बांग्लादेश की BNP पार्टी का क्या है इतिहास, जो सत्ता वापसी के लिए अपना रही भारत विरोधी एजेंडा?
Bangladesh BNP against India: बीएनपी के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने झूठे और भ्रामक अभियानों के माध्यम से बांग्लादेश में धार्मिक सद्भाव को बाधित करने के प्रयास के लिए भारत सरकार और मीडिया की निंदा की है.

Bangladesh BNP against India: बांग्लादेश में लगातार भारत और वहां रह रहे हिंदूओं को लेकर घृणा बढ़ती जा रही है. हिदूओं और उनके मंदिरों को हर दूसरे दिन निशाना बनाया जा रहा है. अब भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री की ढाका की आधिकारिक यात्रा से एक दिन पहले BNP के 6 सदस्यों ने रविवार को ढाका में भारतीय उच्चायोग को एक मेमोरेंडम सौंपा है. ये है बांग्लादेश की 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' वाली बात.
मेमोरेंडम में भारत में बांग्लादेश विरोधी घटनाओं पर विरोध जताया है. इसमें अगरतला में उच्चायोग में हुई घटना का भी जिक्र है. BNP के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने ये कहते हुए भारत को टारगेट किया कि भारत सरकार और मीडिया झूठे और भ्रामक अभियानों के माध्यम से बांग्लादेश में धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने का काम कर रही है. ऐसे में एक बार रिजवी साहेब को अपने देश में चल रहे हिंदुओं पर अत्याचार पर एक नजर डालने की जरूरत है.
सत्ता में वापसी के लिए भारत का विरोध
2008 के बाद से BNP पार्टी सत्ता से बाहर है और अपनी डूबती हुई नैया को भारत का विरोध कर बचाने की BNP पार्टी की नई चाल से अधिक कुछ भी नहीं है. जियाउर रहमान की ये पार्टी हमेशा से भारत के खिलाफ आग उगलती रही है. पार्टी ने अब सत्ता में फिर से काबिज होने के लिए ये नया रास्ता बनाया है. वो चाहती है कि ऐसे दौर में भारत का विरोध करके बांग्लादेश में राष्ट्र की भावना को अपनी पार्टी से जोड़ते हुए जनता का समर्थन हासिल करें, ताकि आगे होने वाले चुनाव में एक बार फिर से वापसी कर सके.
क्या है BNP पार्टी का इतिहास
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की स्थापना 1 सितंबर 1978 में की गई थी. इसके फाउंडर जियाउर रहमान थे, जिन्होंने इसका नेतृत्व किया था. इसके सभी फाउंडर मेंबर खुद को पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के दौरान के स्वतंत्रता सेनानी बताते हैं. हालांकि, बांग्लादेश को आजाद करने में भारत ने प्रत्यक्ष तौर पर भूमिका निभाई थी.
बांग्लादेश में हुए दूसरे आम चुनाव में बीएनपी ने 300 में से 207 सीटें जीतीं थी. इसके फाउंडर राष्ट्रपति जिया की हत्या के बाद अब्दुस सत्तार चीफ बने थे. 1986 में बीएनपी की अध्यक्ष चुनी गईं बेगम खालिदा जिया ने लोकतंत्र के लिए व्यापक आंदोलन का ऐलान किया.
बेगम खालिदा जिया ने बांग्लादेश को सेक्युलर से इस्लामी मुल्क बनाने वाले जनरल हुसैन मोहम्मद इरशाद को सत्ता से हटाने के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया. साल 2021 में बेगम खालिदा जिया तीसरी बार प्रधानमंत्री चुनी गईं. 2008 में बीएनपी के चुनाव में हार के बाद बेगम खालिदा जिया विपक्ष की नेता बनीं.