ईरान से तेल खरीदा तो... US ने सभी देशों को दी चेतावनी, 'मैक्सिमम प्रेशर' क्यों चाहती है ट्रंप सरकार?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरानी तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीद पर सख्त चेतावनी जारी की है. उन्होंने कहा कि जो भी देश या व्यक्ति ईरान से तेल खरीदेगा, उस पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाए जाएंगे और वह अमेरिका से व्यापार नहीं कर सकेगा. चीन की रिफाइनरी सहित कई कंपनियां पहले ही इस कार्रवाई की चपेट में आ चुकी हैं, जिससे वैश्विक ऊर्जा बाजार पर असर दिखने लगा है.

ईरानी तेल पर अमेरिकी प्रतिबंध अब केवल एक क्षेत्रीय राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापारिक साझेदारियों की कड़ी परीक्षा बन गए हैं. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जो भी देश या व्यक्ति ईरान से तेल या पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीदेगा, उसे अमेरिका से व्यापार करने का अधिकार खोना पड़ेगा. यह चेतावनी वैश्विक तेल बाजार में नए भू-राजनीतिक तनाव को जन्म दे रही है.
ट्रंप की यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब अमेरिका पहले ही चीन की एक प्रमुख स्वतंत्र रिफाइनरी शेडोंग शेंगक्सिंग केमिकल लिमिटेड पर एक अरब डॉलर से अधिक मूल्य के ईरानी तेल की खरीद के चलते प्रतिबंध लगा चुका है. इसके साथ ही उन समुद्री जहाजों और कंपनियों को भी निशाना बनाया गया है जो कथित तौर पर ‘छाया बेड़े’ के माध्यम से तेल की आपूर्ति में शामिल हैं. यह रणनीति अब सिर्फ ईरान ही नहीं, उसके व्यापारिक साझेदारों को भी सीधे तौर पर घेरने लगी है.
ईरान को झुकाना चाहती है ट्रंप सरकार
ट्रम्प प्रशासन के इस 'मैक्सिमम प्रेशर' अभियान का उद्देश्य साफ है कि ईरान को उसके तेल राजस्व से वंचित कर उसकी क्षेत्रीय गतिविधियों और परमाणु महत्वाकांक्षाओं को सीमित करना. अमेरिका ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह प्रतिबंधों को पूरी तरह और मजबूती से लागू करेगा, भले ही उसे बड़े वैश्विक व्यापारिक खिलाड़ियों से टकराव क्यों न मोल लेना पड़े.
तेल खरीदने में हिचकिचा रहे कई देश
इस नीति का असर अब विश्व के तेल व्यापार ढांचे पर दिखने लगा है. कई देश अब अमेरिकी दबाव और व्यापारिक प्रतिबंधों के डर से ईरान से तेल खरीदने में हिचकिचा रहे हैं. यह वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को अस्थिर कर सकता है, खासकर तब जब रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य-पूर्व में अस्थिरता पहले ही कीमतों को प्रभावित कर रहे हैं.
आगे क्या होगा?
आखिरकार, यह कदम ट्रंप की व्यापारिक कूटनीति का एक और उग्र अध्याय बन गया है, जिसमें अमेरिका केवल ईरान को ही नहीं, बल्कि उसकी मदद करने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय साझेदारों को भी कठघरे में खड़ा कर रहा है. आने वाले समय में यह देखा जाना बाकी है कि क्या दुनिया अमेरिकी प्रतिबंधों के आगे झुकेगी या फिर वैकल्पिक व्यापारिक गठबंधन उभरेंगे जो वाशिंगटन के दबाव से परे रणनीति अपनाएं.