UK के विश्विद्यालयों में भारतीय छात्रों की संख्या में आई गिरावट, क्या है कारण?
इंग्लैंड में भारतीय छात्रों को विश्वविद्यालयों में आवेदन करने से रोका जा रहा है. वहीं इसे लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है. जिसमें भारतीय छात्रों में सबसे अधिक गिरावट देखने को मिल रही हैं. इसके पीछे कई सुरक्षा से लेकर भ्रम जॉब सिक्योरिटी को लेकर भ्रम फैलाने जैसे अन्य कई कारण बताए गए हैं.

इंग्लैंड में भारतीय छात्रों को ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में आवेदन करने से रोका जा रहा है. इंग्लैंड में उच्च शिक्षा क्षेत्र की ओर से एक रिपोर्ट सामने आई है. इस मामले में छात्रों की वित्तीय परेशानियां बढ़ गई है. वहीं एक रिसर्च रिपोर्ट से यह सामने आया है कि भारतीय छात्रों की संख्या में 20.4 प्रतिशत की गिरावट आई है. यह संख्या 139,914 से घटकर 111,329 तक हो चुकी है.
इसपर ब्रिटेन में भारीतय छात्रों के समूह का कहना है कि नौकरी की संभावना और कुछ शहरों में हाल ही में जो आप्रवास विरोधी दंगे हुए जो सुरक्षा का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है. इसी कारण की उम्मीद इस गिरावट के आंकड़ें के लिए जताई जा रही है.
भारतीय छात्रों में आई गिरावट
वहीं सामने आई रिपोर्ट के अनुसार भारत के छात्रों में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई हैं. रिपोर्ट के अनुसार साल 2022-23 में 139,914 से घटकर 2023-24 में 111,329 हो गई है. जो 28,585 (20.4%) की गिरावट है. नाइजीरियाई छात्रों की अगर बात की जाए तो छात्र 25,897 (44.6%) घटकर 32,192 हो गए हैं, और बांग्लादेश के छात्र 5,202 (41.2%) घटकर 7,425 हो गए हैं.
इस संख्या से आश्चर्य नहीं है
वहीं INSA ने कहा कि विदेशी छात्रों को नए नियम के तहत अपने साथ पार्टनर लाने की अनुमति पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया है. वहीं भारत से छात्रों की संख्या में आई कमी को लेकर वह आश्चर्य नहीं है. आईएनएसए यूके के अध्यक्ष अमित तिवारी ने कहा, नई नीति के तहत छात्रों को अपने साथी को यूके लाने की अनुमति नहीं है और यहां की आर्थिक स्थिति और हाल ही में हुई दंगों के मामले को देखते हुए, जब तक सरकार इस मुद्दे पर बात नहीं करती, तब तक यूके के विश्वविद्यालयों के लिए संभावनाएं धूमिल हैं क्योंकि वे भारतीय छात्रों पर बहुत अधिक निर्भर हैं.
क्यों हो रही संख्या में गिरावट?
नेशनल इंडियन स्टूडेंट्स एल्यूमनी यूनियन (NISAU) यूके के अध्यक्ष सनम अरोड़ा ने बताया कि इस बैन के कई कारण हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि कंसर्वेटिव बैन, आगे की पढ़ाई के बाद वीजा, यूके में जॉब की कमी और स्किल्ड कर्मचारियों की सैलरी की सीमा जैसे कई कारण इसमें शामिल है.