15 महीने की प्रेग्नेंसी! नाइजीरिया में फेक डिलीवरी रैकेट का ऐसे हुआ भंडाफोड़
नाइजीरिया में प्रजजन घोटाले की जांच की जा रही है. महिलाओं की गर्भावस्था का समय 9 महीने का होता है. मगर यहां पर एक महिला ने दावा किया कि वह करीब 15 महीने तक गर्भवती रही है. जिसके पीछे अब बड़े घोटाले का पता चला. बीबीसी अफ्रीका आई ने इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है. बच्चे की चाह रखने वाले कपल को जाल में फंसाया जाता था. जांच में खुलासा किया कि फिर नकली डॉक्टर के रूप में अत्यधिक कीमतों पर नकली उपचार पेश करते हैं.

Nigeria News: किसी भी महिला के लिए मां बनना उसका दूसरा जन्म माना जाता है. सभी की लाइफ में मां का दर्जा भगवान के सम्मान होता है. लेकिन नाइजीरिया में ममता के नाम पर घिनौने घोटाले का मामला सामने आया है. जिसमें समाज मानवता को शर्मसार कर दिया है. यहां पर महिला का 15 महीने तक गर्भवती होने का दावा किया गया.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक नाइजीरिया में प्रजजन घोटाले की जांच की जा रही है. महिलाओं की गर्भावस्था का समय 9 महीने का होता है. मगर यहां पर एक महिला ने दावा किया कि वह करीब 15 महीने तक गर्भवती रही है. जिसके पीछे अब बड़े घोटाले का पता चला.
क्या है मामला?
इस मामले को लेकर नाइजीरिया सरकार महिला की बात से सहमत नहीं है और उन्होंने कहा कि ऐसा दावा कोई साधारण मामला नहीं है. सरकारी अधिकारी अब होप नामक बच्चे को महिला चियोमा का जैविक बच्चा नहीं मान रहे हैं, जैसा कि चियोमा और उसके पति आइके दावा करते हैं. चियोमा नाम की महिला ने कहा कि उसे गर्भधारण करने के लिए आइके के परिवार से दबाव का सामना करना पड़ा. फिर वह एक ऐसे क्लीनिक गई जो एक अपरंपरागत ट्रीटमेंट का दावा करते हैं.
शिशुओं की तस्करी का खुलासा
बीबीसी अफ्रीका आई ने इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है. बच्चे की चाह रखने वाले कपल को जाल में फंसाया जाता था. जांच में खुलासा किया कि फिर नकली डॉक्टर के रूप में अत्यधिक कीमतों पर नकली उपचार पेश करते हैं. ये तथाकथित उपचार, जिनमें अक्सर रहस्यमय इंजेक्शन या मिश्रण शामिल होते हैं. गर्भावस्था की नकल करने वाले पेट में सूजन पैदा करते हैं, जिससे महिलाओं को झूठी उम्मीद मिलती है.
शरीर में दिखते थे बदलाव
रिपोर्ट में बताया गया कि कुछ महिलाओं को अपने शरीर में बदलाव महसूस हुए - जैसे कि पेट में सूजन - जिससे उन्हें और यकीन हो गया कि वे गर्भवती हैं. इलाज के दौरान उन्हें कहा जाता था कि वे किसी भी पारंपरिक डॉक्टर या अस्पताल में न जाएं, क्योंकि कोई भी स्कैन या गर्भावस्था परीक्षण "बच्चे" का पता नहीं लगा पाएगा, जिसके बारे में घोटाले करने वालों का दावा है कि वह गर्भ के बाहर बढ़ रहा है.
ऐसे की जाती थी फेक डिलीवरी
मीडिया आउटलेट की रिपोर्ट के अनुसार, जब बच्चे को "प्रसव" कराने का समय आता है, तो महिलाओं को बताया जाता है कि प्रसव पीड़ा तभी शुरू होगी जब उन्हें "दुर्लभ और महंगी दवा" दी जाएगी, जिसके लिए अतिरिक्त भुगतान की आवश्यकता होगी. इसके बाद धोखेबाज महिलाओं को बेहोश कर देते हैं और जब वे जागती हैं तो उनके शरीर पर सिजेरियन जैसा चीरा लगा होता है. दूसरों का कहना है कि उन्हें एक इंजेक्शन दिया जाता है जिससे वे नींद और भ्रम की स्थिति में आ जाती हैं और उन्हें लगता है कि वे जन्म दे रही हैं. अब सरकार इस पूरे मामले की जांच कर रही है.