September 18, 2025
करणी माता मंदिर में लगभग 20-25 हजार चूहे रहते हैं, जिन्हें कब्बा कहा जाता है.
मंदिर में कुछ सफेद चूहे होते हैं जिन्हें विशेष मान्यता प्राप्त है. जो भक्त इन सफेद चूहों को देखते हैं, वे उसे सौभाग्य का प्रतीक मानते हैं.
करणी माता के सौतेले पुत्र लक्ष्मण की तालाब में मृत्यु हो गई थी. माता ने यमराज से प्रार्थना की और उनके पुत्र और उनके सभी पुरुष वंशजों को चूहों के रूप में पुनर्जीवित किया गया.
बहुत से लोग मंदिर जाते हैं, झोले-प्रसाद लेकर चूहों को दूध, अनाज देते हैं. चूहों के बीच से चलना, उनके पैरों के नीचे से गुजरना भक्त इन अनुभवों को आशीर्वाद मानते हैं.
इतने सारे चूहों के बीच भी मंदिर को साफ-सुथरा रखा जाता है. चूहों या प्रसाद से किसी बड़ी बीमारी फैलने की खबर बहुत कम है, जो भक्तों के लिए चौंकाने वाला है.
करणी माता मंदिर संगमरमर से बना है और इसमें खूबसूरत सिल्वर के दरवाजे हैं, जिन पर देवी की कहानियां लिखी हुई हैं.
मंदिर में साल में दो बार करणी माता मेला लगता है, नौ ब्रतों के दौरान इस समय मंदिर में भक्तों की तादाद बहुत बढ़ जाती है.