पेंटागन के बाद अब शिकागो में नेशनल गार्ड्स तैनात करना चाहते हैं ट्रंप, क्या है इसके चुनावी मायने?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शिकागो में अपराध, बेघर लोगों और प्रवासी संकट से निपटने के लिए नेशनल गार्ड की तैनाती की योजना बनाई है. इससे पहले वे वाशिंगटन डीसी और लॉस एंजेलिस में भी गार्ड भेज चुके हैं. ट्रंप के इस कदम की स्थानीय नेताओं और कानूनी विशेषज्ञों ने कड़ी आलोचना की है. जानिए ट्रंप की योजना, राजनीतिक विवाद और इसके संभावित असर.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राजधानी वॉशिंगटन DC और लॉस एंजिल्स में नेशनल गार्ड्स तैनात करने के बाद अब शिकागो शहर को अपना अगला निशाना बनाया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेंटागन पिछले कुछ हफ्तों से शिकागो में सैन्य तैनाती की योजना पर काम कर रहा है. ट्रंप का मानना है कि अपराध, अवैध प्रवासियों और बेघर लोगों की समस्या से जूझ रहे शिकागो को सख्त कार्रवाई की जरूरत है.
योजना के अनुसार सितंबर तक शिकागो में हजारों नेशनल गार्ड्स तैनात किए जा सकते हैं. यह मॉडल वॉशिंगटन DC और लॉस एंजिल्स में अपनाए गए तंत्र जैसा होगा. अधिकारियों का कहना है कि नेशनल गार्ड्स के साथ-साथ सक्रिय सैनिकों के इस्तेमाल की भी चर्चा हुई थी, लेकिन इस पर अंतिम फैसला अभी नहीं हुआ है. ट्रंप का मकसद शहर की बिगड़ी कानून व्यवस्था को तत्काल सुधारना बताया जा रहा है.
शिकागो की मेयर ने क्या कहा?
ट्रंप ने शिकागो की मेयर ब्रैंडन जॉनसन की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि शहर में अव्यवस्था फैल चुकी है और मौजूदा प्रशासन पूरी तरह नाकाम है. उन्होंने यहां तक कहा कि "शिकागो में एक बेहद अयोग्य मेयर है और हम शायद अगला कदम उठाकर इसे ठीक कर देंगे." ट्रंप ने यह भी दावा किया कि शहर में कई लोग उनकी तैनाती का समर्थन कर रहे हैं.
प्रवासियों और क्राइम के खिलाफ है ये मिशन
सूत्रों के मुताबिक शिकागो में सैन्य कार्रवाई को ICE यानी इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट के अभियानों के साथ जोड़ा जा सकता है. इसका लक्ष्य होगा अवैध प्रवासियों की तलाश, निर्वासन की गति तेज़ करना और "अभयारण्य शहर" जैसी स्थानीय नीतियों को चुनौती देना. प्रशासन की योजना रोजाना कम से कम तीन हजार गिरफ्तारियां करने की है. यह कदम शिकागो में संघीय एजेंसियों और स्थानीय पुलिस के बीच टकराव को जन्म दे सकता है.
स्थानीय नेताओं का कड़ा विरोध
शिकागो के मेयर ब्रैंडन जॉनसन ने कहा कि शहर को अब तक व्हाइट हाउस या पेंटागन से कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है. उन्होंने चेतावनी दी कि बिना अनुमति नेशनल गार्ड्स की तैनाती शहर की सुरक्षा और प्रशासनिक ढांचे को नुकसान पहुंचा सकती है. इलिनॉइस के गवर्नर जेबी प्रित्जकर ने भी ट्रंप पर "अराजकता फैलाने" का आरोप लगाया और साफ किया कि वे टाइटल 32 के तहत इस तैनाती का समर्थन नहीं करेंगे.
कानून और संवैधानिक सवाल
अमेरिकी कानून के तहत सामान्यतः नेशनल गार्ड्स की तैनाती राज्यपाल के अधिकार में होती है. हालांकि राष्ट्रपति चाहे तो टाइटल 10 के तहत गार्ड्स को संघीय बना सकते हैं या फिर विद्रोह अधिनियम (Insurrection Act) का सहारा लेकर सक्रिय सैनिकों को कानून प्रवर्तन के लिए भेज सकते हैं. लेकिन दोनों ही विकल्प संवैधानिक विवाद और राजनीतिक टकराव को जन्म दे सकते हैं. यही कारण है कि ट्रंप की योजना पर कानूनी बहस भी तेज हो गई है.
शिकागो में क्या है क्राइम की स्थिति?
शिकागो लंबे समय से अपराध और हत्याओं की ऊंची दर को लेकर सुर्खियों में रहा है. 2024 में यहां 573 हत्याओं का आंकड़ा दर्ज किया गया. कोविड-19 महामारी के दौरान हत्याओं में तेज़ी आई थी, लेकिन बाद में इनमें गिरावट देखी गई. हालांकि अब भी शिकागो अमेरिका का वह शहर है, जहां हर साल सबसे अधिक हत्याएं दर्ज की जाती हैं. यही आंकड़े ट्रंप को शिकागो की तैनाती के लिए मजबूत आधार देते हैं.
संभावित राजनीतिक और सामाजिक असर
अगर शिकागो में नेशनल गार्ड्स तैनात किए जाते हैं तो यह घरेलू स्तर पर ट्रंप की शक्ति प्रदर्शन रणनीति का हिस्सा माना जाएगा. इससे न केवल संघीय और स्थानीय प्रशासन के बीच टकराव बढ़ेगा, बल्कि डेमोक्रेटिक पार्टी शासित राज्यों में भी संघीय हस्तक्षेप की आशंका गहराएगी. आलोचकों का कहना है कि ट्रंप का यह कदम कानून-व्यवस्था सुधारने से ज्यादा राजनीतिक लाभ लेने और अपने समर्थकों को संदेश देने की रणनीति है.