US in Debt: केवल डॉलर की भाषा समझने वाले डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिका कितने कर्ज में? Moody's के रेटिंग घटाने के बाद बढ़ी चिंता
Moody’s की चेतावनी सिर्फ एक साख की बात नहीं है, ये उस सिस्टम का संकट है जहां ट्रिलियन डॉलर की योजनाएं बनती हैं, लेकिन उन्हें चलाने के लिए खुद उधार लिया जाता है. और अब ये सवाल फिर से सामने है कि "क्या अमेरिका अब भी दुनिया का सबसे भरोसेमंद कर्जदार है?"
How much debt does America have: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बड़े बिजनेस मैन भी हैं और उनकी नीतियों में भी इसकी झलक साफ दिखती है. उनकी हर नीति में यह दिखता है कि अमेरिका में कैसे निवेश बढ़े या कैसे बाकी देशों के साथ व्यापार में संतुलन कायम किया जाए ताकि अमेरिका की अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिल सके. इसी के लिए ही वो तमाम देशों पर टैरिफ भी लगा रहे हैं. लेकिन दुनिया के इस सबसे पावरफुल और अमीर देश पर कर्ज भी दुनिया में सबसे ज्यादा है और ये बात शायद आप नहीं जानते होंगे.
केवल पैसे की भाषा समझने वाले डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिका आज खुद कर्ज के दलदल में है. एक दौर में जो देश दुनिया को कर्ज बांटता था, आज उस पर खुद 35.8 ट्रिलियन डॉलर (करीब ₹2,980 लाख करोड़) का बोझ है. और अब अमेरिका की वित्तीय विश्वसनीयता को लेकर एक नई खतरे की घंटी बजी है, Moody’s ने उसकी क्रेडिट रेटिंग को AAA से घटाकर Aa1 कर दिया है.
Moody’s की चेतावनी सिर्फ एक साख की बात नहीं है, ये उस सिस्टम का संकट है जहां ट्रिलियन डॉलर की योजनाएं बनती हैं, लेकिन उन्हें चलाने के लिए खुद उधार लिया जाता है. और अब ये सवाल फिर से सामने है कि "क्या अमेरिका अब भी दुनिया का सबसे भरोसेमंद कर्जदार है?"
एक तरफ अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज 35.8 ट्रिलियन डॉलर (लगभग ₹2,980 लाख करोड़) को पार कर चुका है, वहीं दूसरी ओर वैश्विक रेटिंग एजेंसी Moody’s ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग आउटलुक को लेकर ‘नेगेटिव’ चेतावनी जारी की है. इस दोहरे झटके ने दुनिया भर के आर्थिक विशेषज्ञों, निवेशकों और नीति निर्माताओं की चिंता और गहरा दी है.
अमेरिका का कर्ज क्यों बना वैश्विक चिंता?
- 2025 की शुरुआत में अमेरिका का कर्ज पहुंचा 35.8 ट्रिलियन डॉलर
- 2019 की तुलना में यह 31% ज्यादा, COVID के बाद खर्च बढ़ने से तेजी आई
- प्रति अमेरिकी नागरिक पर औसतन 1,06,000 डॉलर (₹88 लाख) का बोझ
- हर साल औसतन 5% की दर से कर्ज में इज़ाफा
Moody’s के अनुसार, अमेरिका का राजनीतिक नेतृत्व बजट घाटा कम करने और खर्चों पर लगाम लगाने में विफल रहा है. रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच चल रही बजटीय खींचतान और कर्ज सीमा विवाद ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है.
ये कर्ज आखिर क्यों?
जब अमेरिकी सरकार की कमाई (टैक्स व अन्य राजस्व) खर्च से कम पड़ जाती है, तब वो बजट घाटा पूरा करने के लिए बॉन्ड और सिक्योरिटी बेचकर उधार लेती है. यही उधारी साल दर साल बढ़कर आज इतने बड़े स्तर पर पहुंच चुका है.
हर अमेरिकी पर कितना कर्ज?
2024 की जनसंख्या के अनुसार हर अमेरिकी नागरिक पर औसतन 1,06,000 डॉलर (₹88 लाख रुपये से ज्यादा) का सरकारी कर्ज है. और ये आंकड़ा हर साल औसतन 5% की दर से बढ़ रहा है. दुनिया की सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्था पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है. अगर यही रफ्तार रही, तो आने वाले 10 वर्षों में कर्ज $50 ट्रिलियन के पार जा सकता है. भारत जैसे देशों के लिए भी ये एक चेतावनी है. अगर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आने वाले सालों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की नींव हिल सकती है और दुनिया की बाकी अर्थव्यवस्थाएं भी इसकी चपेट में आ सकती हैं.





