ड्रैगन ने फिर किया कमाल! हाइड्रोजन से चलने वाला 50 किलो का ड्रोन को लेकर बनाया ये रिकॉर्ड
चीन द्वारा विकसित 50 किलोग्राम के हाइड्रोजन-संचालित मानव रहित हवाई वाहन ने हाल ही में 30 घंटे की निरंतर उड़ान पूरी की, इसी प्रकार के विमानों के लिए एक नया घरेलू रिकॉर्ड स्थापित किया और धीरज के मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी स्तर पर पहुंच गया.

चीन ने तकनीक के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए हाइड्रोजन से चलने वाला 50 किलोग्राम वज़न वाला मानव रहित ड्रोन विकसित किया है, जिसने 30 घंटे तक लगातार उड़ान भरकर नया रिकॉर्ड बनाया है. यह उपलब्धि चीन के चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रियल ग्रुप और त्सिंगहुआ विश्वविद्यालय के सहयोग से हासिल की गई है. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह ड्रोन हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित है और पर्यावरण के अनुकूल है. यह तकनीक निगरानी, आपदा राहत, सीमा सुरक्षा और स्मार्ट सिटी प्रबंधन जैसे कई क्षेत्रों में क्रांति ला सकती है.
इस अत्याधुनिक ड्रोन को चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रियल ग्रुप कंपनी (CAIG) और त्सिंगहुआ विश्वविद्यालय ने मिलकर विकसित किया है. यह परियोजना चीन की सरकारी एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी AVIC के अंतर्गत संचालित की जा रही है. AVIC का कहना है कि इस ड्रोन ने उड़ान, प्रणोदन और नियंत्रण प्रणाली के एकीकृत डिज़ाइन में नई तकनीकी सफलता प्राप्त की है, जो खासतौर पर हाइड्रोजन फ्यूल सेल की विशेषताओं पर आधारित है.
उन्नत टेकऑफ प्रणाली और निगरानी क्षमता
इस ड्रोन की टेकऑफ प्रणाली भी काफी अनूठी है. इसमें एक मानव रहित ग्राउंड व्हीकल और एक एरियल व्हीकल की मदद से ऑटोनॉमस लॉन्चिंग सिस्टम का प्रयोग किया गया, जिससे यह पारंपरिक रनवे के बिना भी उड़ान भरने में सक्षम है. इसके अलावा, ड्रोन में इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल पेलोड लगा है, जिससे यह जमीन पर निगरानी, गश्त और पर्यवेक्षण में प्रभावी साबित होता है. 5G मॉड्यूल की मदद से यह उड़ान के दौरान प्राप्त डेटा और तस्वीरों को रीयल-टाइम में दूरस्थ कंट्रोल सेंटर तक भेज सकता है.
विविध क्षेत्रों में उपयोग की संभावनाएं
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक आपातकालीन संचार, पर्यावरण निगरानी, सीमा सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत अभियानों में बेहद उपयोगी साबित हो सकती है. वहीं स्मार्ट सिटी प्रबंधन के लिए यह ड्रोन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ मिलकर ट्रैफिक नियम उल्लंघन जैसे मामलों की पहचान कर स्वचालित कार्रवाई की दिशा में मदद कर सकता है. हाइड्रोजन फ्यूल सेल पर चलने वाले इस ड्रोन में शून्य कार्बन उत्सर्जन, अधिक ऊर्जा घनत्व और लंबी उड़ान क्षमता जैसी विशेषताएं हैं, जो पारंपरिक लिथियम बैटरी से चलने वाले ड्रोनों की तुलना में इसे अधिक प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल बनाती हैं.
वैश्विक प्रतिस्पर्धा और चीन की बढ़त
विशेषज्ञ बताते हैं कि विमानन के लिए बनाए गए हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स की डिज़ाइन, ऑटोमोबाइल सेक्टर में उपयोग होने वाले फ्यूल सेल्स से काफी अलग होती है. इसमें हल्के वज़न, अत्यधिक ऊर्जा घनत्व, कम तापमान में बेहतर प्रदर्शन और लंबे समय तक उड़ान क्षमता पर विशेष ध्यान दिया गया है. इस क्षेत्र में दक्षिण कोरिया की डूसन मोबिलिटी इनोवेशन, ब्रिटेन की ISS एयरोस्पेस, जापान की ड्रोन वर्क्स और इज़राइल की हेवन ड्रोन जैसी कंपनियां पहले से सक्रिय हैं. अमेरिका की एयरोवायरमेंट कंपनी ने तो 2005 में ही दुनिया का पहला लिक्विड हाइड्रोजन-चालित ड्रोन बना लिया था.
बाजार की संभावनाओं को देखते हुए अब कई चीनी कंपनियां भी इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं. CAIG का मानना है कि यह 50 किलो वर्ग का हाइड्रोजन ड्रोन कम ऊंचाई वाली उड़ानों के लिए नए व्यावसायिक अवसर पैदा करेगा और हरित विमानन की दिशा में चीन की भूमिका को और मजबूत करेगा.