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3 घंटे का लेओवर और 18 घंटे का टॉर्चर...खाना-पानी कुछ नहीं, अरुणालचल प्रदेश की लड़की के साथ शंघाई एयरपोर्ट पर क्या-क्या हुआ?

21 नवंबर 2025 की शाम, शंघाई पुडोंग अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा. लंदन से जापान जा रही एक भारतीय मूल की महिला सिर्फ तीन घंटे का ट्रांजिट लेने उतरी थी. लेकिन अगले 18 घंटे उनकी जिंदगी का सबसे काला अध्याय बन गया. कारण सिर्फ यह था कि उनका नाम है पेम वांग थोंगडोक है और उनके भारतीय पासपोर्ट में जन्म स्थान लिखा है अरुणाचल प्रदेश.

3 घंटे का लेओवर और 18 घंटे का टॉर्चर...खाना-पानी कुछ नहीं, अरुणालचल प्रदेश की लड़की के साथ शंघाई एयरपोर्ट पर क्या-क्या हुआ?
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( Image Source:  Create By AI )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 25 Nov 2025 9:58 AM

पेम वांग थोंगडोक नाम की एक महिला ब्रिटेन में रहती हैं. वह मूल रूप से भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य की रहने वाली हैं. 21 नवंबर 2025 को वह लंदन से जापान जा रही थी. रास्ते में शंघाई पुडोंग इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उनकी फ्लाइट सिर्फ 3 घंटे रुकनी थी. लेकिन यह 3 घंटे का छोटा सा ठहराव उनके लिए 18 घंटे का बुरा सपना बन गया.

कारण सिर्फ इतना था कि उनके भारतीय पासपोर्ट में जन्म स्थान के कॉलम में 'अरुणाचल प्रदेश, भारत' लिखा था. चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना इलाका मानता है और उसे 'दक्षिण तिब्बत' कहता है. इसलिए शंघाई एयरपोर्ट के इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनका पासपोर्ट देखते ही मान्यता देने से इनकार कर दिया.

क्या-क्या हुआ उनके साथ?

इमिग्रेशन काउंटर पर अधिकारी ने पासपोर्ट देखकर कहा, 'यह पासपोर्ट वैध नहीं है.' जब पेम ने कारण पूछा तो अधिकारी ने साफ कहा, 'अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है, इसलिए आपका पासपोर्ट अमान्य है.' अधिकारियों और चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस के कुछ कर्मचारियों ने उनका मजाक उड़ाया. किसी ने तो यहां तक कह दिया, 'आप चीनी पासपोर्ट के लिए अप्लाई कर लो.' उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया. जापान जाने वाली फ्लाइट में बैठने नहीं दिया गया, जबकि उनके पास वैध वीजा था. पूरे 18 घंटे तक उन्हें एक छोटे कमरे में रखा गया न ठीक से खाना दिया गया, न पानी, न कोई जानकारी दी गई कि अब क्या होगा. वे बहुत डर गई थीं, रो रही थीं, लेकिन किसी ने सही से मदद नहीं की.

बाद में क्या हुआ?

ब्रिटेन में रहने वाली पेम की एक दोस्त ने मदद की. उस दोस्त ने शंघाई में मौजूद भारतीय वाणिज्य दूतावास (Consulate) से संपर्क किया. भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने तुरंत एक्शन लिया. उन्होंने चीनी अधिकारियों से बात की और आखिरकार पेम को रिहा करवाया. उसी रात उन्हें चीन से बाहर जाने वाली दूसरी फ्लाइट में बैठा दिया गया. इस तरह 18 घंटे बाद उनकी परेशानी खत्म हुई.

अब पेम ने क्या किया?

पेम बहुत दुखी और गुस्से में हैं. उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को एक लंबा लैटर लिखा है. उसमें उन्होंने पूरी घटना डिटेल से बताई है और कहा है कि यह सिर्फ मेरे साथ नहीं, बल्कि पूरे भारत की संप्रभुता (स्वाधीनता) और अरुणाचल प्रदेश के लोगों का अपमान है. भारत सरकार को चाहिए कि चीन के सामने यह मामला जोरदार तरीके से उठाए. जिन चीनी अधिकारियों और एयरलाइन कर्मचारियों ने ऐसा व्यवहार किया, उनके खिलाफ सजा होनी चाहिए. उन्हें (पेम को) इस परेशानी और मानसिक तनाव के लिए मुआवजा मिलना चाहिए.

चीन और अरुणाचल प्रदेश का पुराना विवाद

चीन पिछले कई सालों से अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता रहा है. वह कहता है कि यह इलाका उसका है. कभी वहां के गांव-शहरों के नाम बदल देता है, कभी अपने नक्शे में अरुणाचल को अपना हिस्सा दिखाता है. लेकिन भारत हमेशा साफ कहता आया है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा. चीन के सारे दावे बेकार और निराधार हैं. फिर भी कभी-कभी चीन के अधिकारी इस तरह भारतीय नागरिकों को परेशान करते हैं, खासकर जिनका जन्म अरुणाचल प्रदेश में हुआ हो. पेम वांग थोंगडोक की यह घटना दिखाती है कि यह विवाद सिर्फ नक्शों और कागजों तक सीमित नहीं है, बल्कि आम भारतीय नागरिकों की जिंदगी को भी प्रभावित कर रहा है. उम्मीद है कि भारत सरकार इस मामले को गंभीरता से लेगी और भविष्य में किसी भारतीय को ऐसी परेशानी न झेलनी पड़े.

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