रंग लाएगी ट्रंप और पीएम मोदी की दोस्ती! लीडरशिप और राष्ट्रवाद के साथ और क्या है समानता?
डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी को दोस्त माना जाता है. दोनों ने 2017 से 2021 तक साथ मिलकर काम किया है. रक्षा समझौतों और क्षेत्रीय पहलों के माध्यम से अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत किया. दोनों के कार्यकाल में अमेरिका-भारत के संबंध काफी मजबूत रहे थे. अब ट्रंप के जीतने से एक बार फिर दोनों देशों के रिश्ते नए मुकाम पर पहुंच सकते हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है. जीत के बाद उन्होंने भाषण देते हुए अपनी वापसी पर भी बात की है. उनकी जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है. पीएम मोदी ने कहा कि मैं भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए हमारे सहयोग को नया करने के लिए उत्सुक हूं. आइए, मिलकर अपने लोगों की भलाई के लिए और वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए काम करें.
डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी को दोस्त माना जाता है. दोनों ने 2017 से 2021 तक साथ मिलकर काम किया है. रक्षा समझौतों और क्षेत्रीय पहलों के माध्यम से अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत किया. दोनों के कार्यकाल में अमेरिका-भारत के संबंध काफी मजबूत रहे थे. अब ट्रंप के जीतने से एक बार फिर दोनों देशों के रिश्ते नए मुकाम पर पहुंच सकते हैं.
डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की तुलना विभिन्न पहलुओं में की गई है. ट्रंप को चीन विरोधी और रूस समर्थक रुख के कारण भारत के लिए अधिक अनुकूल माना जाता है. ट्रंप के कार्यकाल में संभावित व्यापार और टैरिफ चुनौतियों को लेकर चिंता जताई जा सकती है. वहीं, कमला हैरिस के भारतीय मूल के होने के बावजूद भी भारतीय उन्हें लाभदायक नहीं मानते हैं.
दोनों में क्या है समानता?
- लीडरशिप: डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी को मजबूत और मुखर नेताओं के रूप में देखा जाता है. सभी मुद्दों पर अपनी बात रखते हैं. विवादों को सुलझाने का प्रयास करते हैं.
- राष्ट्रवादी एजेंडा: दोनों राष्ट्रवादी नेता हैं और वो अपने राष्ट्रवादी विचारधाराओं से जुड़े रहते हैं. ट्रंप अमेरिका फर्स्ट और पीएम मोदी हिंदू राष्ट्रवाद पर फोकस रहते हैं.
- इकोनॉमिक पॉलिसी: ट्रंप का संरक्षणवादी दृष्टिकोण और मोदी की 'मेक इन इंडिया' पहल में समानताएं हैं. दोनों की सोच बड़ी है और दोनों देश को आर्थिक रूप से ननत बनाने के लिए विजनरी प्लान करते हैं.
- विदेश नीति: अमेरिका के राष्ट्रपति के पास अधिकार होता है कि वह विदेश नीति को अपने हिसाब से चेंज कर सकता है. उनका चीन और मुस्लिम देशों के खिलाफ काफी सख्त रुख है. वहीं, पीएम मोदी की विदेश नीति भी ऐसी ही है. एशिया की दो महाशक्तियों भारत औार चीन में एक कभी न खत्म होने वाली प्रतिस्पर्धाा जारी है. वहीं ट्रंप भी नहीं चाहते कि चीन इतना आगे बढ़़ जाए कि दुनिया के लिए या खुद अमेरिका के लिए खतरा बन जाए.
अमेरिका-भारत की चुनौतियां
- ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत को रणनीतिक साझेदारी और आतंकवाद विरोधी प्रयासों में फायदा होगा.
- व्यापार शुल्क और आर्थिक नीतियां देश के लिए चुनौतियां पैदा कर सकती हैं
- अमेरिकी राजनीति के पिछले अनुभवों को देखते हुए मोदी सरकार को ट्रंप के साथ बातचीत में सावधानी बरतनी होगी.