पहले मुर्गी आई या अंडा पर खत्म हुई बहस, साइंटिस्ट ने बता ही दिया अंडे का फंडा
अंडा खाने में टेस्टी और हेल्दी होता है. इसलिए अंडे का फंडा हमेशा से मशहूर रहा है. अक्सर बच्चों से लेकर बड़ों तक से यह सवाल पूछा जाता है कि पहले मुर्गी आई या अंडा? हालांकि, अब यह समस्या सुलझ गई है.

आओ सिखाऊं तुम्हें अंडे का फंडा. ये कहना आसान है, लेकिन समझना बहुत मुश्किल है. बाबा आदम के जमाने से एक पहेली चल आ रही है कि धरती पर पहले क्या आया -मुर्गी या अंडा? इस बात को लेकर सदियों से बहस चल रही है. कुछ लोगों का कहना है कि अंडा पहले आया. वहीं, दूसरों का मानना है कि अंडा. हालांकि, अब इस रहस्यमयी पहली को सुलझा दिया गया है, क्योंकि साइंटिस्ट के पास इसका जवाब है.
क्या है इचथियोस्पोरियन माइक्रोब?
नए रिजल्ट्स में यह पाया गया है कि एम्ब्रयो जैसा स्ट्रक्चर बनाने की क्षमता जानवरों के अस्तित्व से पहले की हो सकती है. यह क्रोमोस्फेरा पर्किन्सि नाम के एक सिंगल सेल ऑर्गेनिज्म की स्टडी से हुआ है, जो एक इचथियोस्पोरियन माइक्रोब है. यह माइक्रोब एक अरब से अधिक वर्षों से धरती पर है. जिनेवा यूनिवर्सिटी के बायोकेमिस्ट मरीन ओलिवेटा की टीम ने देखा कि सी.पर्किन्सि जानवरों के भ्रूण के डेवलपमेंट के समान तरीके से रिप्रोड्यूस करता है.
एम्ब्रयो के डेवलेपमेंट मिलता है
जैसा कि स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के बायोकेमिस्ट ओमाया डुडिन ने बताया कि वैसे तो सी. पर्किन्सि एक यूनिसेल्यूलर स्पीशीज है, लेकिन इस बिहेवियर से यह पता चलता है कि इस प्रजाति में मल्टीसेल्यूलर कॉर्डिनेशन और डिफरेंशिएशन प्रोसेस पहले से ही मौजूद हैं. यानी यह पृथ्वी पर पहले जानवरों के आने से बहुत पहले की बात है. रिसर्चर ने पाया कि सी. पर्किन्सि पैलिंटोमी प्रोसेस से गुजरता है, जो जानवरों के एम्ब्रयो के डेवलेपमेंट के शुरुआती फेज़ से काफी मिलता-जुलता है. इस डिविजन के बाद ऑर्गेनिज्म का एक ग्रुप बनाता है, जो ब्लास्टुला की याद दिलाता है. ब्लास्टुला सेल्स की एक हॉलो बॉल होती है, जो शुरुआती पशु भ्रूणों की विशेषता है.
दो अलग-अलग सेल टाइप्स
इस कॉलोनी के भीतर कम से कम दो अलग-अलग सेल टाइप्स की पहचान की गई थी. यह खोज जरूरी है, क्यकि इचथियोस्पोरियन एक अरब साल पहले एनिमल लिनयूज से अलग हो गए थे. सी. पर्किन्सि की रिप्रोडक्टिव प्रोसेस एनिमल एम्ब्रयो के बीच और पशु भ्रूण विकास के बीच समानताएं बताती हैं कि भ्रूण निर्माण के लिए जेनेटिक प्रोग्रामिंग कॉम्प्लेक्स मल्टीसेलुलर ऑर्गेनिज्म के विकास से बहुत पहले मौजूद हो सकती है.
हालांकि, वैज्ञानिक चेतावनी देते हैं कि यह कंवरजेंट डेवलपमेंट का मामला भी हो सकता है, जहां समान लक्षण अलग-अलग जीवों में स्वतंत्र रूप से विकसित होते हैं. सी. पर्किन्सि में देखा गया अलग विकास दूसरे इचथियोस्पोरियन में नहीं देखा गया है, जिससे यह स्पष्ट करना मुश्किल हो जाता है कि यह एक एनसेस्टर ट्रेट है या पैरेलल इवोल्यूशन का रिजल्ट है.
जेनेटिक टूलकिट के लिए जरूरी
इसकी ओरिजन के बावजूद यह खोज इवोल्यूशन मैकेनिज्म को समझने के लिए नए रास्ते खोलती है, जिसके कारण एनिमल मल्टीसेलुलर का राइज हुआ. जैसा कि रिसर्चर ने बताया है कि सी. पर्किन्सिई पर आगे की स्टडीज प्रारंभिक जीवन रूपों के लिए उपलब्ध जेनेटिक टूलकिट और इवोल्यूशनरी पाथ के बारे में जरूरी जानकारी दे सकते हैं.