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कभी तो सीरियस हो जाओ... झूठ फैलाने में माहिर पाकिस्तान की सोशल मीडिया पर हुई फजीहत, कमेंट बंद कर भागी एयरफोर्स

पहलागाम हमले के बाद पाकिस्तान ने परमाणु धमकियों और नकली वीडियो से अपनी सैन्य ताकत का दिखावा किया, लेकिन सोशल मीडिया और OSINT विशेषज्ञों ने इन दावों की पोल खोल दी. पुराने फुटेज, वीडियो गेम सीन और अंतरराष्ट्रीय हथियार सिस्टम दिखाकर भ्रम फैलाने की कोशिश अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हास्य का विषय बन गई है. अंदरूनी अस्थिरता और आर्थिक बदहाली के चलते पाकिस्तान रणनीतिक संकट में घिरता जा रहा है.

कभी तो सीरियस हो जाओ... झूठ फैलाने में माहिर पाकिस्तान की सोशल मीडिया पर हुई फजीहत, कमेंट बंद कर भागी एयरफोर्स
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 2 May 2025 7:02 AM

पहलागाम में हुए भयावह आतंकी हमले के बाद जहां भारत रणनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर गंभीर जवाब दे रहा है, वहीं पाकिस्तान एक बार फिर अपने पुराने फॉर्मूले धमकी, भ्रम और दुष्प्रचार की ओर लौट आया है. इस बार अंतर यह है कि पाकिस्तान की ये रणनीतियां न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी विश्वसनीयता खोती जा रही हैं. भारत की ओर से तीव्र राजनयिक गतिविधियों और सुरक्षा तैयारियों के बीच पाकिस्तान की प्रतिक्रियाएं असमंजस और कमजोर मंशा की प्रतीक बन चुकी हैं.

पाकिस्तानी सेना के नेतृत्व ने हाल ही में एलओसी पर 'साहसी' दौरे का एक वीडियो शेयर किया. इस झूठ का पता चल गया और सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ा. ओपन सोर्स विश्लेषणों और भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इसे 2022 के पुराने फुटेज के रूप में बताया. यह घटना बताती है कि पाकिस्तान की सेना अब जनता के बीच अपनी छवि बचाने के लिए भी विफल प्रचार का सहारा ले रही है. इसके पीछे छिपा सच यह है कि सेना की तैयारी और संसाधन वास्तविकता में बेहद कमजोर हो चुके हैं.

वीडियो में दिखा दिया रूसी S-400

इसी क्रम में पाकिस्तान वायुसेना का वीडियो एक और शर्मनाक उदाहरण बनकर सामने आया जिसमें रूसी S-400 और SpaceX के फाल्कन 9 जैसी विदेशी संपत्तियां दिखाई गईं जो पाकिस्तान की नहीं हैं. यह प्रचार वीडियो गेम फुटेज तक का सहारा लेता दिखा, जिससे देश की सैन्य साख पर और सवाल उठे. जब दर्शकों ने इन झूठों को उजागर करना शुरू किया, तो वीडियो के कमेंट बंद कर दिए गए, जिससे यह साफ हो गया कि झूठ के सामने टिक पाना संभव नहीं.

पीएम और नेताओं के हैं अलग-अलग बयान

इन प्रचारों से इतर पाकिस्तान के मंत्रियों के बयान भी विरोधाभासों से भरे हैं. एक ओर रक्षा मंत्री और रेल मंत्री खुलेआम परमाणु युद्ध की धमकी देते हैं, वहीं प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग कर रहे हैं. यह अंतर्विरोध न केवल कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उसके भीतर फैली घबराहट को भी उजागर करता है.

सशस्त्र बलों में बढ़ रहा असंतोष

पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था इस समय गहरे मनोबल संकट से गुजर रही है. सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक पत्र, जिसमें सेना छोड़ने की अर्जी की बात की गई है, इस तनाव को दर्शाता है. हालांकि इस पत्र की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान के सशस्त्र बलों में असंतोष बढ़ रहा है, खासकर उस परिस्थिति में जब जबरन सैन्य लामबंदी से देश की चरमराती अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ पड़ रहा है.

पाक को लेकर सीरियस नहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय

अंततः, पाकिस्तान की सैन्य और कूटनीतिक स्थापना अपने ही प्रचार और आंतरिक कमजोरी के बोझ तले दबती जा रही है. भारत ने जहां संयम, सटीकता और वैश्विक समर्थन के साथ अपनी रणनीति आगे बढ़ाई है, वहीं पाकिस्तान की खोखली धमकियों और झूठे प्रचार अभियानों ने उसे रणनीतिक रूप से और भी कमजोर बना दिया है. यही कारण है कि आज अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी पाकिस्तान की बातों को गंभीरता से नहीं ले रहा. बल्कि इसे एक विफल राष्ट्र के हताश प्रयास के रूप में देख रहा है.

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