असर
इस घटनाक्रम से भारत-बांग्लादेश के रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है. भारत की स्थिति संवेदनशील है, क्योंकि उसने मानवीय आधार पर शेख हसीना को शरण दी थी, लेकिन अब इंटरपोल नोटिस आने की स्थिति में भारत सरकार को कानूनी और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर संतुलन बनाना होगा. इस पूरे मसले पर अभी तक भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.