पहले आए 200 ताबूत, अब क्वेटा जाने की तैयारी में पाक पीएम, जानें क्या है शाहबाज शरीफ का अगला प्लान
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने जाफर एक्सप्रेस आतंकी हमले के बाद क्वेटा का दौरा करेंगे. बैठक में आतंकवाद विरोधी रणनीति पर चर्चा होगी. हमले में 21 लोग मारे गए. सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन में 33 आतंकवादियों को मार गिराया. विदेशी तत्वों की भूमिका और गलत सूचना अभियान पर भी चिंता जताई गई.

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर जाफर एक्सप्रेस पर हुए आतंकवादी हमले के बाद क्वेटा का दौरा करेंगे. इस हमले में 21 लोगों की जान गई, जिनमें चार सुरक्षाकर्मी भी शामिल थे. इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जहां उन्हें घटना की विस्तृत जानकारी दी जाएगी और भविष्य की सुरक्षा रणनीतियों पर विचार किया जाएगा.
बैठक में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उठाए गए आतंकवाद विरोधी कदमों पर चर्चा होगी. प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ चल रहे अभियानों की समीक्षा करेंगे. इस दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आतंकवादी हमलों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों की क्षमताओं को और मजबूत किया जाए. समा टीवी के अनुसार, प्रधानमंत्री हमले में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी अंतिम नमाज में भी शामिल होंगे.
तीन ग्रुप में बनाया गया था बंधक
डीजी आईएसपीआर लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने बताया कि पाकिस्तानी सेना, वायु सेना और विशेष सेवा समूह (एसएसजी) ने मिलकर एक जटिल आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया. बंधकों को तीन समूहों में विभाजित किया गया था और प्रत्येक समूह की निगरानी एक आत्मघाती हमलावर कर रहा था, लेकिन सुरक्षा बलों ने सटीक रणनीति अपनाकर सभी बंधकों को सुरक्षित बचा लिया. उन्होंने कहा कि नागरिकों पर इस तरह के हमले अस्वीकार्य हैं और सेना आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है.
इंडियन मीडिया पर उठे सवाल
आईएसपीआर प्रमुख ने पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने में विदेशी तत्वों की भूमिका पर सवाल उठाए. उन्होंने इंडियन मीडिया पर गलत सूचनाएं फैलाने, एआई-जनरेटेड फोटो और पुरानी फुटेज का इस्तेमाल करके तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि देश के कुछ राजनीतिक और सामाजिक तत्व आतंकी घटनाओं की निंदा करने के बजाय निजी लाभ के लिए इनका फायदा उठा रहे हैं. उनके अनुसार, कुछ राजनीतिक ताकतें सत्ता की चाह में राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के हितों से समझौता कर रही हैं, जो देश के लिए खतरनाक हो सकता है.
प्रांत के लोगों को मिले हिस्सेदारी, तभी आएगी शांति
डॉन ने अपने संपादकीय में लिखा कि बलूचिस्तान में स्थायी शांति तभी आ सकती है जब सुशासन हो, प्रांत के लोगों को इसकी खनिज संपदा और अन्य संसाधनों में हिस्सा मिले और निवासियों के वास्तविक प्रतिनिधियों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति दी जाए. जाफर एक्सप्रेस पर हमला दिखाता है कि अलगाववादी विद्रोह के और फैलने से पहले समय खत्म हो सकता है. बलूचिस्तान को बचाने के लिए शासकों को अभी कदम उठाना चाहिए.