दिल्ली-NCR के स्ट्रीट डॉग्स पर बवाल, 'कुकुर तिहार से सबक लें...'; नेपाली लोग कुत्तों की करते हैं पूजा
दिल्ली-NCR में स्ट्रे डॉग्स पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विवाद बढ़ गया है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मानवीय समाधान की बात की, जबकि नेपाल ने कुकुर तिहार का उदाहरण देते हुए कुत्तों की पूजा परंपरा याद दिलाई. नेपाली नागरिकों ने भारतीयों से बेजुबानों को बचाने और जनसंख्या नियंत्रण व कम्युनिटी फीडिंग अपनाने की अपील की.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में दिल्ली-NCR में बढ़ रही आवारा कुत्तों की संख्या पर मानवीय और वैज्ञानिक समाधान की बात कही थी. उनका कहना था, 'हर जीव को जीने का अधिकार है. स्ट्रीट डॉग्स की समस्या का हल केवल उनकी जनसंख्या नियंत्रित करके ही निकलेगा, उन्हें पाउंड्स में ठूंसकर नहीं. भागवत के बयान के अगले ही दिन नेपाल से लोगों ने भारतीयों को याद दिलाया कि इंसान और कुत्तों का रिश्ता सिर्फ साथ रहने का नहीं, बल्कि आस्था का भी है.
काठमांडू के टेलीकॉम प्रोफेशनल श्याम थापा ने कहा 'हम नेपाल में कुत्तों को पवित्र मानते हैं. हर साल दीपावली के दौरान पांच दिन के 'कुकुर तिहार' उत्सव में हम आवारा और पालतू दोनों कुत्तों की पूजा करते हैं. उन्हें फूलों की माला पहनाते हैं, तिलक लगाते हैं और स्वादिष्ट खाना खिलाते हैं. यह इंसान और कुत्ते के खूबसूरत रिश्ते का उत्सव है.
उन्होंने भारतीयों से अपील की कि सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों पर ‘मौत के फरमान’ के खिलाफ एकजुट हों."जनसंख्या नियंत्रण और कम्युनिटी फीडिंग ही समाधान है, न कि उन्हें मौत के मुंह में धकेलना," थापा बोले. काठमांडू के बिजनेसमैन मोहनलाल भंडारी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह देखकर दिल टूटता है कि भारत में कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का जश्न मना रहे हैं. हमारे लिए कुत्ते सिर्फ जानवर नहीं, वफादारी और सुरक्षा का प्रतीक हैं.
नेपाल की स्टूडेंट नेहा आचार्य ने भी चेताया कि कुत्तों को पाउंड्स में भरना सिर्फ उनकी मौत लाएगा और ऐसे पाउंड्स बीमारी फैलाने के अड्डे बन जाएंगे. राजनीति और धर्म से ऊपर उठकर सभी भारतीयों को इन बेजुबानों की जान बचानी चाहिए. दरअसल, भारतीय पौराणिक कथाओं में भी कुत्तों को सम्मान मिला है। महाभारत में युधिष्ठिर स्वर्ग जाने से पहले अपने वफादार कुत्ते को छोड़ने से इनकार कर देते हैं.





