BRICS 2024: एस जयशंकर ने की UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता की पैरवी, मिडल ईस्ट संघर्ष पर जताई चिंता
भारत के विदेश मंत्री एसजयशंकर ने गुरुवार को ब्रिक्स सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान वैश्विक व्यवस्था कैसे बने इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पांच बातें सुझायी हैं. इसके साथ-साथ उन्होंने पीएम के उस बयान को दोहराया कि भारत युद्ध का नहीं, बल्कि बातचीत और कूटनीति का समर्थन करता है

भारत के विदेश मंत्री एसजयशंकर ने गुरुवार को ब्रिक्स सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान वैश्विक व्यवस्था कैसे बने इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पांच बातें सुझायी हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया की मौजूदा वैश्विक व्यवस्था वर्तमान के चुनौतियों एवंहालात से निपटने में सक्षम नहीं है. इसलिए इसमें सुधार के साथ-साथ बदलाव की भी जरुरत है.
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत UNGC में सुधारों की मांग कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है. वहीं इस सम्मेलन में एक बार फिर से इसी मुद्दे पर सभी का ध्यान आकर्षित किया गया. उन्होंने कहा, "...हम एक अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था कैसे बना सकते हैं?
सबसे पहले करना होगा यह काम
उन्होंने इस दौरान व्यवस्था बनाने को लेकर सुझाव देते हुए कहा कि सबसेे पहले हमें स्वतंत्र प्रकृति के प्लेटफॉर्म को मजबूत और इसे विकसित करना होगा. विदेश मंत्री ने कहा कि कई डोमेन में कई ऑप्शन्स को तैयार कर उसपर अनावश्यक निर्भरता को कम करने की जरुरत पड़ेगी. इसमें ब्रिक्स ग्लोबल साउथ के लिए एक अंतर बना सकता है.
ब्रिक्स अपने आप में है एक बयान
जयशंकर ने कहा कि ब्रिक्स अपने आप में एक बयान है और सच में ये एक बदलाव ला सकता है. वहीं सम्मेलन में पांच बातें सुझाई. वहीं इसके साथ-साथ उन्होंने स्थापित संस्थानों में सुधार करते हुए विशेष रूप से सुरक्षा के लिए परमानेंट और नॉन परमानेंट कैटेगरी में सुधार करने पर भी जोर दिया. इसी तरह बहुपक्षीय विकास बैंक मे सुधार करके, जिनकी कार्य प्रक्रियाएँ संयुक्त राष्ट्र की तरह ही पुरानी हैं.
बातचीत और कूटनीति से सुलझाना चाहिए
डॉ. एस जयशंकर ने इस दौरान यूक्रेन में युद्ध का भी मुद्दा उठाया और कहा कि भारत का ऐसा मानना है कि किसी भी विवाद को बातचीत और कूटनीति से सुलझाया जा सकता है. और इसी तरह सुलझाया भी जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि दोनों के बीच समझौता हो जाने के बाद सम्मान करते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून प्रक्रिया का पालन करना चाहिए. वहीं इससे एक दिन पहले बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन में शिरकत की थी. जहां उन्होंने कहा कि भारत युद्ध का नहीं, बल्कि बातचीत और कूटनीति का समर्थन करता है. पीएम के इसी बयान को एक बार फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी सम्मेलन में दोहराया.