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अब पूजा-पाठ नहीं, AI कराएगा भगवान से बात! टेक्नोलॉजी कैसे बदल रही रिलिजियस एक्सपीरियंस?

AI अब धर्म और स्पिरिचुअलिटी में नई संभावनाएं ला रहा है. क्या AI भगवान से कनेक्ट होने का जरिया बन सकता है? इसके फायदे, चुनौतियां और एथिकल सवाल क्या हैं? जानें कैसे टेक्नोलॉजी हमारे रिलिजियस एक्सपीरियंस को बदल रही है.

अब पूजा-पाठ नहीं, AI कराएगा भगवान से बात! टेक्नोलॉजी कैसे बदल रही रिलिजियस एक्सपीरियंस?
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का यूज़ हर फील्ड में हो रहा है, और अब रिलिजन में भी इसकी एंट्री हो गई है. कुछ धार्मिक लीडर्स AI का यूज़ अपनी सर्विसेस, सर्मन्स, और रिसर्च में कर रहे हैं. एक उदाहरण ह्यूस्टन के रैबी जोश फिक्सलर का है, जिन्होंने अपने कांग्रेगेशन को एक AI-जेनरेटेड सर्मन सुनाया. रैबी फिक्सलर ने अपने पुराने सर्मन्स के डेटा को यूज़ करके एक चैटबॉट बनवाया, जिसे "रैबी बॉट" नाम दिया गया. यह बॉट उनके सर्मन को उनकी आवाज़ में डिलीवर कर रहा था, और सर्मन का कंटेंट भी उनकी स्टाइल में था.

AI का रोल:

AI का रोल धार्मिक स्पेस में काफी बदल रहा है. अब धार्मिक लीडर्स AI टूल्स का यूज़ अपने काम को आसान और एफिशिएंट बनाने के लिए कर रहे हैं. ये टूल्स उनको थियोलॉजिकल रिसर्च में मदद करते हैं, सर्मन लिखने में हेल्प करते हैं, और ईवन लाइव सर्मन को ट्रांसलेट करके इंटरनेशनल ऑडियंस तक पहुँचाने में भी मददगार हैं. कुछ धार्मिक लीडर्स AI का यूज़ करते हुए यह भी सोच रहे हैं कि क्या AI के जरिए God से बात की जा सकती है?

AI और रिलिजन का कनेक्शन पुराना नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी इवोल्व हो रही है, वैसे-वैसे नए सवाल उठ रहे हैं. क्या AI को यूज़ करना ठीक है जब बात धार्मिक टीचिंग्स की हो? क्या AI का यूज़ सर्मन लिखने में करना एप्रोप्रिएट है? या फिर यह इंसानियत और स्पिरिचुअलिटी के कॉन्सेप्ट को डिस्टर्ब कर रहा है?

AI और इसके पोटेंशियल :

Jay Cooper, एक पास्टर जो ऑस्टिन, टेक्सस में है, ने एक एक्सपेरिमेंट के तौर पे 2023 में OpenAI का ChatGPT यूज़ करके अपनी चर्च सर्विस कम्प्लीट जनरेट की थी. उन्होंने ChatGPT से एक सर्मन, वेलकम मेसेज, और ईवन एक छोटा सॉन्ग भी लिखवाया. यह सॉन्ग कुछ इस तरह था:

"As algorithms spin webs of lies

We lift our gaze to the endless skies

Where Christ’s teachings illuminate our way

Dispelling falsehoods with the light of day"

कूपर ने यह एक्सपेरिमेंट किया था, और उन्होंने नोटिस किया कि उनकी कांग्रेगेशन में कुछ नए लोग आए, जो पहले कभी उनकी चर्च नहीं आए थे. उन्होंने इसे एक इंटरेस्टिंग सवाल की तरह देखा: क्या AI के जरिए God से बात की जा सकती है?

AI और धार्मिक एथिक्स:

AI का यूज़ जब धार्मिक टीचिंग्स में होता है, तो इसके एथिकल इम्प्लिकेशन्स भी काफी कम्प्लिकेटेड हो जाते हैं. क्या हम AI को इतना पावर दे सकते हैं? क्या हम AI को इतना इन्फ्लुएंस दे सकते हैं कि वो हमारे धार्मिक विचारों और वैल्यूज़ को शेप कर सके? यह सब सवाल धार्मिक लीडर्स के लिए चैलेंजिंग बन गए हैं.

