सिंदूर खेला: बंगाल की दुर्गा पूजा की अनमोल परंपरा

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दुर्गा पूजा

शारदीय नवरात्रि की दुर्गा पूजा की शुरुआत हो गई है. यहां दुर्गा पूजा के समापन पर बंगाल की पारंपरिक रस्म सिंदूर खेला जाता है.

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सिंदूर खेला

सिंदूर खेला विजयदशमी के दिन बंगाल में मनाई जाने वाली एक पारंपरिक रस्म है, जिसमें विवाहित महिलाएं एक-दूसरे के माथे पर सिंदूर लगाती हैं.

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परंपरा का इतिहास

सिंदूर खेला की शुरुआत लगभग 400 साल पहले बंगाल में हुई थी. यह परंपरा पहले ज़मींदार घरानों में शुरू हुई थी और बाद में यह सामुदायिक उत्सव का हिस्सा बन गई.

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रस्म की प्रक्रिया

विजयदशमी के दिन महिलाएं पारंपरिक लाल और सफेद साड़ी पहनकर पंडालों में एकत्र होती हैं. यहां वे मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं, एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं.

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सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

यह रस्म महिलाओं के सामूहिक एकता, सौहार्द और भाईचारे को बढ़ावा देती है. यह परंपरा महिलाओं की शक्ति और उनकी पारिवारिक भूमिका का सम्मान करती है.

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एकता का प्रतीक

अब यह रस्म विवाहित, अविवाहित, विधवा और ट्रांसजेंडर महिलाएं मंदिरों में निभाती हैं, जिससे यह परंपरा और भी समावेशी बन गई है.

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समापन

सिंदूर खेला न केवल एक धार्मिक रस्म है, बल्कि यह बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर और महिलाओं की शक्ति का प्रतीक भी है.

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