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कैलिफोर्निया से उठा मिसाइल का धुआं, पहुंचा हज़ारों मील दूर, जानें न्यूक्लियर मिसाइल Minuteman III की खासियत

अमेरिका ने कैलिफोर्निया वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से न्यूक्लियर मिसाइल Minuteman III लॉन्च किया, जिसने सभी को हैरान कर दिया. जहां बाकि देशों में डर लगने लगा कि कहीं यह युद्ध की तैयारी तो नहीं, लेकिन अमेरिका ने साफ कर दिया कि यह बस एक परीक्षण था.

कैलिफोर्निया से उठा मिसाइल का धुआं, पहुंचा हज़ारों मील दूर, जानें न्यूक्लियर मिसाइल Minuteman III की खासियत
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( Image Source:  x-@sentdefender )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 28 Nov 2025 6:23 PM IST

बुधवार को अमेरिका की वायु सेना ने ऐसा परीक्षण किया जिसने दुनिया का ध्यान फिर से अपनी ओर खींचा. कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से एक शक्तिशाली, लेकिन बिना हथियार वाली मिनटमैन III इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) को लॉन्च किया गया.

अमेरिका के ग्लोबल स्ट्राइक कमांड के प्रमुख जनरल थॉमस बुसीयर ने इस परीक्षण को देश की सुरक्षा का अहम हिस्सा बताया. उन्होंने कहा कि 'यह परीक्षण दिखाता है कि अमेरिका की परमाणु ताकत पूरी तरह से तैयार है और हमारे सैनिक चाहे वो मिसाइल ऑपरेटर हों, हेलिकॉप्टर चालक हों या सुरक्षा दल दिन-रात देश की रक्षा में लगे हैं.'

मिनटमैन की खासियत

यह मिसाइल 15,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ती हुई करीब 4,200 मील दूर मार्शल द्वीप समूह के पास रोनाल्ड रीगन परीक्षण स्थल तक पहुंची. मिनटमैन III मिसाइल वो हथियार है जो परमाणु युद्ध की स्थिति में इस्तेमाल किया जा सकता है. इस बार तो ये बिना हथियार वाली थी, लेकिन असली स्थितियों में ये एक मार्क-21 रि-एंट्री व्हेकल के साथ परमाणु हथियार ले जा सकती है. इस मिसाइल का इससे पहले भी कई बार परीक्षण किया जा चुका है. नवंबर 2024 में भी जब डोनाल्ड ट्रम्प दोबारा राष्ट्रपति बने थे. तब इसका परीक्षण हुआ था.

यह परीक्षण क्यों किया गया?

अमेरिकी सेना ने साफ किया कि यह परीक्षण कोई युद्ध की तैयारी नहीं, बल्कि एक नियमित अभ्यास था. उन्होंने यह भी कहा कि इसका किसी वर्तमान अंतरराष्ट्रीय संकट से कोई लेना-देना नहीं है. यह केवल यह दिखाने के लिए किया गया कि अमेरिका की मिसाइल प्रणाली कितनी तैयार और भरोसेमंद है.

सिर्फ मिसाइल नहीं, हर खतरे से सुरक्षा का वादा

डोनाल्ड ट्रम्प का कहना है कि यह नई प्रणाली सिर्फ ICBM (अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों) से ही नहीं, बल्कि हाइपरसोनिक हथियार, क्रूज मिसाइल, और ड्रोन जैसे खतरों से भी देश की रक्षा करेगी. वह चाहते हैं कि यह प्रणाली अगले तीन सालों में यानी उनके दूसरे कार्यकाल के अंत तक तैयार हो जाए.

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