October 1, 2025
दशहरा पूरे भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस दिन रावण का पुतला जलाया जाता है. दस सिरों को उसके दस प्रमुख विशेषताओं का प्रतीक माना जाता है.
रावण की वासना उनके असीमित इच्छाओं का प्रतीक है. यह हमें सिखाती है कि अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना आवश्यक है, वरना यह हमारे निर्णयों और कर्मों को प्रभावित कर सकता है.
क्रोध बिना सोचे-समझे गुस्से को दर्शाता है. यह हमें चेतावनी देता है कि क्रोध पर काबू पाकर ही हम मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त कर सकते हैं.
लालच हमारे मन की शुद्धता और संतोष को खो देता है.यह हमें बताता है कि लोभ में फंसने से इंसान अपने नैतिक मूल्यों और जीवन के उद्देश्य से भटक सकता है.
मोह हमें भौतिक या भावनात्मक वस्तुओं से जोड़कर मानसिक उलझन पैदा करता है. यह हमें समझाता है कि अगर हम वस्तुओं या लोगों के पीछे अंधाधुंध लगाव रखें, तो यह हमारे विकास में बाधक बन सकता है.
अहंकार हमें श्रेष्ठ समझकर दूसरों के विचारों और भावनाओं को अनदेखा करने की प्रवृत्ति देता है. यह सिखाता है कि अहंकार से व्यक्ति का पतन निश्चित है.
ईर्ष्या दूसरों की सफलता को देखकर अपने आप को कमतर समझने का भाव है. यह हमें बताता है कि मत्सर और तुलना से मन अशांत रहता है और रिश्ते भी बिगड़ सकते हैं.
भय हमें असुरक्षा और डर का अहसास कराता है. यह हमें प्रेरित करता है कि हमें अपने डर का सामना करना चाहिए और आत्मविश्वास से जीवन में आगे बढ़ना चाहिए.
आलस्य हमारे काम और जीवन में प्रगति को रोकता है. यह हमें याद दिलाता है कि समय की कद्र और मेहनत ही सफलता की राह खोलती है.
भ्रष्टाचार सत्य और नैतिकता से दूर रहने का प्रतीक है. यह हमें सिखाता है कि सत्य और ईमानदारी से ही हम समाज में सम्मान और विश्वास प्राप्त कर सकते हैं.
अहंकार हमें अपनी श्रेष्ठता का अहसास कराता है. यह हमें चेतावनी देता है कि हमें अपने आत्ममूल्य को समझना चाहिए और दूसरों के प्रति सम्मान और विनम्रता बनाए रखनी चाहिए.