17 की उम्र में ब्रिटेन के प्रिंस के साथ Sex का दावा, सेक्स गुलाम बनाकर...आरोप लगाने वाली Virginia Giuffre ने किया सुसाइड
जेफरी एपस्टीन के यौन शोषण और तस्करी रैकेट को बेनकाब करने वाली वर्जीनिया गिफ्रे ने 41 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया में आत्महत्या कर ली. उनके परिवार ने शुक्रवार को उनके निधन की पुष्टि की. गिफ्रे ने साहसपूर्वक एपस्टीन और उनके प्रभावशाली सहयोगियों के खिलाफ आवाज उठाई थी और कई पीड़ितों को इंसाफ के लिए प्रेरित किया था.

वर्जीनिया गिफ्रे, जिन्होंने किशोरावस्था में जेफरी एपस्टीन के नेटवर्क के जरिए ब्रिटेन के राजकुमार एंड्रयू समेत कई प्रभावशाली लोगों पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे, अब इस दुनिया में नहीं रहीं. 41 वर्षीय गिफ्रे ने ऑस्ट्रेलिया में अपने फार्महाउस पर आत्महत्या कर ली. एक समय में यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाली सबसे मजबूत चेहरों में से एक रहीं गिफ्रे का इस तरह जाना दुनियाभर में गहरा शोक छोड़ गया है.
कौन थीं वर्जीनिया गिफ्रे?
वर्जीनिया गिफ्रे का बचपन अमेरिका के फ्लोरिडा में बीता, लेकिन उनका जीवन काफी कठिनाइयों भरा रहा. कम उम्र में ही वह एक पारिवारिक मित्र द्वारा यौन शोषण का शिकार बनीं और बाद में बेघर हो गईं. किशोरावस्था में उनकी मुलाकात घिसलिन मैक्सवेल से हुई, जो जैफरी एपस्टीन की करीबी सहयोगी थी. गिफ्रे ने आरोप लगाया था कि मैक्सवेल ने उन्हें एपस्टीन के लिए तैयार किया और फिर उन्हें प्रभावशाली और अमीर लोगों तक पहुंचाया गया.
एपस्टीन स्कैंडल और वर्जीनिया का संघर्ष
वर्जीनिया गिफ्रे ने न केवल एपस्टीन के खिलाफ बल्कि उन तमाम लोगों के खिलाफ भी आवाज उठाई जो इस सेक्स ट्रैफिकिंग रैकेट में शामिल थे. उन्होंने प्रिंस एंड्रयू और फ्रांसीसी मॉडल एजेंट जीन-ल्यूक ब्रुनेल पर भी गंभीर आरोप लगाए थे. उनकी गवाही और बहादुरी से एपस्टीन के नेटवर्क की परतें खुलनी शुरू हुईं, जिसके चलते एपस्टीन की सहयोगी घिसलिन मैक्सवेल को 2021 में दोषी करार दिया गया. गिफ्रे ने अमेरिकी अभियोजकों को कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ मुहैया कराईं, जिससे एपस्टीन और उसके नेटवर्क के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई संभव हो सकी. उनकी वजह से कई अन्य पीड़ितों ने भी सामने आकर अपने दर्दनाक अनुभव साझा किए.
ऑस्ट्रेलिया में नई शुरुआत, लेकिन पुराना दर्द बना रहा
एपस्टीन की गिरफ्तारी से पहले वर्जीनिया अपने पति और बच्चों के साथ ऑस्ट्रेलिया चली गई थीं. उन्होंने कोशिश की थी कि नए सिरे से जीवन शुरू करें, लेकिन अतीत के जख्म उनके साथ बने रहे. उनका परिवार बताता है कि जीवनभर के अत्याचारों का बोझ इतना गहरा था कि आखिरकार वह इसे और सहन नहीं कर सकीं.
वर्जीनिया गिफ्रे की मौत की खबर से दुनियाभर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, यौन शोषण के खिलाफ लड़ने वाले संगठनों और आम लोगों में गहरा शोक है. सोशल मीडिया पर लाखों लोग उन्हें 'बहादुर योद्धा' बता रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपने लिए बल्कि सैकड़ों पीड़ितों के लिए भी न्याय की लड़ाई लड़ी. उनकी कहानी एक कड़वी सच्चाई भी उजागर करती है- कि कई बार न्याय के लिए लड़ने वालों का अपना दर्द इतना गहरा होता है कि वे खुद उस बोझ के नीचे दब जाते हैं.