नेपाल और चीन की बढ़ रही दोस्ती! क्या BRI पर बनेगी बात? जानिए पीएम ओली की यात्रा का मकसद
नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली के रिश्ते अब चाइना से ज्यादा मजबूत होते दिख रहे हैं. उन्होंने भारत को भूल चीन यात्रा पर जाने का फैसला किया. वह 2 दिसंबर से 5 दिसंबर तक यात्रा पर हैं. अब हर कोई सोच रहा है कि चीन-नेपाल की यह बढ़ती दोस्ती के पीछे का असली मकसद क्या है.

Nepal PM Oli Visit China: भारत और नेपाल के अच्छे रिश्ते हैं. इन देश के नागरिकों को एक-दूसरे की सीमा में प्रवेश करने के लिए किसी वीजा या पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं पड़ती है. नेपाल के प्रधानमंत्री की पहली विदेश यात्रा हमेशा भारत ही होती है, लेकिन इस बार मौजूदा प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इस परंपरा को तोड़ दिया है. अब वह चीन दौरे पर हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली के रिश्ते अब चाइना से ज्यादा मजबूत होते दिख रहे हैं. उन्होंने भारत को भूल चीन यात्रा पर जाने का फैसला किया. वह 2 दिसंबर से 5 दिसंबर तक यात्रा पर हैं. अब हर कोई सोच रहा है कि चीन-नेपाल की यह बढ़ती दोस्ती के पीछे का असली मकसद क्या है.
सोमवार को हुए रवाना
पीएम ओली सोमवार को चीन की चार दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए. इस दौरान वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अहम मुद्दों पर चर्चा करते नजर आएंगे. इस संबंध में विदेश मंत्रालय ने कहा कि ओली अपने चीनी समकक्ष ली क्विंग के निमंत्रण पर बीजिंग का दौरा कर रहे हैं. बता दें कि उनके साथ उनकी पत्नी राधिका शाक्य भी गई हैं.
BRI परियोजना पर चर्चा
नेपाल और चीन के बाद बीजिंग की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजनाओं के कार्यान्वयन को लेकर एकजुट हो गए हैं. नेपाल सरकार और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-यूनाइटेड मार्क्सवादी लेनिनवादी BRI को नेपाल में सिर्फ अनुदान के आधार पर लागू किए जाने पर सहमत हो गए. बता दें कि बीआरई एक ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्ट्रैटेजी है, जिसे चीन ने 2013 में 150 से अधिक देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में निवेश करने के लिए अपनाया था. इसे जिपपिंग की विदेशी नीति का केंद्रबिंदु माना जाता है.
चीन पर लगता है ये आरोप
अक्सर आलोचक चीन पर बीआरआई में शामिल होने वाले देशों को कर्ज के जाल में फंसाने का आरोप लगाते हैं. इटली पिछले साल ही इससे बाहर निकल गया था. श्रीलंका को लोन न चुकाने की वजह से हंबनटोटा बंदरगाह चीन को पट्टे को देना पड़ा था. रिपोर्ट में दावा किया गया कि बीआरआई में बदलाव किए गए हैं और इसे नेपाल के विदेश मंत्री राणा द्वारा बीजिंग अनुमोदन के लिए चीनी समकक्ष वांग यी को सौंपा जाएगा. मंजूरी मिल जाती है तो ओली की चीन यात्रा के दौरान नए कार्यान्वयन डील पक्की हो जाएगी. नेपाल में भारत के पूर्व राजदूत रंजीत राय ने कहा कि कोई यह सुनिश्चित नहीं कर सकता कि चीन सैद्धांतिक रूप से नेपाल की शर्तों और नियमों से सहमत होगा या नहीं.
भारत ने किया BRI परियोजना का विरोध
भारत ने हमेशा से ही बीआरआई का विरोध किया है. इसकी प्रमुख परियोजना, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है. इन बातों को ध्यान में रखकर नेपाल महंगी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए आरबीआई ऋण के जरिए से चीन के असह्य ऋण में फंसने से सावधान है. राय ने कहा कि हमने बीआरआई को लेकर श्रीलंका और पाकिस्तान का हाल देखा है. ये देश भारी वित्तीय दायित्वों के अंतर्गत आ गए हैं. इसी मुद्दे को लेकर नेपाल चिंतत है. नेपाल किसी भू-रणनीतिक पहल में शामिल नहीं होना चाहता है.