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ग्रेटा थनबर्ग को इजरायल ने रोका! गाजा ले जा रहे राहत मिशन को बताया 'सेल्फी यॉट'; हिरासत में 12 एक्टिविस्ट

स्वीडिश कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और 12 स्वयंसेवकों को गाजा सहायता मिशन पर ले जा रहे जहाज 'मैडलीन' को इजरायली नौसेना ने इंटरसेप्ट कर कब्जे में ले लिया. इजरायल ने इसे "प्रचार नौटंकी" बताते हुए राहत सामग्री जब्त की, जबकि आयोजकों ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया. गाजा में मदद पहुंचाने को लेकर अब वैश्विक बहस और तेज हो गई है.

ग्रेटा थनबर्ग को इजरायल ने रोका! गाजा ले जा रहे राहत मिशन को बताया सेल्फी यॉट; हिरासत में 12 एक्टिविस्ट
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 9 Jun 2025 7:36 AM IST

एक बार फिर गाजा को लेकर मानवाधिकार और सैन्य नीति के बीच टकराव सामने आया है. इस बार केंद्र में है एक नागरिक जहाज 'मैडलीन', जो जलवायु एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग समेत 12 अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवकों को लेकर गाजा की ओर रवाना हुआ था. मिशन का मकसद था गाजा के लोगों को भोजन, दवाइयां और शिशु-फार्मूला जैसी जरूरी सामग्री गाजा पहुंचाना. लेकिन अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में ही इजरायली नौसेना ने इस जहाज को घेर लिया और अपने कब्जे में ले लिया.

इजरायल की प्रतिक्रिया ग्रेटा थनबर्ग की मौजूदगी को लेकर खास तौर पर आक्रामक रही. रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने बयान दिया कि "यहूदी विरोधी ग्रेटा और उनके दोस्त गाजा नहीं पहुंच सकते" और सेना को इस याट को किसी भी कीमत पर रोकने के आदेश दिए गए. ग्रेटा को सीधे तौर पर हमास के ‘दुष्प्रचार का हिस्सा’ बताया गया, जिससे यह विवाद केवल मानवीय मुद्दा नहीं बल्कि वैचारिक टकराव में बदल गया.

इंटरसेप्ट कर की कार्रवाई

फ्रीडम फ्लोटिला गठबंधन (FFC) का कहना है कि इजरायली सेना ने जहाज पर अवैध रूप से चढ़ाई की, चालक दल का अपहरण कर लिया और राहत सामग्री जब्त कर ली. मैडलीन के टेलीग्राम चैनल पर जारी एक वीडियो में कार्यकर्ताओं को लाइफ जैकेट पहनते और घबराए हुए देखा गया. एफएफसी के मुताबिक यह अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है, जबकि इजरायल इसे "प्रचार का हथकंडा" बता रहा है.

‘सेल्फी याट’ बनाम रियलिटी

इजरायल के विदेश मंत्रालय ने इस पूरे मिशन को "मीडिया नौटंकी" करार दिया और कहा कि यह "सेलिब्रिटीज की सेल्फी नौका" है, जो एक ट्रक से भी कम सामग्री लेकर चल रही थी. मंत्रालय ने एक्स पर पोस्ट करते हुए दावा किया कि गाजा को पहले से ही विभिन्न चैनलों से पर्याप्त सहायता मिल रही है और इस तरह के अभियानों का मकसद सिर्फ प्रचार पाना है.

पहले भी हो चुका है हमला

यह पहली बार नहीं है जब फ्रीडम फ्लोटिला को सैन्य कार्रवाई का सामना करना पड़ा हो. समूह का दावा है कि इससे पहले उनके जहाज ‘कॉन्साइंस’ पर यूरोपीय जलक्षेत्र में इजरायली ड्रोन ने बमबारी की थी, जिससे चार नागरिक घायल हो गए थे. इस इतिहास को देखते हुए FFC का कहना है कि इजरायली कार्रवाइयों की प्रवृत्ति खतरनाक और जवाबदेही से मुक्त हो गई है.

अंतर्राष्ट्रीय कानून और ICJ के आदेश

मानवाधिकार वकील हुवैदा अराफ ने स्पष्ट कहा कि इजरायल की यह कार्रवाई अंतर्राष्ट्रीय कानून और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) के गाजा में बाधारहित मानवीय पहुंच के आदेश का सीधा उल्लंघन है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह एक “मनमानी गिरफ्तारी” है और इन स्वयंसेवकों को न ही इजरायल के अधिकार क्षेत्र में गिना जा सकता है और न ही उन्हें राहत पहुंचाने के लिए अपराधी ठहराया जा सकता है.

गाजा में भीषण हालात

इस घटनाक्रम के बीच गाजा से भयावह खबरें भी आईं. हमास के नियंत्रण वाले मंत्रालय का दावा है कि रविवार को सहायता के लिए जमा हुई भीड़ पर इजरायली सैनिकों और अमेरिकी ठेकेदारों ने गोलीबारी की, जिसमें 13 फिलिस्तीनी मारे गए और 150 घायल हो गए. वहीं, इजरायल की ओर से गाजा की नाकाबंदी को ‘कानूनी’ बताते हुए किसी भी अनधिकृत जहाज के प्रवेश पर प्रतिबंध की पुष्टि की गई है.

राहत की राजनीति?

इस टकराव ने एक गहरे सवाल को जन्म दिया है कि क्या वाकई ग्रेटा थनबर्ग और उनके साथियों का मिशन सिर्फ प्रचार था या यह दुनिया की अनदेखी की जा रही त्रासदी को उजागर करने की ईमानदार कोशिश थी? वहीं, क्या इजरायल की सुरक्षा चिंताओं को मानवाधिकारों से ऊपर रखा जा सकता है? यह विवाद न केवल गाजा की घेराबंदी पर ध्यान खींचता है, बल्कि वैश्विक मानवता और राजनीतिक नियंत्रण की जटिल लड़ाई को भी उजागर करता है.

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