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दिल्ली बनेगा... ओटावा में खालिस्तान रेफरेंडम का तमाशा, 53000 से ज्यादा खालिस्तानियों ने की वोटिंग, तिरंगे का किया अपमान | Video

कनाडा की राजधानी ओटावा में बर्फ़ और कड़ाके की ठंड के बीच 53 हजार से ज्यादा कनाडाई सिख गैर-आधिकारिक ‘खालिस्तान रेफरेंडम’ में शामिल हुए. भारत में प्रतिबंधित संगठन SFJ और आतंकवादी घोषित गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारेबाज़ी और तिरंगे का अपमान सामने आया, जिसने भारत-कनाडा संबंधों में तनाव और बढ़ा दिया है.

दिल्ली बनेगा... ओटावा में खालिस्तान रेफरेंडम का तमाशा, 53000 से ज्यादा खालिस्तानियों ने की वोटिंग, तिरंगे का किया अपमान | Video
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( Image Source:  X/Tablesalt13 )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 25 Nov 2025 7:57 AM IST

कनाडा की राजधानी ओटावा में जमा बर्फ़ और तेज़ हवाओं के बीच हजारों लोग पीले झंडे थामे लाइन में खड़े थे. यह कोई चुनाव नहीं था, बल्कि उस “खालिस्तान रेफरेंडम” का नया एपिसोड था जिसे भारत में प्रतिबंधित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) लगातार विदेशों में आयोजित कर रहा है. भीड़ चाहे जितनी हो, लेकिन असली सवाल वही—यह लोगों की भावनाओं की अभिव्यक्ति है या भारत के खिलाफ एक सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय अभियान?

गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे चेहरों का लक्ष्य स्पष्ट है. पंजाब को भारत से अलग कर एक नया राष्ट्र “खालिस्तान” बनाना. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की लंबी कतारें देखने को मिलीं, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या यह पंजाब का असली प्रतिनिधित्व है, या फिर विदेश में रह रहे कुछ कट्टरपंथियों की साजिश, जिसे स्थानीय राजनीति संरक्षण दे रही है?

कनाडा में खालिस्तान का शोर

ओटावा में आयोजित इस गैर-आधिकारिक “रेफरेंडम” में 53,000 से ज्यादा कनाडाई सिखों ने भाग लेने का दावा किया गया. कई परिवार नवजात बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, घंटों लाइन में खड़े रहे. हकीकत यह है कि यह वोटिंग किसी भी देश के संविधान में वैध नहीं, ना कनाडा में और ना ही भारत में. फिर भी इसे एक आंदोलन का रूप देकर पेश किया जा रहा है.

भारत में प्रतिबंधित संगठन की सरगर्मी

इस आयोजन के पीछे वही नाम- SFJ और गुरपतवंत सिंह पन्नू. भारत ने पन्नू को UAPA के तहत आतंकवादी घोषित किया है. फिर भी वह वीडियो संदेश के जरिए इस अभियान का “हीरो” बना रहा. कनाडाई पुलिस सिर्फ दर्शक बनी नजर आई, जबकि भीड़ भारत के नेताओं के खिलाफ हिंसक नारे लगा रही थी.

कनाडा की राजनीति में दखल का टाइमिंग?

SFJ ने यह भी सवाल उठाया कि कनाडाई PM मार्क कार्नी ने उसी दिन PM मोदी से मुलाकात क्यों की, जब यह “रेफरेंडम” चल रहा था? स्पष्ट है कि यह आयोजन केवल पंजाब की बात नहीं, बल्कि भारत-कनाडा संबंधों को दबाव में लाने की कोशिश है.

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

अल्बर्टा आधारित मीडिया द्वारा जारी वीडियो में लंबी कतारें और भारतीय झंडे का अपमान साफ़ दिखता है. यह केवल राजनीतिक एक्टिविज़्म नहीं, बल्कि राजनैतिक उकसावे की सीमा पार करने जैसा है.

भारतीय तिरंगे का अपमान

इस “रेफरेंडम” के अंत में भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का अपमान किया गया. इससे साफ़ है यह वोट किसी अधिकार या पहचान के लिए नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ नफरत फैलाने का प्रोपेगेंडा है.

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