पोप फ्रांसिस ने भी इस इशू पर अपनी चिंता जताई थी. उन्होंने कहा था कि हमारी ह्यूमैनिटी ही हमें चीज़ों को God की नजर से देखने का परस्पेक्टिव देती है. मशीनें यह विज़डम नहीं दे सकतीं, जो हम इंसान अपनी एक्सपीरियंसेज़ से सीखते हैं. इसलिए, AI के जरिए धार्मिक टास्क्स करना इतना आसान नहीं है, और कुछ लोग इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं.

AI के एथिकल कंसर्न:

AI का यूज़ जब सर्मन्स लिखने में होता है, तो कुछ एथिकल कंसर्न भी उठते हैं. क्या हम AI को इतना एक्सेस दे सकते हैं कि वो हमारे धार्मिक टेक्स्ट्स को मैनिपुलेट कर सके? रैबी जोश फिक्सलर ने अपने एक्सपेरिमेंट में यह देखा था कि उनके AI बॉट ने एक ऐसा कोट जनरेट किया था जो असल में यहूदी फिलॉसफर माइमोनाइडेस का नहीं था, लेकिन वो कोट धार्मिक लिसनर्स को सही लग रहा था.

रैबी ओरन हायन, जो कि कांग्रेगेशन इमैनू एल में रैबी हैं, उन्होंने भी AI का यूज़ अपने रिसर्च में किया है, लेकिन वो कभी अपने सर्मन्स लिखने में AI का यूज़ नहीं करते. उनका कहना है कि हमारा काम सिर्फ अच्छे सेंटेन्सेस लिखना नहीं है, हमारे सर्मन्स को इंसान की भावनाओं और स्ट्रगल्स को समझकर लिखना होता है. यह काम मशीनों के लिए इंपॉसिबल है.

AI को क्या रोल मिलना चाहिए?

AI को धार्मिक स्पेस में अपना एक रोल मिल सकता है, जैसे कि रिसर्च, मार्केटिंग, और सर्मन्स को और ज्यादा एक्सेसिबल बनाना. लेकिन जब बात होती है सर्मन लिखने की, तो यह सवाल उठता है: क्या इंसान का स्पिरिचुअल कनेक्शन और विज़डम इतना आसानी से रिप्लेस किया जा सकता है AI से?

केनी जांग, जो एक टेक एंटरप्रेन्योर हैं, ने कहा है कि AI का यूज़ धार्मिक सर्विसेस में यंग, टेक-सेवी चर्चगोअर्स को अट्रैक्ट करने के लिए किया जा सकता है. जैसे कि कोविड के बाद, यंग जनरेशन की चर्च अटेंडेंस पहले के कंपेरेज़न में काफी कम हो गई है. लेकिन AI का यूज़ उन्हें वापस चर्च अट्रैक्ट करने में मददगार हो सकता है.

AI का यूज़ धार्मिक प्रैक्टिसेस में एक नया ट्रेंड है, लेकिन इसके एथिकल और स्पिरिचुअल इम्प्लिकेशन्स को समझना ज़रूरी है. AI को रिसर्च, सर्मन राइटिंग, और धार्मिक टीचिंग्स को एक्सेसिबल बनाने के लिए यूज़ किया जा सकता है, लेकिन जब बात होती है इंसान और God के बीच स्पिरिचुअल कनेक्शन की, तो AI को रिप्लेस करना मुश्किल लगता है. धार्मिक लीडर्स को यह समझना होगा कि AI का यूज़ किस तरह से हो, जिससे वह अपनी कम्युनिटी को सपोर्ट कर सके, बिना उनके स्पिरिचुअल एक्सपीरियंसेज़ को अंडरमाइन किए.

इसलिए, AI का यूज़ रिलिजन में एक एक्सपेरिमेंट है, जो अभी अपने इनिशियल फेज़ में है. फ्यूचर में यह टेक्नोलॉजी और इवोल्व होगी, लेकिन यह भी ज़रूरी होगा कि हम अपनी ह्यूमैनिटी और स्पिरिचुअल विज़डम को प्रिज़र्व कर सकें

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