December 2, 2025
'महाभारत' पढ़ने से साफ पता चलता है कि पांडव पूरी तरह शाकाहारी नहीं थे. उस समय में न शाकाहार को अनिवार्य माना जाता था और न मांसाहार को पूरी तरह गलत.
महाभारत में जिक्र है कि दोनों तरह का खाना खाया जाता था. खास तौर पर जंगल में रहते हुए या युद्ध-यात्रा के समय मांस खाना बहुत आम था. पांडव भी इंसान थे, राजकुमार थे, क्षत्रिय थे इसलिए उनका खाना भी उसी हिसाब से बदलता रहता था.
वन पर्व के अध्याय के मुताबिक, भीम रोज़ हिरण, जंगली सूअर आदि का शिकार करके लाते थे. वन पर्व में कई जगह लिखा है कि भीम हिरण मारकर लाते और द्रौपदी रसोई बनाती.
इतना ही नहीं वन पर्व में जिक्र है कि पांडव नदियों के किनारे रहते समय वे जाल डालकर मछलियां भी पकड़ते थे.
कभी-कभी जंगल के फल, कंद-मूल, सब्जियां और अनाज मिल जाता तो शाकाहारी भोजन बन जाता, लेकिन मांस ही मुख्य भोजन रहता था.
युधिष्ठिर को सूर्य देव से वह चमत्कारी बर्तन मिला था जिसे 'अक्षय पात्र' कहते हैं. उसमें से रोज़ भरपेट शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का स्वादिष्ट खाना निकलता था.
महाभारत में खुद युधिष्ठिर कहते हैं- जंगल में रहते हुए शिकार करके मांस खाना पाप नहीं है. जीवित रहने के लिए जो उपलब्ध हो, वही खाना चाहिए.' (शांति पर्व और अनुशासन पर्व के मुताबिक)