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'भगवान सच में है, गणित के फॉर्मूला में छिपा है रहस्‍य'; Harvard के वैज्ञानिक का अजब दावा

क्‍या भगवान सच में है? यह सवाल कई लोगों के मन में उठता रहता है. विज्ञान भी भगवान को नहीं मानता और न किसी चमत्‍कार में यकीन करता है, बल्‍क‍ि हर बात को तथ्‍यों की कसौटी पर परखने के बाद ही सही मानता है. लेकिन कुछ ऐसे भी वैज्ञानिक हैं जो ईश्‍वर के अस्तित्‍व को स्‍वीकार करते हैं.

भगवान सच में है, गणित के फॉर्मूला में छिपा है रहस्‍य; Harvard के वैज्ञानिक का अजब दावा
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 6 March 2025 5:39 PM

क्‍या आपने भगवान को देखा है? स्‍वामी विवेकानंद अपनी युवा अवस्‍था में अक्‍सर यह सवाल पूछा करते थे और इसका जवाब उन्‍हें तब मिला जब उनकी मुलाकात स्‍वामी रामकृष्‍ण परमहंस से हुई. विज्ञान चमत्‍कार पर यकीन नहीं करता और वैज्ञानिक अक्‍सर ही भगवान के अस्तित्‍व पर सवाल उठाते रहते हैं. लेकिन दुनिया में मशहूर अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी के एक वैज्ञानिक का दावा है कि भगवान सच में हैं और इसका सबूत गणित के सूत्रों यानी फॉर्मूले में छिपा है.

भौतिकविद यानी एस्‍ट्रोफिजिसिस्टि और एयरोस्‍पेस इंजीनियर डॉ. विली सून का कहना है कि साल 1928 में एंटीमैटर को लेकर जो भविष्‍यवाणी की गई थी उससे ऐसा मालूम होता है कि ब्रह्मांड को जानबूझकर डिजाइन किया गया हो.

इतना कुछ केवल संयोग से हुआ हो, ऐसा नहीं है संभव

डॉ. सून ने फाइन ट्यूनिंग आर्गुमेंट (fine-tuning argument) का हवाला दिया जिसमें माना जाता है कि ब्रह्मांड के भौतिक नियम और परिस्थितियां जीवन के अस्तित्व के लिए बिल्कुल सही हैं और यह संयोग से हुआ हो, ऐसा संभव नहीं है.

बिग बैंग के बाद एंटीमैटर और मैटर एक साथ बने, लेकिन ब्रह्मांड में एंटीमैटर कम है. एंटीमैटर में मैटर के ऑपोज़िट चार्ज होता है, इसलिए अगर वे बराबर होते, तो वे एक दूसरे को खत्‍म कर देते. इसलिए माना जाता है कि ब्रह्मांड में मैटर और एंटीमैटर के बीच का यह अंतर को ब्रह्मांड को जानबूझकर डिज़ाइन किए जाने का संकेत है.

खोज से पहले भी अस्तित्व में था एंटीमैटर

डॉ. सून ने कहा कि फिजिक्‍स या मैथ्‍स में कई बार ऐसे पल भी आते हैं जिनका जिनका वास्तविक दुनिया से कोई लेना देना नहीं होता, लेकिन फिर भी वे सच होते हैं, जैसे कैम्ब्रिज के प्रोफेसर पॉल डिराक का समीकरण जिसने भौतिकी के ज्ञात नियमों को तोड़ दिया. डिराक को 'एंटीमैटर का जनक' माना जाता है, उन्होंने गलती से पाया कि 1932 में इसकी पुष्टि होने से पहले ही यह अस्तित्व में था.

टॉप लेवल के गणितज्ञ हैं भगवान

1963 में, डिराक ने साइंस जर्नल्‍स में भगवान यानी ईश्‍वर को एक बहुत ही उच्च कोटि का गणितज्ञ (Mathematician) बताया. उन्‍होंने लिखा, 'ऐसा लगता है कि प्रकृति की मूलभूत विशेषताओं में से एक यह है कि फिजिक्‍स के फंडामेंटल नियमों को गणितीय सिद्धांत के रूप में बताया जाता है, जिन्हें समझने के लिए गणित के उच्च मानक की आवश्यकता होती है.'

उन्होंने आगे कहा, "आप सोच सकते हैं कि प्रकृति इस तरीके से क्यों बनी है? इसका एकमात्र उत्तर यही है कि हमारे वर्तमान ज्ञान के अनुसार, प्रकृति वास्तव में इसी प्रकार बनी हुई है और हमें इसे स्वीकार करना होगा."

डिराक लिखते हैं, "ऐसा कहा जा सकता है कि भगवान बहुत उच्च स्तर के गणितज्ञ हैं, और उन्होंने ब्रह्मांड की रचना के लिए बहुत उन्नत गणित का उपयोग किया है." कई विशेषज्ञों ने ब्रह्मांड में भगवान के अस्तित्व के प्रमाण खोजने का दावा किया है, जैसे रिचर्ड स्विनबर्न और रॉबिन कॉलिन्स ने "फाइन-ट्यून आर्ग्युमेंट" (Fine-Tune Argument) प्रस्तुत किया.

इन बातों पर आधारित है फाइन-ट्यून आर्ग्युमेंट

यदि गुरुत्वाकर्षण थोड़ा भी कमजोर होता, तो आकाशगंगाएं, तारे और ग्रह कभी नहीं बनते. लेकिन यदि यह अधिक मजबूत होता, तो पूरा ब्रह्मांड एक ब्लैक होल में समा जाता. इसी तरह, यदि प्रोटॉन-इलेक्ट्रॉन मास रश्‍यो अलग होता, तो रासायनिक प्रक्रियाएं गड़बड़ा जातीं, और डीएनए जैसी जटिल संरचनाएं बनना असंभव हो जाता. कॉस्मोलॉजिकल कॉन्स्टेंट आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत का एक भाग है, जो यह निर्धारित करता है कि अंतरिक्ष का विस्तार होगा या संकुचित होगा. स्विनबर्न और कॉलिन्स का तर्क था कि यदि यह मान अलग होता, तो ब्रह्मांड या तो बहुत तेज़ी से फैल जाता या बहुत जल्दी नष्ट हो जाता, जिससे जीवन का अस्तित्व असंभव हो जाता.

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